राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत और परिजन का होटल कारोबार करोड़ों रुपया का अवैध निवेश। भाजपा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा के ऐसे गंभीर आरोपों की जांच हो या फिर मानहानि का मुकदमा दर्ज करवाया जाए। जलदाय मंत्री महेश जोशी के कथित समधी नित्तम शर्मा पर भी पचास लाख वसूलने का आरोप।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की गांधीवादी छवि है और राजनीति में इस छवि को बनाए रखने के लिए गहलोत हमेशा खादी का कुर्ता पायजामा पहनते हैं। चप्पल भी बहुत साधारण होती है। सर्दी के दिनों में भी गहलोत कुर्ता पायजा के ऊपर गर्म शॉल पहनते हैं। इस छवि के कारण ही अब गहलोत का राजस्थान का जननायक भी कहा जाने लगा है। ऐसे गांधीवादी जननायक पर अब भाजपा के राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने बेईमानी से जुड़े गंभीर आरोप लगाए हैं। मीणा का दावा है कि यदि निष्पक्ष जांच हो तो गांधीवादी कहलाए जाने वाले अशोक गहलोत देश के सबसे धनी मुख्यमंत्री साबित होंगे। चूंकि पेपर लीक मामलों में गहलोत सरकार भी उलझ गई है, इसलिए मुख्यमंत्री के परिवार से जुड़े सदस्यों के निवेश के सबूत प्रवर्तन निदेशालय को सौंपे जा रहे हैं। मीणा ने उदयपुर की रैफल्स होटल, माउंट आबू की निमडी पैलेस और जयपुर के फेयर माउंट होटल के नाम गिनाते हुए कहा कि इन भूमि रूपांतरण की भी जांच होनी चाहिए। नियमों की अवेलना कर चरागाह सिंचाई किस्म वाली भूमि को होटल व्यवसाय के लिए बदला गया। मीणा का आरोप रहा कि जयपुर की फेयर माउंट होटल में 96 करोड़ 75 लाख रुपए का निवेश मॉरीशस की फर्जी कंपनी सिवनार होल्डिंग्स लिमिटेड के नाम से किया गया है। मीणा का आरोप रहा कि पहले हवाला के जरिए राजस्थान से पैसा भेजा गया और विदेशी कंपनियों के जरिए निवेश हुआ। जयपुर की होटल में तो मुख्यमंत्री के पुत्र और राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष वैभव गहलोत की पचास प्रतिशत की साझेदारी है। डॉ. मीणा के आरोप बहुत गंभीर है और सीधे सीएम गहलोत से जुड़े हैं। गहलोत प्रदेश के गृहमंत्री भी है, ऐसे में वे मीणा के आरोपों की जांच एसओजी, एसीबी या पुलिस से भी करवा सकते हैं। यदि जांच नहीं करवाते हैं तो फिर गहलोत को मीणा के खिलाफ मानहानि का प्रकरण दर्ज करवाना चाहिए। नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल और खान मंत्री प्रमोद जैन पर कांग्रेस के ही विधायक भरत सिंह और रामनारायण मीणा ने भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं, लेकिन अशोक गहलोत की छवि धारीवाल और प्रमोदन जैसी नहीं है। गहलोत को तो देश का सबसे ईमानदार मुख्यमंत्री माना जाता है। मीणा के आरोपों से गहलोत की गांधीवादी जननायक की छवि पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। यदि गहलोत, भाजपा के डॉ. मीणा के आरोपों पर चुप रहते हैं तो अनेक सवाल उठेंगे। यह माना जाएगा कि मुख्यमंत्री के रिश्तेदारों ने होटल्स कारोबार में करोड़ों का अवैध निवेश किया है। सब जानते हैं कि 2020 में जब प्रदेश में राजनीतिक संकट हुआ था, जब मुख्यमंत्री गहलोत अपने 100 समर्थक विधायकों के साथ जयपुर की इसी फाइव स्टार होटल फेयर माउंट में 20 दिनों तक जमे रहे। होटल का करोड़ों रुपए का किराया किसने चुकाया, यह आज तक रहस्य बना हुआ है। तब इस होटल को मुख्यमंत्री ने अपने घर की तरह ही इस्तेमाल किया था। अब जब डॉ. मीणा इस प्रकरण से जुड़े दस्तावेज ईडी को सौंप रहे हैं, जब यह मामला और गंभीर हो जाता है। ईडी के अधिकारी तो लंदन और मॉरीशस जाकर भी जांच पड़ताल कर सकते हैं। अच्छा हो कि अशोक गहलोत अपनी गांधीवादी छवि को बचाने के लिए स्वयं ही जांच की घोषणा कर दें। 
मंत्री जोश पर भी आरोप:
जयपुर के झोटवाड़ा निवासी विलायत हुसैन ने प्रदेश के जलदाय मंत्री महेश जोशी के विरुद्ध एक एफआईआर दर्ज करवाई है। हुसैन को अपनी शिकायत अदालत के आदेश से दर्ज करानी पड़ी है। इस शिकायत में कहा गया है कि देहरादून निवासी नित्तम शर्मा ने उससे पचास लाख रुपए ले लिए। यह राशि उनके भाई फतेहपुर के पूर्व पार्षद आबिद अली को किसी बोर्ड का अध्यक्ष बनाने की एवज में ली गई। राशि लेने से पहले नित्तम शर्मा ने जलदाय मंत्री महेश जोशी से मिलवाया था। इस मुलाकात में जोशी ने भाई का बायोडाटा भी मांगा। क्योंकि मुलाकात बहुत प्रभावी थी, इसलिए उन्होंने पचास लाख रुपए नित्तम शर्मा को दे दिए। नित्तम शर्मा स्वयं को महेश जोशी का समधी बताता है। वहीं महेश जोशी का कहना है कि आरोप गलत है। विलायत हुसैन ने जब उन्हें राशि लेने के बारे में बताया तो मैंने ही पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने की सलाह दी थी। जोशी ने कहा कि वे नित्तम शर्मा को नहीं जानते हैं। 

S.P.MITTAL BLOGGER (09-06-2023)
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