अयोध्या के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को पीएम मोदी ने भगवान राम के एक हजार वर्ष के शासन से जोड़ा। अब राष्ट्र रूपी मंदिर का निर्माण भी हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसलों को कृष्ण-सुदामा की कहानी से जोड़ा। मोदी के इन कथनों को देशवासियों को समझने की जरुरत।

19 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के संभल के एंचौड़ा कंबोह कल्कि धाम मंदिर का शिलान्यास किया। मालूम हो कि कल्कि धाम मंदिर का निर्माण कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे आचार्य प्रमोद कृष्णम द्वारा कराया जा रहा है। इस अवसर पर पीएम मोदी ने जो बातें कही उससे पहले मैं यहां आचार्य प्रमोद कृष्णम की बातों को लिख रहा हंू। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार शबरी को विश्वास था कि एक दिन राम आएंगे। विदुर को विश्वास था कि एक दिन कृष्ण आएंगे। उसी प्रकार मुझे भी विश्वास था कि नरेंद्र मोदी एक दिन उनके धाम आएंगे और आज उनका यह विश्वास हकीकत में बदल गया है। वही पीएम मोदी ने कहा कि आचार्य प्रमोद कृष्णम जब कांग्रेस में थे, तब उन्हें कहा गया कि मंदिर निर्माण से कानून व्यवस्था बिगड़ जाएगी, इसलिए आचार्य अपने कल्कि धाम मंदिर का निर्माण शुरू नहीं कर सके, लेकिन मुझे लगता है कि कुछ लोग ऐसे काम मेरे लिए ही छोड़ते हैं। अब इस स्थान पर कल्कि धाम मंदिर का निर्माण तेजी से होगा। मुझे बताया गया कि इस धाम में दस भगवानों के गर्भगृह भी बनेंगे। मोदी ने प्रमोद कृष्णम को कहा कि वे देश के लोगों की भावना के अनुरूप मंदिर का निर्माण करे। मालूम हो कि सनातन संस्कृति में माना जाता है कि कल्कि भगवान का अवतार होना अभी शेष है। मोदी ने कहा कि भगवान राम ने जब शासन किया था, तब उसका प्रभाव आगामी एक हजार वर्ष तक रहा। गत 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान राम की प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा समारोह हुआ, इसका प्रभाव भी एक हजार वर्ष तक रहेगा। मोदी ने कहा कि जहां देश के साधु संत मंदिरों का निर्माण करवा रहे हैं उसी तरह मैं भी राष्ट्र रूपी मंदिर का निर्माण कर रहा हंू। उन्होंने कहा कि आज हम किसी का अनुसरण नहीं कर रहे बल्कि उदाहरण पेश कर रहे है। यह सांस्कृतिक नव निर्माण का अहम क्षण है। मोदी ने भगवान राम के प्रभाव वाले एक हजार वर्ष के शासन को जिस तरह 22 जनवरी के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से जोड़ा है उससे देशवासियों को पीएम मोदी के कथनों को समझने की जरूरत है। मोदी चाहते कितने वर्ष भी प्रधानमंत्री रहे, लेकिन वे एक ऐसी व्यवस्था कायम करने में लगे हुए है जो भारत की सनातन संस्कृति को आगामी एक हजार वर्षों तक प्रभावी बनाए रखे। भारत में यदि सनातन संस्कृति का प्रभाव बना रहता है तो सभी धर्मों के लोग सुरक्षित रहेंगे। मोदी चाहते हैं कि भारत में सभी धर्मों के लोग शांति और समृद्धि के साथ रहे। संभल में कल्कि धाम का निर्माण हो या फिर अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बनाने का काम। उज्जैन के महाकाल मंदिर में कॉरिडोर और वाराणसी में काशी विश्वनाथ के मंदिर का जीर्णोद्धार। इन सभी धार्मिक कार्यों से सनातन संस्कृति को तो मजबूती मिली, लेकिन इससे किसी दूसरे धर्म के लोगों को नुकसान नहीं हुआ। इसके विपरीत आज हम पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान आदि देशों के हालात देख रहे हैं। चूंकि मौजूदा समय में भारत में सनातन संस्कृति का प्रभाव है, इसलिए सभी धर्मों के लोग शांति और समृद्धि के साथ रह रहे हैं। 
तो कृष्ण पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लग जाते:
कल्कि धाम के शिलान्यास पर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि मोदी जी मेरे पास देने को कुछ भी नहीं है। मैं सिर्फ अपनी भावनाएं आपके समझ प्रकट कर सकता हंू। इसके जवाब में मोदी ने कहा कि अच्छा हुआ कि आचार्य ने मुझे कुछ नहीं दिया। आज यदि भगवान कृष्ण होते तो और सुदामा से चावल की पोटली ले लेते तो सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल हो जाती और सुप्रीम कोर्ट भी अपने फैसले में सुदामा की पोटली को भ्रष्टाचार मानकर फैसला दे देता। हालांकि मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के किसी फैसले पर टिप्पणी नहीं की, लेकिन मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के हाल ही के कुछ फैसलों की ओर इशारा जरूर किया। 

S.P.MITTAL BLOGGER (20-02-2024)

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