अजमेर में अब सिंधी साहित्य पर शोध हो सकेगा। सिंधी भाषा में लिखी रामायण और महाभारत भी उपलब्ध। हिंदी और अंग्रेजी से भी समृद्ध है सिंधी भाषा। इस भाषा को बोलने वाले ही सिंधी कहलाए।

जब सीमाओं का विभाजन नहीं था तब भारत में सिंधी भाषा बोलने वालों का दबदबा था। मौजूदा समय में पाकिस्तान में बहने वाली सिंधु नदी के किनारे जो आबादी क्षेत्र था उसे ही सिंध प्रांत कहा गया सिंधी भाषा को लेकर हिंदू और मुसलमान में भी कोई भेद नहीं था मुसलमान और हिंदू दोनों ही सिंधी भाषा बोलते थे विभाजन के समय मुसलमान सिंध प्रांत में ही रह गए जबकि सिंधी भाषा बोलने वाले हिंदू भारत आ गए भारत में आने वाले सिंधी भाषी लोगों को ही सिंधी कहा गया असल में सिंधी कोई जाति और समुदाय नहीं है सिंध से आने वाले हिंदू ही हैं क्योंकि सिंधी भाषी लोगों को मजबूरी में अपनी मातृभूमि छोड़नी पड़ी इसलिए सिंधी भाषा का अपेक्षित विकास नहीं हो सका माना जाता है कि विभाजन के समय सबसे ज्यादा सिंधी भाषा हिंदू अहमदाबाद और अजमेर में आए यही वजह है कि जब अजमेर में सिंधी समाज महासमिति ने सिंधी साहित्य को एकत्रित करने का अभियान चलाया है। समिति के अध्यक्ष कमल प्रकाश किशनानी और महासचिव हरी चंद्रनानी ने बताया कि अब तक सिंधी भाषा की चार हजार पुस्तकें एकत्रित की जा चुकी है इन पुस्तकों में रामायण और महाभारत जैसे सनातन संस्कृति के ग्रंथ भी हैं हमारा प्रयास है कि इस साहित्य को पहले देवनागरी और फिर हिंदी भाषा में लिखा जाए ताकि सिंधी साहित्य अधिक लोगों तक पहुंच सके इसके लिए अजमेर के कोटडा के प्रगति नगर में श्री अमरापुर सेवाघर के द्वितीय तल पर एक शोध केंद्र बनाया गया है इस केंद्र का शुभारंभ 2 जुलाई को प्रातः 10ः30 बजे होगा केंद्र के शुभारंभ के बाद कोई भी शोधार्थी यहां आकर शोध कार्य कर सकता है किशनानी ने कहा कि किसी भी व्यक्ति के पास सिंधी भाषा का साहित्य उपलब्ध है तो वह स्वेच्छा से अपने साहित्य को इस केंद्र में जमा करवा सकता है। सिंधी साहित्य को सुरक्षित रखने के लिए अच्छी व्यवस्था की गई है केंद्र का प्रयास है कि सिंधी भाषा की सभी पुस्तकों का डिजिटाइजेशन करवाया जाए ताकि साहित्य को सुरक्षित रखा जा सके उन्होंने बताया कि 1857 में हुई क्रांति में भी सिंध प्रांत यानी सिंधी भाषा बोलने वाले की भूमिका थी अब भूमिका को लेकर लिखी पुस्तकें भी केंद्र पर उपलब्ध है उन्होंने बताया कि पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में हिंगलाज माता का जो मंदिर है। वही हिंगलाज माता सिंधी भाषा बोलने वाले हिंदुओं की कुलदेवी है सिंध इतिहास और साहित्य शोध संस्थान के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 935139710, 9829070059 पर कमल प्रकाश किशनानी से ली जा सकती है।S.P.MITTAL BLOGGER (30-06-2023)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9929383123To Contact- 9829071511

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