छत्तीसगढ़ जैसी कवायद राजस्थान में नहीं चाहते अशोक गहलोत। गहलोत के सालासर चिंतन शिविर से खुश नहीं है आला कमान। डोटासरा और रंधावा का दो दिवसीय दिल्ली दौरा निरर्थक। गहलोत दे सकते हैं तीखी प्रतिक्रिया।
राजस्थान और छत्तीसगढ़ दोनों ही बड़े राज्यों में चार माह बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं। अभी दोनों ही राज्यों में कांग्रेस की सरकारें हैं। इसीलिए कांग्रेस आला मकान खास कर राहुल गांधी दोनों राज्यों में सक्रिय हैं। 28 जून को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, प्रदेशाध्यक्ष टीएस सिंह देव, प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा आदि के साथ दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े और राहुल गांधी ने लंबी मंत्रणा की। देर रात को प्रदेशाध्यक्ष सिंह देव को छत्तीसगढ़ का उपमुख्यमंत्री घोषित कर दिया। सिंह देव का भी छत्तीसगढ़ में वैसा ही प्रभाव है, जैसा राजस्थान में सचिन पायलट का। सीएम भूपेश बघेल कांग्रेस हाईकमान की इस बात से सहमत रहे कि टीएस सिंह देव के सहयोग से ही छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार रिपीट हो सकती है। उपमुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद सिंह देव ने भी संतोष जाहिर किया है।
गहलोत नहीं चाहते ऐसी कवायद:
छत्तीसगढ़ सरकार में जो राजनीतिक कवायद हुई है, वैसी कवायद राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नहीं चाहते हैं। सूत्रों के अनुसार 28 जून को छत्तीसगढ़ को लेकर जो बड़ी बैठक हुई वैसी ही बैठक 27 जून को राजस्थान को लेकररखी गई थी, लेकिन इस बैठक में सीएम गहलोत नहीं गए। गहलोत के नहीं आने से बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष खडग़े और राहुल गांधी ने भी भाग नहीं लिया। ऐसे में प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा को संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल से ही बैठक करने का दिखावा करना पड़ा। डोटासरा और रंधावा 28 जून को भी दिल्ली में रहे, लेकिन दोनों की दो दिन की यात्रा निरर्थक रही है। सूत्रों के अनुसार सीएम गहलोत एक और दो जुलाई को सालासर में कांग्रेस का जो चिंतन शिविर लग रहे हैं उससे कांग्रेस हाईकमान खुश नहीं है। हाईकमान का मानना है कि जब तक अशोक गहलोत और सचिन पायलट एक नहीं होते, तब तक ऐसे चिंतन शिविर कोई मायने नहीं रखते हैं। बदली हुई परिस्थितियों में प्रभारी रंधावा को भी हाईकमान का प्रतिनिधि नहीं माना जा रहा है। रंधावा भले ही सीएम गहलोत के साथ शिविर में कांग्रेस विधायकों और पदाधिकारियों सेसंवाद करे, लेकिन इस संवाद पर हाईकमान की सहमति नहीं है। सूत्रों के अनुसार 28 जून की शाम को रंधावा और डोटासरा से संक्षिप्त मुलाकात में राष्ट्रीय अध्यक्ष खडग़े ने आला कमान की भावनाओं से अवगत करवा दिया है। कांग्रेस हाईकमान राजस्थान के प्रभारी रंधावा, प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा और सीएम गहलोत से नाराज है, इस बात का पता 85 प्रदेश सचिवों की नियुक्ति पर रोक लगाने से चलता है। हालांकि यह सूची डोटासरा ने रंधावा की सहमति से जारी की थी। यदि हाईकमान रंधावा को अपना प्रतिनिधि मानता तो सूची पर रोक नहीं लगाता। डोटासरा और रंधावा के दो दिवसीय दिल्ली दौरे में भी 85 सचिवों वाली सूची पर सहमति नहीं बनी हे, जबकि 10 दिन पहले रोक लगाने के समय डोटासरा ने कहा था कि हाईकमान की सहमति से सूची को जल्द ही पुन: जारी कर दिया जाएगा। हाईकमान द्वारा सूची जारी नहीं करने से रंधावा और डोटासरा को भी राजनीतिक दृष्टि से अपमानित होना पड़ रहा है। कांग्रेस में अभी 28 जिलाध्यक्षों की नियुक्ति भी नहीं हुई है। ऐसी नियुक्तियां भी गहलोत और पायलट के झगड़े में उलझी हैं।
तीखी प्रतिक्रिया आ सकती है:
कांग्रेस हाईकमान सचिन पायलट को लेकर जिस तरह दबाव बना रहा है, उससे सीएम गहलोत बेहद नाराज बताए जाते हैं। कांग्रेस हाईकमान ने गत वर्ष 25 सितंबर को जब गहलोत की सहमति के बगैर कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई तो गहलोत ने समानांतर बैठक करवा दी और स्वयं के समर्थन में 90 विधायकों के इस्तीफे भी करवा दिए। सूत्रों के अनुसार गहलोत अब 25 सितंबर से भी बड़ी प्रतिक्रिया दे सकते हैं। एक और दो जुलाई वाला सालासर चिंतन शिविर गहलोत की तीखी प्रतिक्रिया की पृष्ठभूमि ही माना जा रहा है। गहलोत किसी भी कीमत पर सचिन पायलट का सहयोग नहीं चाहते हैं। गहलोत का रुख आला कमान के सामने बहुत बड़ी चुनौती है।
S.P.MITTAL BLOGGER (29-06-2023)
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