सीएम अशोक गहलोत, प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा और प्रदेश प्रभारी रंधावा का सहयोग नहीं मिलने पर कांग्रेसी नेत्री नसीम अख्तर ने अब प्रियंका गांधी के स्लोगन लड़की हूं लड़ सकती हूं का सहारा लिया। महिला कांग्रेस की प्रदेश उपाध्यक्ष मंजू बलाई और रागिनी चतुर्वेदी ने नसीम के प्रदर्शन से दूरी बनाई। धर्मेन्द्र राठौड़ का गुट खुश।
22 जून को कांग्रेस से जुड़ी सैकड़ों महिलाओं ने अजमेर के जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया और प्रदेश कांग्रेस की उपाध्यक्ष श्रीमती नसीम अख्तर, उनके पति इंसाफ अली, पुत्र अरशद सहित 20 अन्य व्यक्तियों पर दर्ज मुकदमे का विरोध किया। महिलाओं ने इस बात पर रोष जताया कि नसीम अख्तर सत्तारूढ़ पार्टी की प्रदेश उपाध्यक्ष होने के साथ साथ अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की सदस्य भी हैं। प्रदेश में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार है, लेकिन फिर भी राजनीतिक द्वेषता के चलते मुकदमा दर्ज किया गया है। 13 जून को नसीम और उनके पति ने रीट कार्यालय पर कोई हंगामा नहीं किया, लेकिन फिर भी बीडीओ विजय सिंह चौहान ने झूठा मुकदमा दर्ज कराया है। जबकि चौहान को अजमेर ग्रामीण पंचायत समिति से हटाने के लिए मुख्यमंत्री को कई पत्र लिखे गए। आरोप लगाया गया है कि मुकदमा दर्ज करवाने में आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ का दबाव रहा। कांग्रेस से जुड़ी महिलाओं ने 21 जून को प्रदर्शन तब किया, जब दो दिन पहले ही नसीम अख्तर ने जयपुर में सीएम अशोक गहलोत, प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा से मुलाकात कर दर्ज मुकदमे को रद्द करने की गुहार लगाई थी। लेकिन इस गुहार के अपेक्षित परिणाम नहीं आने की वजह से ही नसीम अख्तर ने अब कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी के लोकप्रिय स्लोगन लड़की हूं, लड़ सकती हूं का सहारा लिया है। 21 जून को जिन महिलाओं ने कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया उनके हाथों में लड़की हूं लड़ सकती हंू के बैनर थे। बैनर पर एक तरफ प्रियंका और दूसरी तरफ नसीम का फोटो था। मालूम हो कि उत्तर प्रदेश में महिलाओं पर अत्याचार की खबरों के समय प्रियंका गांधी ने लड़की हूं लड़ सकती हूं का स्लोगन दिया था। यूपी में तो भाजपा की सरकार है, इसलिए प्रियंका ने स्लोगन दिया, लेकिन राजस्थान में तो गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार है। अब यदि सत्तारूढ़ पार्टी की प्रदेश उपाध्यक्ष को ही प्रियंका गांधी के स्लोगन लड़की हंू लड़ सकती हंू का सहारा लेना पड़ रहा है तो राजस्थान में महिला अत्याचारों का अंदाजा लगाया जा सकता है। जब नसीम अख्तर की ही किसी भी स्तर पर सुनवाई नहीं हो रही है तो फिर आम व्यक्ति के हालातों का अंदाजा लगाया जा सकता है। देखना होगा कि प्रियंका गांधी के स्लोगन का गहलोत सरकार पर कितना असर होतो है। अलबत्ता अब नसीम अख्तर और उनके पति इंसाफ अली ने अपनी ही सरकार के खिलाफ संघर्ष की राह पकड़ ली है।
बलाई और चतुर्वेदी ने दूरी बनाई:
जिला महिला कांग्रेस की ओर से 21 जून को नसीम अख्तर के समर्थन में जो प्रदर्शन किया गया उससे से महिला प्रदेश कांग्रेस की उपाध्यक्ष अजमेर निवासी मंजू बलाई और रागिनी चतुर्वेदी ने दूरी बना ली है। दोनों नेत्रियों ने कहा कि उन्हें इस प्रदर्शन के बारे में कोई जानकारी नहीं थी और न ही वे इस तरह के प्रदर्शन का समर्थन करती हैं। उन्होंने कहा कि वे कांग्रेस की जिम्मेदार कार्यकर्ता हैं और अनुशासन में रह कर ही अपनी बात कहना पसंद करती हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि जिला महिला कांग्रेस के अध्यक्ष का पद सबा खान के इंतकाल के बाद से ही रिक्त पड़ा हुआ है। इसी प्रकार शहर और देहात जिला कमेटियां भी भंग हैं।
राठौड़ गुट खुश:
सरकार और संगठन के स्तर पर नसीम अख्तर को अपेक्षित सहयोग नहीं मिलने पर आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ का गुट खुश है। राठौड़ पिछले दो वर्ष से अजमेर की राजनीति में सक्रिय हैं। 13 जून को जिस कार्यक्रम में हंगामा हुआ उसमें भी धर्मेंद्र राठौड़ मुख्य वक्ता थे। हालांकि यह विवाद राठौड़ के जाने के बाद हुआ, लेकिन नसीम अख्तर का आरोप है कि उनके विरुद्ध मुकदमा धर्मेन्द्र राठौड़ की शह पर ही हुआ है। राठौड़ समर्थकों ने अखबारों में बयान जारी कर नसीम अख्तर के कृत्य की निंदा की है।
S.P.MITTAL BLOGGER (22-06-2023)
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