कांग्रेस की प्रदेश उपाध्यक्ष नसीम अख्तर के बाद अब कांग्रेस की मेयर मुनेश गुर्जर के खिलाफ आपराधिक मुकदमा। यह कांग्रेस नेताओं की आपसी लड़ाई का नतीजा है। अधिकारियों के कंधों पर है बंदूक। तो क्या अब सौम्या गुर्जर की तरह मुनेश को भी हटाया जाएगा?

जयपुर हैरिटेज नगर निगम की कांग्रेसी मेयर मुनेश गुर्जर के खिलाफ निगम के ही अतिरिक्त आयुक्त राजेंद्र वर्मा ने जयपुर के माणक चौक थाने  में आईपीसी की धारा 332, 352, 342 और 506 में मुकदमा दर्ज करवा दिया है। इस मुकदमे में डिप्टी मेयर असलम फारुखी सहित छह पार्षदों को भी आरोपी बनाया गया है। पिछले दिनों ही अजमेर के सिविल लाइन थाने पर सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी की प्रदेश उपाध्यक्ष उनके पति इंसाफ अली, पुत्र अरशद सहित कांग्रेस के 20 कार्यकर्ताओं पर अजमेर ग्रामीण के बीडीओ विजय सिंह चौहान ने 9 आपराधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज करवाया है। नसीम ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से लेकर प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा तक से गुहार लगाई थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। सवाल उठता है कि क्या अधिकारियों में इतनी हिम्मत है कि सत्तारूढ़ पार्टी की मेयर और प्रदेश उपाध्यक्ष के खिलाफ मुकदमा दर्ज करावाएं? असल में मुकदमों का खेल कांग्रेस के नेताओं की आपसी लड़ाई का नतीजा है। जयपुर शहर से विधायक और प्रदेश के खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने स्वयं स्वीकार किया है कि मेयर के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाने से पहले अतिरिक्त आयुक्त राजेंद्र वर्मा उनसे मिले थे। वर्मा का आरोप है कि मेयर  मुनेश ने पार्षदों के साथ उनसे बदतमीजी की है। राजेंद्र वर्मा को हटाने के लिए मेयर ने पचास पार्षदों के साथ धरना भी दिया, लेकिन हटने के बजाए वर्मा ने मेयर के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवा दिया। वर्मा को मंत्री खाचरियावास का समर्थन है, इस बात का अंदाजा इससे भी लगता है कि खाचरियावास के विधानसभा क्षेत्र का एक भी पार्षद धरने में शामिल नहीं हुआ। खाचरियावास के वीटो पावर के कारण ही राजेंद्र वर्मा को निगम से नहीं हटाया जा सका। इस मुद्दे को लेकर नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल और खाचरियावास में भी तू तू मैं मैं हो चुकी है। यदि राजेंद्र वर्मा को खाचरियावास का समर्थन नहीं होता तो कांग्रेस की मेयर के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं हो सकता था। मेयर को जयपुर के विधायक और जलदाय मंत्री महेश जोशी का भी समर्थन है। कहा जा सकता है कि पार्टी में अपने विरोधियों को सबक सिखाने के लिए ही खाचरियावास ने पुलिस का दखल करवाया है।  इसी प्रकार कांग्रेस की प्रदेश उपाध्यक्ष नसीम अख्तर के खिलाफ जिस बीडीओ विजय सिंह चौहान ने मुकदमा दर्ज करवाया। उस पर भी आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ का हाथ है। नसीम ने तो खुला आरोप लगाया है कि चौहान ने राठौड़ के दबाव में ही मुकदमा दर्ज करवाया है। जयपुर और अजमेर की दोनों  ही घटनाएं राजनीतिक हैं। जयपुर में राजेंद्र वर्मा ने निगम की मेयर द्वारा दुव्र्यवहार करने का आरोप लगाया तो अजमेर में बीडीओ चौहान ने नसीम उनके पति पर सरकारी कामकाज में बाधा उत्पन्न करने का आरोप लगाया है। अधिकारियों के कंधों पर बंदूक रखकर अपनी ही पार्टी के विरोधियों पर निशाना लगाने के इन मामलों की जानकारी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी है, लेकिन इसे गहलोत की राजनीतिक मजबूरी ही कहा जाएगा कि वे पार्टी के दबंग नेताओं के सामने लाचार हैं। 
तो क्या मुनेश को हटाया जाएगा:
आपराधिक मुकदमा दर्ज होने के बाद सवाल उठता है कि क्या राज्य सरकार अब  मुनेश गुर्जर को मेयर के पद से हटाएगी? जो आरोप  मुनेश पर लगे हैं वो ही आरोप जयपुर ग्रेटर नगर निगम की भाजपा की मेयर सौम्या गुर्जर पर भी लगे थे। सौम्या के खिलाफ भी तत्कालीन आयुक्त ने ही मुकदमा दर्ज करवाया था।  सरकार ने इस मुकदमे को आधार बनाकर ही सौम्या को मेयर के पद से हटा दिया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सौम्या गुर्जर फिर से बहाल हो गई। 

S.P.MITTAL BLOGGER (29-06-2023)
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