तो राजेंद्र गुढ़ा के आधे से ज्यादा आरोप तो धर्मेंद्र राठौड़ ने स्वीकार कर लिए हैं। गांधी डायरी में लाल-काली लिखावट के बारे में मुख्यमंत्री के भरोसेमंद आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ ही जानते हैं। अजमेर के कांग्रेसियों को अब यह समझ लेना चाहिए कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, धर्मेन्द्र राठौड़ का पक्ष क्यों लेते हैं?
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भरोसेमंद आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ ने यह स्वीकार कर लिया है कि 13 जुलाई 2020 को जयपुर में जब इनकम टैक्स और ईडी के अधिकारियों ने उनके निवास पर छापामार कार्यवाही की थी, जब अधिकारियों ने मेरे हाथ से लिखी तीन डारियां भी जब्त की थी। राठौड़ ने यह भी स्वीकार किया कि घटना के समय राजेंद्र गुढ़ा उनसे मिलने आए थे। राजेंद्र गुढ़ा उनके पारिवारिक मित्र हैं। राठौड की इस स्वीकारोक्ति के बाद बर्खास्त मंत्री और मौजूदा समय में कांग्रेस के विधायक राजेंद्र गुढ़ा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और धर्मेन्द्र राठौड़ को लेकर जो गंभीर आरोप लगाए हैं वे आधे से ज्यादा सच हो गए हैं। यह बात अलग है कि आधा सच स्वीकारने में धर्मेन्द्र राठौड़ को छह दिन लग गए। अपनी ही सरकार पर प्रतिकूल टिप्पणी करने पर सीएम गहलोत ने 21 जुलाई की रात को राजेंद्र गुढ़ा को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया था। अगले ही दिन गुढ़ा ने लाल डायरी का जिक्र कर कांग्रेस की राजनीति में भूचाल ला दिया। गुढ़ा ने कहा कि 13 जुलाई 2020 को जब धर्मेंद्र राठौड़ के घर पर छापामारी हो रही थी, सीएम गहलोत ने मुझे राठौड़ के घर भेजा और करोड़ों के हिसाब किताब वाली डायरी लाने को कहा। मैं अपनी जान जोखिम में डालकर राठौड़ के घर गया और डायरी लेकर आया। यदि मैं यह डायरी नहीं लाता तो अशोक गहलोत जेल में होते। गुढ़ा ने जब यह आरोप लगाया, तब यही माना गया कि गुढ़ा झूठ बोल रहे हैं। कोई डायरी होती तो अब तक बाहर आ जाती, लेकिन अब जब खुद धर्मेन्द्र राठौड़ ने ही डायरी जब्त होने और गुढ़ा के आने की बात स्वीकार कर ली है तो लाल डायरी के बहुचर्चित प्रकरण में दम आ गया है। भाजपा ने पहले ही कह दिया है कि लाल डायरी को चुनावी मुद्दा बनाया जाएगा। चूंकि जब्त डायरियां इनकम टैक्स के अधिकारियों के पास हैं, इसलिए उसमें लिखी बातों की जानकारी अब राजेंद्र गुढ़ा को आसानी से उपलब्ध हो जाएंगी। धर्मेन्द्र राठौड़ भले ही डायरियों को गांधीवादी बताएं, लेकिन इस गांधी डायरी में क्या लाल-काल लिखा गया है, यह धर्मेन्द्र राठौड़ अच्छी तरह जानते हैं। कांग्रेस के ही एक विधायक ने राठौड़ को सत्ता का दलाल कहा है। वैसे सब जानते हैं कि अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री पद पर टिकाए रखने में धर्मेन्द्र राठौड़ जैसे लोगों की ही भूमिका है। बसपा के छह विधायकों को कांग्रेस में शामिल करवाने का मामला हो या फिर गत वर्ष 25 सितंबर को अशोक गहलोत के समर्थन में कांग्रेस