पत्रकारिता की आड़ में चीन के इशारे पर देश विरोधी काम करेंगे तो कार्यवाही होगी ही। संरक्षण देने के बजाए पत्रकार संगठनों को भी ऐसे कृत्यों की आलोचना करनी चाहिए।

दिल्ली पुलिस ने न्यूज़ पोर्टल न्यूज क्लिक के खिलाफ आतंकवाद विरोधी कानून (यूएपीए) के तहत मुकदमा दर्ज कर पोर्टल के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ और एचआर हैड अमित चक्रवर्ती को गिरफ्तार कर लिया है। पत्रकार अभिसार शर्मा, उर्मिलेश,  ऑनिंदो चक्रवर्ती,  परंजॉय गुहा तथा इतिहासकार सोहेल हाशमी से छह घंटे पूछताछ करने के बाद छोड़ दिया। पुलिस का आरोप है कि यह पोर्टल विदेशी फंडिंग लेकर भारत में चीन एजेंडा चलाता है। इससे पोर्टल के पत्रकार भी शामिल हैं। दिल्ली पुलिस के पास वे तमाम दस्तावेज हैं जिनसे पता चलता है कि पोर्टल ने विदेशों से करोड़ों रुपए की फंडिंग प्राप्त की और देश विरोधी खबरें चलाई। यह सही है कि भारत में लोकतंत्र है। लेकिन इस आजादी का यह मतलब यह नहीं है कि पत्रकारिता की आड़ में देश विरोधी काम किया जाए। बेवजह देश को बदनाम करने वाली खबरें यदि कोई पोर्टल या मीडिया संस्थान चलाएगा तो उसके खिलाफ कार्यवाही होगी ही। जिस चीन के इशारे पर भारत के कुछ पत्रकार एजेंडा चला रहे हैं, उन्हें एक बार चीन का दौरा कर वहां की पत्रकारिता भी देख लेनी चाहिए। पहली बात तो चीन में सरकार विरोधी कोई पत्रकार है ही नहीं। यदि कोई पत्रकार कभी विरोध करने का का प्रयास करता है तो उसे तत्काल ठिकाने लगा दिया जाता है। कोई पत्रकार सरकार की गलती भी उजागर नहीं कर सकता है। असल में चीन को सीमा पर भारत से प्रतिकूल हालातों का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए अब चीन ने भारत के अंदर माहौल खराब करना शुरू कर दिया है। मिजोरम में अशांति के पीछे भी चीन का ही हाथ है। चीन को अब भारत में न्यूज क्लिक जैसे पोर्टल और कुछ पत्रकार भी मिल गए हैं, इसलिए उसका एजेंडा तेजी से चल रहा है। दिल्ली पुलिस को इस बात की शाबाशी मिलनी चाहिए कि उसने न्यूज क्लिक का असली चेहरा दिखा दिया है। जहां तक एडिटर्स गिल्ड, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया जैसे पत्रकार संगठनों की भूमिका का सवाल है तो उन्हें भी देश विरोधी गतिविधियों की आलोचना करनी चाहिए। सिर्फ पत्रकार होने के नाते ऐसे व्यक्तियों को संरक्षण नहीं देना चाहिए। अब जब पूरी दुनिया में भारत का डंका बज रहा है, तब कुछ पत्रकार दुश्मन देश चीन के इशारे पर देश की बदनामी करेंगे तो कार्यवाही होगी ही। जी-20 के सम्मेलन में भारत की पहल पर जिस तरह अफ्रीकी यूनियन को स्थायी सदस्य बनाया, उसकी पूरे विश्व में प्रशंसा हो रही है। उर्मिलेश अभिसार शर्मा, परंजॉय गुहा जैसे पत्रकार समझे कि जी-20 समूह के दिल्ली सम्मेलन को बिगाड़ने या महत्वहीन करने के लिए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ऐन मौके पर आने से मना कर दिया, लेकिन फिर भी भारत ने सम्मेलन के अंत में सर्व सम्मति वाला प्रस्ताव पास करवा दिया। यह भी तब जब दुनिया यूक्रेन और रूस के युद्ध के कारण बंटी हुई है। ऐसे पत्रकारों को अपने देश को चीन की फंडिंग से नहीं बल्कि अपनी आंखों से देखना चाहिए। ऐसे पत्रकारों को अब यह भी समझना चाहिए कि पत्रकारिता की आड़ में देश विरोधी काम नहीं करने दिया जाएगा। मजबूत नेतृत्व वाले इस देश में जब बीबीसी जैसे मीडिया संस्थान पर बड़ी कार्यवाही हो सकती है, तब चीनी फंड से चलने वाले एक न्यूज़ पोर्टल की बिसात ही क्या है?

S.P.MITTAL BLOGGER (04-10-2023)

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