राजपूत समाज के मार्गदर्शक भगवान सिंह रोलसाहबसर पर हमला मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भारी पड़ा। श्री प्रताप फाउंडेशन के संयोजक महावीर सिंह सरवड़ी ने पत्र लिखकर गंभीर आरोप भी लगाए। पत्र में स्वर्गीय भैरों सिंह शेखावत से लेकर मौजूदा केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को निशाना बनाने की निंदा की गई।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गत दो जून को बाड़मेर में एक सभा को संबोधित करते हुए राजपूत समाज के मार्गदर्शक भगवान सिंह रोलसाहबसर पर प्रतिकूल टिप्पणी की। गहलोत ने संजीवनी क्रेडिट सोसायटी के मामले में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के साथ साथ रोलसाहबसर को भी चपेट में ले लिया। गहलोत ने 2 जून को अर्मयादित टिप्पणी की, उस पर राजपूत समाज की प्रतिनिधि संस्था श्री प्रताप फाउंडेशन ने कड़ा एतराज जताया है। संस्था के संयोजक महावीर सिंह सरवड़ी ने पांच जून को सीएम अशोक गहलोत को एक पत्र भी लिखा है। इस पत्र में राजपूत समाज की भावनाओं से सीएम को अवगत कराया गया है तथा स्वर्गीय भैरो सिंह शेखावत से लेकर गजेंद्र ङ्क्षसह शेखावत पर हुए राजनीतिक हमलों का विस्तार से उल्लेख किया गया है।
सरवड़ी  द्वारा लिखा पत्र पाठकों के लिए ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया जा रहा है। यह पत्र विगत 2 जून 2023 को बाड़मेर प्रवास के दौरान भगवान सिंह रोलसाहबसर के नाम का उल्लेख करते हुए आपके द्वारा की गई टिप्पणी कि संजीवनी सोसायटी प्रकरण में उनकी कुछ मजबूरियां होंगी इसलिए वे बात नहीं कर रहे हैं के संदर्भ में प्रेषित किया जा रहा है।
माननीय इस विषय में निवेदन है कि भगवान सिंह जी पूज्य तनसिंह जी के अनुयायी हैं। पूज्य तनसिंह जी ने अपने त्यागमय एवं गरिमा मय जीवन का उदाहरण पेश कर अपने अनुयायियों के लिए मर्यादाएं स्थापित कीं। कृपया यह बिन्दु विचारित करने का कष्ट करें कि माननीय भगवान सिंह जी मर्यादाओं के उन्हीं उच्च मापदंडो के तहत अपना व्यक्तिगत एवं सार्वजनिक जीवन निर्वहन करते हैं। आप राज्य के मुख्यमंत्री हैं अत: आपकी अधिकारिक व व्यक्तिगत स्थिति में भगवान सिंह साहब के नाम को संलिप्त कर ऐसी निरर्थक बयानबाजी करना गरिमामय व्यवहार नहीं है। कृपया यह बिन्दू भी मनन योग्य मानें कि माननीय भगवान सिंह जी राजनीति के पटल पर व्यक्तिगत उद्देश्यों को साधने के किसी प्रथम दृष्टया अपवित्र व तुच्छ प्रक्रम में भागीदार नहीं बन सकते, इसलिए आप द्वारा दूरभाष पर किए गए आग्रह को स्वीकार नहीं कर सकते।
राजस्थान के राजनीतिक परिदृश्य से परिचित सभी व्यक्ति जानते हैं कि राजस्थान की राजनीति के शीर्ष नेताओं में से एक माननीय भैरोसिंह शेखावत के विरुद्ध किस प्रकार की निम्न स्तरीय टिप्पणियां की गई थीं। एक ट्रैक्टर की चाबी देते हुए फोटो सार्वजनिक होने के आधार पर उनके राजनीतिक जीवन को किस प्रकार निशाना बनाया गया था। किस प्रकार एक आपराधिक घटना को आधार बनाकर मारवाड़ के दो राजनीतिक घरानों को राजस्थान की राजनीति के मानचित्र से लुप्त करने का भरपूर प्रयास किया गया। हमारे समाज के प्रमुख राजनेता राजेन्द्र सिंह राठौड़ को किस प्रकार एक झूठे केस में फंसा कर उनके राजनीतिक जीवन को समाप्त करने का प्रयास किया गया। वर्तमान में आपके ही दल के एक युवा राजनेता को किस प्रकार नेपथ्य में भेजने के लगातार पुरजोर प्रयास किए जा रहे हैं। प्रदेश में संजीवनी जैसे अनेक प्रकरण होते हुए भी क्यों संजीवनी केस को माध्यम बनाकर एक राजनेता विशेष द्वारा एक राजनेता विशेष के विरुद्ध अनर्गल प्रलाप किया जा रहा है। क्यों पिछले लोकसभा चुनावों में सीट विशेष के चुनावी परिणामों के आने के तुरंत बाद बिना किसी निवेशक की शिकायत के संजीवनी सोसायटी के माध्यम से गजेंद्र सिंह को लक्ष्य बनाने के लिए कार्यवाही प्रारंभ की गई। इस मुकदमे में