विधायकों की समांनतर बैठक बुलाने का। सभी राठौड़ की सक्रिय भूमिका रही। कांग्रेस के विधायकों को कैसे बुलाया जाता है, यह सच्चाई तो खुद सीएम गहलोत ने बताई है। गहलोत ने अपनी ही पार्टी के विधायकों पर 20-20 करोड़ रुपए लेने का आरोप लगाया है। धर्मेन्द्र राठौड़ ने यह भी स्वीकार किया है कि वे गांधी डायरी में अपनी दिन भर की गतिविधियां लिखते हैं। स्वाभाविक है कि राठौड़ ने बसपा वाले विधायकों को कांग्रेस में लाने और 25 सितंबर को समानांतर बैठक बुलाने की सच्चाई भी लिखी होगी। चूंकि कांग्रेस के विधायक ही सत्ता का दलाल मानते हैं, इसलिए राठौड़ ने डायरी में बहुत कुछ लिखा होगा। राजेंद्र गुढ़ा ने तो सिर्फ एक डायरी की बात कही है, जबकि धर्मेन्द्र राठौड़ तीन डायरियों की बात कह रहे हैं। गुढ़ा ने कैबिनेट मंत्री शांति धारीवाल और महेश जोशी के चरित्र को लेकर भी गंभीर आरोप लगाए। महेश जोशी ने गुढ़ा पर मानहानि का मुकदमा दर्ज करने की बात कही है, लेकिन अब महेश जोशी को सोच विचार कर मुकदमा करना चाहिए, क्योंकि गांधी डायरी में धर्मेन्द्र राठौड़ की लिखावट है।
सीएम गहलोत इसलिए लेते हैं पक्ष:
इनकम टैक्स और ईडी के अधिकारियों ने तीन डायरियां जब्त की है, इस सच के उजागर होने के बाद अजमेर के कांग्रेसियों खास कर पूर्व मंत्री नसीम अख्तर, उनके पति इंसाफ अली, वरिष्ठ नेता महेंद्र सिंह रलावता, शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय जैन आदि को यह समझ में आ जाना चाहिए कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, धर्मेन्द्र राठौड़ का इतना पक्ष क्यों लेते हैं? सीएम गहलोत के संरक्षण के कारण ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी की उपाध्यक्ष रहते हुए नसीम अख्तर और उनके पति के खिलाफ 9 आपराधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज हो गया। एक मुकदमा रलावता के पुत्र के खिलाफ दर्ज हुआ। राठौड़ का अजमेर पुलिस में इतना दबदबा है कि नियमों के विरुद्ध एसकॉर्ट वाहन उपलब्ध करवाया जाता है। सीएम गहलोत का डर दिखा कर ही राठौड़ ने अजमेर में कांग्रेस को अपने कब्जे में कर लिया है। दो वर्ष पहले अजमेर की राजनीति में सक्रिय हुए राठौड़ के सामने सभी नेता नतमस्तक हैं। इसलिए राठौड़ कभी पुष्कर तो कभी अजमेर उत्तर में चुनाव लड़ने की इच्छा जताते हैं। कभी पुष्कर के विकास के लिए पांच सौ करोड़ रुपए लाने का दावा करते हैं तो कभी अजमेर उत्तर क्षेत्र के मंदिरों का विकास देवस्थान विभाग से करवाने की बात करते हैं। फिलहाल राठौड़ ने अपना फोकस अजमेर उत्तर पर कर खा है। अजमेर के नेताओं को यह समझना चाहिए कि धर्मेन्द्र राठौड़ की लिखी डायरियां जब्त होने से सीएम गहलोत कितने दबाव में होंगे। विरोधियों को अब राजेंद्र गुढ़ा एक हथियार के तौर पर मिल गए हैं। यह बात अलग है कि यही डायरियां धर्मेन्द्र राठौड़ को राजनीति से बाहर भी कर सकती हैं। अशोक गहलोत भी एक सीमा तक दबाव बर्दाश्त करेंगे।
S.P.MITTAL BLOGGER (27-07-2023)
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