अजमेर निवासी राधेश्याम खंडेलवाल और उनके परिवार के चार सदस्यों की मौत का जिम्मेदार कौन? क्या इस दर्दनाक हादसे को सड़क दुर्घटना मान कर यूं ही छोड़ दिया जाएगा? क्या इस हादसे से कोई सीख ली जा सकती है?

अजमेर के कोटड़ा क्षेत्र के ज्ञान विहार के एसएस टावर में रहने वाले राधेश्याम खंडेलवाल ने 4 सितंबर को अपनी माताजी की पहली बरसी का आयोजन श्रद्धा के साथ किया। अपनी दादी की बरसी के लिए पोता मनीष खंडेलवाल दुबई से अजमेर आया। 5 सितंबर को राधेश्याम उनकी पत्नी शकुंतला, बेटा मनीष, पुत्रवधु याशिका व तीन वर्षीय मासूम पौत्री कीया नाथद्वारा के लिए रवाना हुए, ताकि श्रीनाथजी के दर्शन कर सके। सुरक्षित यात्रा के लिए पूरे परिवार ने चंद्रवरदाई नगर निवासी दिनेश प्रजापत की टैक्सी (कार) किराए  पर ली। ड्राइवर विनोद जब अजमेर से चित्तौड़ नेशनल हाईवे से गुजर रहा था कि तभी कार का टायर फट गया और कार असंतुलित होकर डिवाइडर को तोड़ते हुए गलत दिशा पर चली गई। तभी तेज गति से आ रहा ट्रक कार पर चढ़ गया, फलस्वरूप राधेश्याम, शकुंतला, मनीष और कीया अब मृत्यु से संघर्ष कर रही है। ऐसी दुर्घटनाएं देश में आए दिन होती है। आम तौर पर टैक्सी की फिटनेस और ड्राइवर के अनुभव पर कोई अध्ययन नहीं होता। सवाल उठता है कि पांच सितंबर को कार का टायर कैसे फट गया? कार मालिक दिनेश प्रजापत का कहना है कि कार तो छह माह पुरानी थी, इसलिए टायर भी नए थे। यदि कार का टायर पंचर हुआ होता तो ड्राइवर को अहसास होना चाहिए था। ड्राइवर अनुभवी और जागरूक होता तो टायरों की स्थिति का अंदाजा लगा सकता था। कई बार ड्राइवर 100 किमी की रफ्तार से चलने वाली कार में मोबाइल पर बात करते रहते हैं, ऐसे में जरा सा भी ध्यान चुकने पर कार अनियंत्रित हो जाती है। पांच सितंबर की घटना में कार अनियंत्रित होकर डिवाइडर पर चढ़ी और गलत दिशा में ट्रक की शिकार हो गई। सवाल यह भी है कि जब ड्राइवर फोन पर बात करता है, जब कार में बैठे कितने व्यक्ति ड्राइवर को हिदायत देते हैं? आम तौर पर देखा गया है कि ड्राइवर को कोई नहीं टोकता। कई बार तो तेज कार चलाने के लिए ड्राइवर को उकसाया जाता है। सीट बेल्ट न लगाने जैसी लापरवाही तो है ही। पांच सितंबर के हादसे में ड्राइवर विनोद का सुरक्षित रहना भी आश्चर्यचकित करने वाला है। राधेश्याम के परिवार के हादसे की विस्तृत जांच पड़ताल होनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसे हादसे न हो। राधेश्याम के परिवार की कहानी सुनने से हर किसी की आंख में आंसू आ जाएंगे। मनीष खंडेलवाल चार बहनों के बीच इकलौता भाई था। माता पिता भाई और भाभी की मौत से चारों बहनों पर क्या बीत रही होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। सवाल यह भी है कि जो तीन वर्षीय कीया कल तक अपने माता पिता के साये में पहल रही थी, उसका क्या होगा? अखबारों में छपी खबर की स्याही थोड़े दिन में मिट जाएंगी, लेकिन खंडेलवाल परिवार इस हादसे को वर्षों तक याद रखेगा। यदि लोग सतर्कता और समझदारी से यात्रा करें तो सड़क दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (06-09-2023)

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