एनजीटी के आदेश के मद्देनजर ठेकेदार ने आनासागर के बने लेक व्यू होटल को खाली किया। नगर निगम पर धोखे में रखने का आरोप। सेवन वंडर की इमारतें भी टूटेगी। सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं। आनासागर में जलकुंभी के लिए कौन जिम्मेदार?
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत अजमेर के आनासागर के किनारे लव कुश गार्डन के परिसर में लेकव्यू होटल का निर्माण किया गया था। फूड कोर्ट के नाम पर बनाए गए इस होटल को नगर निगम ने 38 लाख रुपए सालाना राशि पर ठेके पर दे दिया। फूड कोर्ट का स्थान लेने के बाद ठेकेदार दीपक जैन ने कोई पांच करोड़ रुपए का निवेश कर होटल को आकर्षक बनाया। आनासागर के किनारे बना यह होटल शहरवासियों और आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा। लेकिन पिछले दिनों नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने आनासागर के भराव क्षेत्र में बने सेवन वंडर के साथ साथ लेक व्यू होटल को भी तोड़ने के आदेश दिए। एनजीटी के आदेश के खिलाफ स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट और नगर निगम के अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से भी कोई राहत नहीं मिल पाई। एनजीटी के आदेश के मद्देनजर ठेकेदार दीपक जैन ने 21 फरवरी को नगर निगम के आयुक्त को एक पत्र दिया है। इस पत्र में कहा गया है कि निगम ने धोखे में रखकर उसके साथ अनुबंध किया। जब यह स्थान आनासागर के भराव क्षेत्र में था तो फिर फूड कोर्ट क्यों बनाया गया? जैन ने कहा कि निगम ने तथ्यों को छुपाकर अनुबंध किया है, इसलिए वह अनुबंध को समाप्त कर रहे हैं। निगम ने अब तक 18 लाख रुपए की जो राशि ली है, उसे वापस किया जाए। इतना ही नहीं उन्होंने जो निवेश किया है, उसकी भरपाई संबंधित अधिकारियों से करवाई जाए। जैन ने फूड कोर्ट को खाली करने की सूचना भी निगम के आयुक्त को दी है। फूड कोर्ट के खाली हो जाने के बाद अब आनासागर के किनारे बने सेवन वंडर की इमारतों के टूटने का समय भी निकट आ गया है। सेवन वंडर का प्रवेश शुल्क वसूलने का काम भी निगम के ठेके पर दे रखा है। मालूम हो कि एनजीटी ने आनासागर के भराव क्षेत्र में हुए सभी निर्माणों को तोड़ने के आदेश दिए हैं। लेक व्यू होटल भराव क्षेत्र में बना है, इसका सबूत विद्युत निगम द्वारा बिजली का कनेक्शन नहीं दिया जाना है। भराव क्षेत्र होने के कारण निगम ने कनेक्शन देने से मना कर दिया था, लेकिन जब नगर निगम ने अनुबंध कर फूड कोर्ट को ठेके पर दे दिया, तब अनुबंध के आधार पर विद्युत कनेक्शन दिया गया।
जलकुंभी का साम्राज्य:
नगर निगम प्रशासन आनासागर में नावें और स्टीमर चलाकर प्रतिवर्ष करोड़ों रुपया कमा रहा है। अब तो सेवन वंडर की इमारतों को भी ठेके पर दे दिया है। इतना ही नहीं आनासागर के किनारे जो चौपाटी बनाई गई है, उसमें भी कई जगह फूड कोर्ट खोल दिए गए है। यहां तक कि बच्चों के लिए खेलकूद की जगह भी ठेके पर दे दी गई है, लेकिन इसके बाद भी आनासागर में फैली जलकुंभी को निकालने का काम नहीं किया जा रहा है। अखबारों में आए दिन जलकुंभी के फोटो प्रकाशित होते हैं, लेकिन प्रशासन पर कोई असर नहीं होता। ऐसा प्रतीत होता है कि निगम प्रशासन अखबारों को पढ़ता ही नहीं है। आनासागर के आधे भाग में जलकुंभी का साम्राज्य हो गया है। आरोप है कि जेसीबी मशीन से जलकुंभी निकालने का काम सिर्फ कागजों में होता है। ठेकेदार निगम से पैसा तो ले लेता है, लेकिन आनासागर से जलकुंभी नहीं निकालता। निगम ने पूर्व में जलकुंभी निकालने के लिए मशीन खरीदी थी, लेकिन यह मशीन कबाड़ हो गई है। इसलिए ठेकेदारों से जलकुंभी निकालने का काम किया जाता है। चूंकि निगम में भ्रष्टाचार व्याप्त है, इसलिए आनासागर में चारों तरफ जलकुंभी नजर आ रही है।
S.P.MITTAL BLOGGER (22-02-2024)
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