राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष संजय श्रोत्रिय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विश्वास पात्र पुलिस अधिकारी रहे हैं। आयोग के सदस्यों के निलंबन की सिफारिश राज्य सरकार कर सकती है।
वरिष्ठ अध्यापक भर्ती परीक्षा का प्रश्न पत्र लीक होने के मामले में ईडी ने परीक्षा आयोजित करने वाले राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष संजय श्रोत्रिय को पूछताछ के लिए नोटिस जारी कर दिया है। आयोग के सदस्य और परीक्षा के प्रभारी रहे बाबूलाल कटारा को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। आरोप है कि कटारा की गिरफ्तारी के बाद राज्य सरकार की एजेंसी एसओजी ने आयोग में अध्यक्ष और अन्य अधिकारियों को जांच के दायरे में शामिल नहीं किया। इसलिए जब 200 करोड़ रुपए के पेपर लीक घोटाले में ईडी ने जांच शुरू की तो आयोग के अध्यक्ष संजय श्रोत्रिय और सचिव हरजीलाल अटल को नोटिस भी जारी किए। अटल ने तो अपना पक्ष ईडी के समक्ष रख दिया है, लेकिन श्रोत्रिय ने अभी तक भी अपना पक्ष नहीं रखा है। सवाल उठता है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अधीन आने वाली एसओजी ने पेपर लीक के मामले में अध्यक्ष संजय श्रोत्रिय से पूछताछ क्यों नहीं की? मालूम हो कि प्रदेश में गृहमंत्री का प्रभारी भी मुख्यमंत्री गहलोत के पास ही है। जानकार सूत्रों के अनुसार संजय श्रोत्रिय सीएम गहलोत के विश्वासपात्र पुलिस अधिकारी रहे हैं। मुख्यमंत्री सचिवालय में सीएम सतर्कता अधिकारी का पद भी है। आमतौर पर इस पद पर आरपीएस अधिकारी को ही लगाया जाता है। इस अधिकारी का काम सचिवालय और मुख्यमंत्री के आवास पर सुरक्षा व्यवस्था करना होता है। लेकिन संजय श्रोत्रिय आईपीएस होने के बाद भी सीएम सतर्कता सेल से जुड़े रहे और जब राजनीतिक संकट आया तो श्रोत्रिय ने मुख्यमंत्री के पक्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ऐसी सूचनाएं दी गई कि जिनके माध्यम से गहलोत सरकार गिरने से बच गई। उस समय जब दिल्ली जाने वाले विधायकों को देश द्रोह का नोटिस और अन्य कार्यवाहियां की गई उसमें श्रोत्रिय की महत्वपूर्ण भूमिका रही। यही वजह रही कि पुलिस सेवा से निवृत्ति के समय श्रोत्रिय को राजस्थान लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष बना कर उपकृत किया गया। सूत्रों की माने तो श्रोत्रिय के प्रभाव को देखते हुए ही एसओजी ने पूछताछ नहीं की। अब इस मामले में ईडी ने नोटिस दिया है, तो गहलोत सरकार में खलबली मच हुई है। संभवत: देश में यह पहला अवसर होगा, जब राज्य सरकार के पेपर लीक मामले की जांच के दौरान ही ईडी ने भी अपनी जांच शुरू की है।
आयोग में बुरा हाल:
इधर अजमेर स्थित आयोग के मुख्यालय में बुरा हाल व्याप्त हो गया है। अध्यक्ष को नोटिस मिलने के बाद आयोग परिसर को जेल के रूप में तब्दील कर दिया है। किसी को भी आयोग परिसर में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। इससे आयोग का सामान्य कामकाज भी प्रभावित हो रहा है। एक ओर आयोग अध्यक्ष आयोग में नहीं आ रहे हैं तो वहीं तीन सदस्य जसवंत राठी, मंजू शर्मा और संगीता आर्य की गतिविधियों की भी कोई जानकारी नहीं मिल रही है। यहां यह उल्लेखनीय है कि मंजू शर्मा देश के सुप्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास की पत्नी है और संगीता आर्य मुख्य सचिव रहे निरंजन आर्य की पत्नी है।
सदस्यों का निलंबन हो सकता है:
पेपर लीक के मामले की गंभीरता को देखते हुए पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने राजस्थान लोक सेवा आयोग को भंग किए जाने की मांग की थी। पायलट की इस मांग पर सीएम गहलोत का कहना रहा कि आयोग एक संवैधानिक संस्था है,इसलिए राज्य सरकार को आयोग को भंग करने का अधिकार नहीं है। लेकिन वहीं आयोग के नियमों की जानकारी रखने वालों का कहना है कि राज्य सरकार सदस्यों के निलंबन की सिफारिश राज्यपाल से कर सकती है। यह सही है कि राज्य सरकार को किसी सदस्य को हटाने का अधिकार नहीं है। लेकिन संविधान के मुताबिक सदस्य को निलंबित किया जा सकता है। निलंबन के आद सरकार ईमानदार सदस्यों की नियुक्ति कर सकती है। यदि सरकार सदस्यों के निलंबन की सिफारिश करेगी तो राज्यपाल भी तत्काल प्रभाव स्वीकार कर लेंगे। मौजूदा समय में आयोग में अध्यक्ष सहित चार सदस्य है। जबकि तीन सदस्यों के पद रिक्त पड़े हैं।
S.P.MITTAL BLOGGER (09-06-2023)
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