तो क्या आनासागर के किनारे बनी आवासीय कॉलोनियों और पक्के निर्माणों को भी तोड़ दिया जाएगा? नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के फैसले का असर। सवाल-आखिर पाथ-वे के निर्माण का फैसला किस सरकार में हुआ?

दावा किया जा रहा है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने अजमेर के आनासागर को लेकर जो फैसला दिया है, उसमें आनासागर के भराव क्षेत्र में बने पाथवे, सेवन वंडर की इमारत आदि को तोड़ दिया जाएग। इन सब कार्यों पर कोई 100 करोड़ रुपए की राशि खर्च हुई है। यह सभी निर्माण कार्य केंद्र सरकार के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत हुए हैं। सामाजिक कार्यकर्ता अशोक मलिक और भाजपा नेता धर्मेश जैन का कहना है कि एनजीटी ने आनासागर के संरक्षण को पहली प्राथमिकता दी है। एनजीटी ने आना सागर के भराव क्षेत्र में हुए सभी निर्माणों को गैर कानूनी माना है। मालूम हो कि पूर्व में हाईकोर्ट ने भी आनासागर नो कंस्ट्रक्शन जोन में हुए निर्माणों को अतिक्रमण मानते हुए तोड़ने के आदेश दिए थे। नगर निगम और अजमेर विकास प्राधिकरण ने संयुक्त कार्यवाही करते हुए आनासागर के किनारे बनी अधिकांश आवासीय कॉलोनियों के मकानों को अतिक्रमण में चिन्हित कर क्रॉस के निशान लगा दिए। पुष्कर रोड स्थित महावीर कॉलोनी से लेकर किनारे बने सभी मकानों, दुकानों कॉम्प्लेक्स, समारोह स्थलों रेस्टोरेंट आदि सभी अतिक्रमण माना गया। सरकार ने 2013 में आना सागर के भराव क्षेत्र को नो कंस्ट्रक्शन जोन घोषित किया था, लेकिन सरकारी कर्मियों ने चालीस वर्ष पहले बने मकानों को भी अतिक्रमण माना। अब जब एनजीटी का फैसला सरकारी निर्माणों को तोड़ने के लिए आया है तो सवाल उठता है कि क्या आवासीय कॉलोनियों को भी तोड़ दिया जाएगा? जबकि कई खातेदारों ने अपने मकानों पर हाईकोर्ट से स्टे ले रखा है। यह सही है कि पाथवे के निर्माण के समय पानी को रोकने के लिए लाखों टन मिट्टी आनासागर में डाली गई, लेकिन पाथवे के निर्माण के बाद मिट्टी को बाहर नहीं निकाला गया। आरोप है कि पाथवे व अन्य निर्माण से आनासागर का चालीस प्रतिशत क्षेत्रफल कम हो गया है। एनजीटी के फैसले की क्रियान्विति कब और कैसे होगी, यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन सवाल यह भी है कि आनासागर के भराव क्षेत्र में पाथवे के निर्माण का फैसला किस पार्टी की सरकार में हुआ? भले ही पाथवे का अधिकांश कार्य कांग्रेस के शासन में हुआ हो, लेकिन निर्माण पर स्वीकृति और रीजनल कॉलेज के सामने सबसे पहले पाथवे भाजपा के शासन में हुआ। तब स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के सीईओ तत्कालीन जिला कलेक्टर गौरव गोयल थे और नगर निगम के मेयर के पद पर धर्मेन्द्र गहलोत आसीन थे। तब भी इस क्षेत्र के विधायक वासुदेव देवनानी ही थे। चूंकि भाजपा शासन में देवनानी स्कूली शिक्षा मंत्री थे, इसलिए रीजनल कॉलेज के सामने बने पाथवे के निर्माण कार्य का शिलान्यास भी देवनानी और धर्मेन्द्र गहलोत ने किया था। भले ही भाजपा के नेता आज आना सागर के पाथवे का विरोध कर रहे हों, लेकिन निर्माण तो भाजपा नेताओं की सहमति से ही हुआ था। तब यह तर्क दिया गया कि पाथवे बनने से आनासागर का प्राकृतिक सौंदर्य और निखरेगा। तब बर्ड पार्क के सपने भी दिखाए गए। 


S.P.MITTAL BLOGGER (07-08-2023)

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