प्रेम में फंसी लड़की जब मां से मिलने से मना करती है, तब बहुत दुख होता है। 12वीं कक्षा तक के बच्चों को मोबाइल और मोटर साइकिल नहीं देनी चाहिए। परंपराओं की आड़ में गलत को सही नहीं ठहराया जा सकता। समाज की बुराइयों पर अजमेर के नवनियुक्त पुलिस अधीक्षक देवेंद्र विश्नोई का वीडियो।
राज्य सरकार के हाल ही के झुंझुनूं के पुलिस अधीक्षक देवेंद्र बिश्नोई को अजमेर का पुलिस अधीक्षक नियुक्त किया है। अजमेर में पदभार संभालने से पहले ही बिश्नोई का सोशल मीडिया पर समाज की बुराइयों को लेकर एक वीडियो वायरल हो रहा है। यह वीडियो झुंझुनूं के एक सामाजिक समारोह में विश्नोई के भाषण पर है। चूंकि समाज सुधार के लिए यह वीडियो प्रेरणादायक है इसलिए मैं वीडियो पर ब्लॉग लिख रहा हंू। देवेंद्र बिश्नोई भले ही कानून से बंधे पुलिस अधीक्षक के पद पर कार्यरत हो, लेकिन समाज की बुराइयों को मिटाने के लिए उन्होंने दो टूक बातें कहीं है। बिश्नोई का कहना है कि पुलिस अधीक्षक के पद पर रहते हुए प्रतिदिन तीन मामले प्रेम प्रसंग के आते हैं। इनमें रिलेशनशिप में रहने वाली लड़कियों के मामले भी होते हैं। मुझे तब बहुत दुख होता है जब एक लड़की अपनी मां से मिलने से इंकार कर देती है, जिस मां ने बच्ची को 18 वर्ष तक पाला वह लड़की मां से मिलने से इंकार कर दे तो अभिभावकों को बच्चों की परवरिश के तरीकों पर विचार करना जरूरी है। आखिर हम अपने बच्चों को कौनसी शिक्षा दे रहे हैं। विश्नोई का कहना है कि नए जमाने के दौर में अभिभावकों और बच्चों के बीच दूरी बढ़ गई है, इसलिए लड़के लड़कियां घर से बाहर प्यार मोहब्बत में उलझ जाते हैं। अभिभावकों को अपने बच्चों से लगातार संवाद और संपर्क रखना चाहिए। विश्नोई ने कहा कि जब मेरा इकलौता बेटा स्कूल जाने लगा तो मैंने स्पष्ट तौर पर कहा कि 12वीं कक्षा तक मोबाइल व मोटर साइकिल की मांग मत करना। यदि मेरा बेटा इन दोनों चीजों की मांग करता तो मैं उसकी गुद्दी (गर्दन) पर दो थप्पड़ मारता। बेटे को यह पता था कि मेरे पिता सख्त मिजाज के हैं, इसलिए दोनों चीजें नहीं दिलवाएंगे। विश्नोई ने कहा कि आज मोबाइल ही बच्चों को सबसे ज्यादा बिगाड़ रहा है। मोबाइल को देखकर जब बच्चे उड़ान भरते हैं तो फिर नीचे नहीं आते हैं। उन्होंने कहा कि हम बच्चों को लाड़ नहीं कर रहे है बल्कि बिगाड़ रहे हैं। परंपराओं को सही ठहराना गलत:विश्नोई ने कहा कि मारवाड़ में अफीम से मनुहार करने की परंपरा है, लेकिन इस परंपरा की आड़ में बच्चे नशा करने लगे तो यह गलत है। समाज की परंपरा अपनी जगह है, लेकिन नशे को कभी भी जायज नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने कहा कि किसी भी धर्म में नशे को जायज नहीं ठहराया गया है। जब हम अपने धर्म के अनुरूप चलने की बात कहते हैं तो हमें नशा से भी दूर रहना चाहिए, लेकिन इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि बच्चे बीड़ी सिगरेट के साथ साथ हुक्का तक पीने लगे हैं। इतना ही नहीं देर रात तक बार में शराब का सेवन किया जाता है। जो बच्चे रात को अपने घर पर देर से पहुंचते हैं उनके अभिभावकों को चिंता जानी चाहिए। नवनियुक्त पुलिस अधीक्षक देवेंद्र विश्नोई का वीडियो मेरे फेसबुक पेज www.facebook.com/SPMittalblog पर देखा जा सकता है। S.P.MITTAL BLOGGER (18-02-2024)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9929383123To Contact- 9829071511