श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत के नाम को येन केन प्रकारेण शामिल करने के लिए राजनीतिक दबाव में पुलिस किस प्रकार असाधारण प्रयास कर रही है और बार बार आरोप पत्र पेश कर पूर्व में दिए गए अनुसंधान नतीजों को बदल कर अनेक निर्दोष लोगों को हिरासत में लिया गया है। राज्य सरकार के वकील गजेंद्र सिंह के बारे में न्यायालय में क्या बयान देते हैं और न्यायालय के बाहर आकर क्या बयान दे रहे हैं। आम जनता सब समझ रही है कि संजीवनी में अनुसंधान पिछले 4 साल से मात्र इसलिए खुला रखा गया है कि इसकी आड़ में बयानबाज़ी की जा सके तथा हमारे समाज के एक उदीयमान राजनेता गजेंद्र सिंह शेखावत का चरित्र हनन कर उनके राजनीतिक जीवन को प्रश्नगत करने का वैसा ही प्रयास किया जा सके जो कभी राजेन्द्र सिंह राठौड़ के राजनीतिक जीवन को समाप्त करने के लिए किया गया था। उपरोक्त सभी तथ्य एवं ऐसी ही अनेक जानकारियां राजनीतिक तौर तरीकों में पारदर्शिता, वस्तुनिष्ठता एवं ईमानदारी के अभाव को प्रकट करती है और यही वह मजबूरी है जिसके कारण माननीय भगवान सिंह जी आपके आग्रह को स्वीकार करने में असमर्थ हैं। साथ ही आपके संज्ञानार्थ निवेदन है कि माननीय भगवान सिंह जी विशुद्ध रूप से एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं और राजनीति में उनकी रुचि अपने सामाजिक दायित्व की सापेक्षता तक ही सीमित है, वे अपने सामाजिक दायित्व के निर्वहन में अपेक्षित सहयोग की आवश्यकता तक ही विभिन्न राजनेताओं व राजनीतिक दलों से सहयोग लेते और देते हैं। इसी क्रम में आवश्यक होने पर उन्होंने आपका भी सहयोग किया है, लेकिन वे तुच्छ राजनीतिक स्वार्थों के लिए राजनेताओं द्वारा किए जाने वाले आरोप प्रत्यारोपों से स्वयं को अलग रखने का प्रयास करते हैं तथा इसी क्रम में आपसे भी निवेदन है कि आप उपरोक्त विवरण के संदर्भ में अपने राजनीतिक तौर तरीकों में उनके नाम का उपयोग करने से परहेज़ करें। साथ ही आप राज्य की सरकार के मुखिया हैं और आप द्वारा देश के कानून के तहत प्रदत्त शक्तियों का ईमानदारी पूर्वक उपयोग कर संजीवनी के निवेशकों की राशि लौटाई जा सकती है और इसमें किसी भी बाहरी सहयोग की आवश्यकता भी नहीं है लेकिन इसके लिए उद्देश्य निवेशकों को राहत प्रदान करना होना आवश्यक है, इसके बहाने अपने राजनीतिक प्रतिस्पर्धी का चरित्र हनन नहीं।
आप माननीय भगवान सिंह जी को गजेंद्र सिंह के गुरु के रूप में प्रचारित कर रहे हैं तो वे गजेन्द्र सिंह के ही नहीं बल्कि लाखों लोगों के मार्गदर्शक हैं और उनके मार्गदर्शन में हजारों लोग निष्काम भाव से समाज और राष्ट्र के प्रति अपने दायित्व निर्वहन की मौन साधना में संलग्न हैं। वे तो आपको भी अपना मित्र मानते हैं और यदा कदा इस मित्रता की चर्चा भी करते हैं और इस मित्रता की मर्यादा के कारण ही आपकी गतिविधियों के बाबत कभी सार्वजनिक चर्चा भी नहीं करते। लेकिन जिस किसी भी योजना या राय के तहत लोगों की भीड़ के बीच बैठ कर आप द्वारा संजीवनी सोसायटी के विषय में उन्हें फोन किया गया एवं तदुपरांत अनेक बार इसकी सार्वजनिक चर्चा की जा रही है वह मित्रतापूर्ण व्यवहार की मर्यादा को भंग करना है तथा यह गरिमा पूर्ण, स्तरीय व शोभनीय कार्य नहीं है।
आपके राजनीतिक एजेंडा की पूर्ति के लिए जो भी जतन आप करें वह आपका निजी दृष्टिकोण है मगर उसमें कृपया श्री भगवान सिंह साहब को इस प्रकार से बेजा संलिप्त करने का प्रयास नहीं करें। आपके द्वारा ऐसा करने के कारण ही मजबूरी वश आज आपको लिखा जा रहा यह व्यक्तिगत पत्र भी हमें सार्वजनिक करना पड़ रहा है। भविष्य में आपसे आशा है कि आप व्यक्तिगत संबंधों की मर्यादा का एवं श्री भगवान सिंह साहब की प्रतिष्ठा, गरिमा एवं स्थिति का सम्मान करेंगे और किसी भी तरह के राजनीतिक एजेंडा पूर्ति के लिए उनके नाम का उपयोग नहीं करेंगे। 

S.P.MITTAL BLOGGER (06-06-2023)
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