सीकर के कलाम कोचिंग पर ईडी का छापा। क्या राजस्थान में कांग्रेस की राजनीति में भूचाल आएगा? कोर्ट के चक्करों का अब अहसास होगा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को।

राजस्थान में कोटा के बाद सबसे ज्यादा ज्यादा कोचिंग संस्थान और विद्यार्थी सीकर मे ंहैं। सीकर में जो कोचिंग संस्थान चल रहे हैं उनमें सबसे बड़ा कलाम कोचिंग संस्था है। 2020 में स्थापना के बाद से अब तक सीकर में नवलगढ़ रोड पर दो बड़े कैम्पस के साथ साथ जयपुर में भी कैम्पस शुरू कर दिया है। विद्यार्थियों का मानना है कि इस कोचिंग सेंटर में जो मॉडल पेपर दिए जाते हैं, उन्हीं में से प्रतियोगी परीक्षा का प्रश्न पत्र आता है। इस धारण के चलते ही सबसे ज्यादा विद्यार्थी कलाम कोचिंग सेंटर में पढ़ते हैं। भाजपा नेताओं का आरोप है कि पूर्व स्कूली शिक्षा मंत्री और सत्तारूढ़ कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और इस कोचिंग सेंटर के संचालकों के बीच सांठगांठ है। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा आयोजित रीट की परीक्षा के समय तो अभ्यर्थियों ने अन्य कोचिंग सेंटरों को छोड़ कर कलाम में प्रवेश लिया। ईडी ने हाल ही में रीट और वरिष्ठ अध्यापक भर्ती परीक्षा के घोटाले मामले दर्ज किए हैं। पेपर घोटालों की जांच पड़ताल के लिए ही 7 अगस्त को कलाम कोचिंग के सीकर के कार्यालयों में छापामार कार्यवाही हुई। इस अवसर पर सुरक्षा के लिए केंद्रीय सुरक्षा बल के सशस्त्र जवान भी मौजूद रहे। ईडी की इस कार्यवाही को बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। आरोप है कि इस कोचिंग सेंटर के संचालकों ने बड़े पैमाने पर हवाला में पैसों का लेनदेन किया है। ईडी के अधिकारियों ने कोचिंग सेंटर के खातों को भी जांच पड़ताल की है। इस छापामार कार्यवाही पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा है कि इस कोचिंग सेंटर से उनका कोई लेना-देना नहीं है। जिसने गलत किया है वही डरेगा। 
कोर्ट के चक्कर:
संजीवनी को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटी के प्रकरण में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर जो टिप्पणी की, उस मामले में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सात अगस्त को एसीजेएम कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपनी उपस्थिति दर्ज करानी पड़ी। अदालती कार्यवाही में जो समय लगा उस पर सीएम गहलोत ने अपनी टिप्पणी में कहा कि मुझे फलोदी जाना था, लेकिन कोर्ट में उपस्थिति देने के कारण विलंब हो गया है। यूं तो मानहानि का मामला पिछले छह माह से चल रहा है, लेकिन सात अगस्त को पहली बार गहलोत को वीसी के जरिए अपनी उपस्थिति दर्ज करवानी पड़ी। यदि रिवीजन कोर्ट से वीसी वाली छूट नहीं मिलती तो गहलोत को 7 अगस्त को दिल्ली जा कर अदालत में उपस्थिति दर्ज करवानी पड़ती। 7 अगस्त को भी सीएम गहलोत की ओर से आग्रह किया गया कि उन्हें पेशी पर उपस्थित होने से छूट मिले। लेकिन एसीजेएम कोर्ट ने छूट देने से मना कर दिया। कोर्ट का कहना रहा कि छूट रिवीजन कोर्ट ही दे सकती है। एसीजेएम कोर्ट में मानहानि के मामले में आगामी तारीख 21 अगस्त निर्धारित की है। हो सकता है कि इस तारीख पर गहलोत को जमानत मुचलका प्रस्तुत करना पड़े। हालांकि इससे पहले 19 अगस्त को रिवीजन कोर्ट में सुनवाई होनी है। गहलोत चाहते हैं कि उन्हें अदालत में बार बार उपस्थित होने से छूट मिल जाए। इससे पहले भी गहलोत ने दिल्ली जिला अदालत में एक याचिका दायर कर एसीजेएम कोर्ट के समन पर रोक लगाने की मांग की थी। गहलोत का तर्क था कि गजेंद्र सिंह शेखावत ने मीडिया में प्रसारित खबरों के आधार पर ही मानहानि का दावा कर दिया है। लेकिन जिला न्यायालय ने गहलोत की याचिका को खारिज कर दिया। इसमें कोई दो राय नहीं की मानहानि के इस मुकदमे के कारण गहलोत को अदालतों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। इससे गहलोत को आम आदमी की परेशानी का अंदाजा हो जाएगा। उल्लेखनीय है कि गहलोत ने संजीवनी घोटाले में केंद्रीय मंत्री शेखावत और उनके परिजन को आरोपी बताया है। 


S.P.MITTAL BLOGGER (08-08-2023)

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