राजनीति के भ्रष्टाचार को मिटाने पर इतना हंगामा क्यों? विपक्षी दलों की राज्य सरकारों को भाजपा नेताओं के भ्रष्टाचार पर भी कार्यवाही करनी चाहिए। राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने तो भाजपा के शासन में भ्रष्टाचार होने से ही मना कर दिया।
देश की राजनीति से भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए चार अक्टूबर को दो बड़ी कार्यवाही हुई। आम आदमी पार्टी शासित दिल्ली के बहुचर्चित शराब घोटाले में इस पार्टी के राज्य सभा सांसद संजय सिंह को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार कर लिया। इसी घोटाले में इससे पहले दिल्ली सरकार के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को भी गिरफ्तार किया गया था जो पिछले चार माह से जेल में ही है। आरोप है कि अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने शराब लॉबी को फायदा पहुंचाया और सौ करोड़ रुपए से भी ज्यादा राशि प्राप्त की। इस घोटाले में जो लोग पकड़े हैं वे अब सबूत सहित बता रहे कि दिल्ली सरकार के कौन कौन से नेता घोटाले में शामिल हैं। इसी प्रकार 4 अक्टूबर को ही भूमि के बदले रेलवे में नौकरी देने के मामले में पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, उनके पुत्र और मौजूदा समय में बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और पूर्व सीएम श्रीमती राबड़ी देवी को दिल्ली की एक अदालत से जमानत करानी पड़ी है। आरोप है कि लालू प्रसाद जब रेल मंत्री थे, तब उन्होंने गरीब लोगों की जमीन ली और जमीन के बदले रेलवे में नौकरी दे दी। लालू प्रसाद इससे पहले भी चारा घोटाले में दोषी ठहराए जा चुके हैं। राजनीति में से भ्रष्टाचार मिटाने पर इन दिनों जो कार्यवाहियां हो रही है, उसके विरोध में विपक्षी दल एकजुट होकर हंगामा कर रहे हैं। अब तक यह कहा जाता था कि भ्रष्टाचार करने वाले नेताओं का कुछ नहीं बिगड़ता, लेकिन देश में पिछले दस वर्ष से उन नेताओं के खिलाफ भी कार्यवाही हो रही है जिन्होंने मंत्री, मुख्यमंत्री, विधायक, सांसद और अन्य प्रभावशाली पदों पर रहते हुए भ्रष्टाचार किया। जनता पर इस कार्यवाही का असर भी हो रहा है और अब लोग कहने लगे हैं कि जो नेता भ्रष्टाचार करेगा वह जेल भी जाएगा। इसमें कोई दो राय नहीं कि नेताओं के खिलाफ कार्यवाही करने की प्रभावी पहल मोदी सरकार में हुई है। इन कार्यवाहियों से यह उजागर हो गया है कि राजनीति में कौन कौन से चेहरे भ्रष्टाचारी है। लेकिन इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि गिरफ्तार होने के बाद ऐसे नेता सीधे पीएम मोदी पर आरोप लगाते हैं। कोर्ट से जमानत के बाद तेजस्वी यादव ने कहा कि हम मोदी के खिलाफ बोलते हैं, इसलिए हमारे खिलाफ मुकदमे दर्ज करवाए जा रहे हैं, लेकिन तेजस्वी यादव यह नहीं बताते कि उनके पिता ने मंत्री रहते हुए जमीन लेकर नौकरी क्यों दी। इसी प्रकार गिरफ्तारी के बाद संजय सिंह ने कहा कि वे संसद में मोदी अडानी के खिलाफ बोलते हैं, इसलिए उन्हें गिरफ्तार किया गया है। लेकिन संजय सिंह यह नहीं बताते कि वे शराब के कारोबारियों को अपने साथ अरविंद केजरीवाल से मिलने क्यों ले गए?
भाजपा नेताओं पर भी कार्यवाही हो:
भ्रष्टाचार के आरोप में पकड़े गए नेताओं का कहना है कि ऐसी कार्यवाही भाजपा के नेताओं पर क्यों नहीं होती। क्या भाजपा के सारे नेता ईमानदार हैं। हो सकता है कि मोदी सरकार में भाजपा नेताओं को बाया जा रहा हो, लेकिन देश में पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, बिहार, हिमाचल, पंजाब, उड़ीसा आदि अनेक राज्य हैं, जहां भाजपा की सरकार नहीं है। ऐसे राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भ्रष्ट भाजपा नेताओं के खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिए। मोदी पर आरोप लगाने के बजाए विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों पर भाजपा नेताओं के खिलाफ मुकदमे दर्ज करने चाहिए। यहां यह खासतौर से उल्लेखनीय है कि राजस्थान में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने पत्र लिखकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से आग्रह किया था कि गत भाजपा शासन में हुए भ्रष्टाचार की जांच करवाई जाए। पायलट ने कहा कि वर्ष 2018 में हम भाजपा के भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भी चुनाव जीते। ऐसे में हमारी जिम्मेदारी है कि भ्रष्ट भाजपा नेताओं पर कार्यवाही हो, लेकिन सीएम गहलोत ने पायलट की इस मांग को सार्वजनिक तौर पर खारिज कर दिया। गहलोत ने कहा कि सरकार के पास ऐसा कोई सबूत नहीं है जिसके अंतर्गत भाजपा शासन के भ्रष्टाचार की जांच करवाई जा सके। यदि पायलट के पास कोई सबूत हो तो वे लिखित में दे। सीएम के इस कथन से प्रतीत होता है कि भाजपा के शासन में भ्रष्टाचार नहीं हुआ। फिर भी यदि किसी राज्य के मुख्यमंत्री को भाजपा का भ्रष्टाचार नजर आता है तो तत्काल कार्यवाही करनी चाहिए।
S.P.MITTAL BLOGGER (05-10-2023)
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