यूपी में 80 में से 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी कांग्रेस, इससे राहुल गांधी को अपनी पार्टी की स्थिति का अंदाजा लगा लेना चाहिए। पंजाब की सीमा पर किसानों से नहीं, बल्कि दबंगो से हो रहा है मुकाबला। हालात चिंताजनक।
इंडी एलायंस के गठन के बाद 21 फरवरी को यह पहला अवसर रहा, जब उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में सीटों का समझौता हो गया। कांग्रेस यूपी की 80 में से मात्र 17 सीटों पर सहमत हो गई है। लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए राहुल गांधी देश भर में भारत जोड़ों यात्रा कर रहे हैं, लेकिन 80 में से मात्र 17 सीटों पर समझौता करने से राहुल गांधी को अपनी पार्टी की स्थिति का अंदाजा लगा लेना चाहिए। राजनीति में कहा जाता है कि केंद्र में सत्ता हासिल करने के लिए यूपी ही दरवाजा है। चूंकि लोकसभा की सर्वाधिक सीटें यूपी में ही है। इसलिए हर राजनीतिक दल का फोकस यूपी पर रहता है। कांग्रेस के साथ हुए समझौते से जाहिर है कि अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा अब 63 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इसमें कोई दो राय नहीं कि अखिलेश ने राजनीतिक चतुराई दिखाते हुए कांग्रेस के साथ अपनी शर्तों पर समझौता किया। राहुल गांधी की यात्रा आने से पहले अखिलेश ने कहा कि हमें तो अभी तक भी यात्रा का निमंत्रण नहीं मिला है। इस पर कांग्रेस ने हाथों हाथ यात्रा की जानकारी देकर निमंत्रण दे दिया, लेकिन राहुल गांधी की यात्रा ने जैसे ही यूपी की सीमा में प्रवेश किया वैसे ही अखिलेश ने यात्रा में शामिल होने से इंकार कर दिया। अखिलेश ने शर्त रखी कि पहले सीटों पर समझौता हो। अखिलेश के सामने घुटने टेकते हुए 21 फरवरी को कांग्रेस ने सीटों पर समझौता कर लिया। इसके लिए भी कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी को अखिलेश के सामने गिड़गिड़ाना पड़ा। असल में कांग्रेस को भी पता है कि यूपी में कितनी बुरी दशा है। 2019 में कांग्रेस को सिर्फ रायबरेली की सीट पर जीत हासिल हुई। यहां से सोनिया गांधी सांसद हैं, लेकिन इस बार सोनिया गांधी भी रायबरेली से चुनाव नहीं लड़ेंगी। सोनिया गांधी राजस्थान से राज्यसभा के लिए चुन ली गई है। यानी कांग्रेस के सबसे बड़े नेता ने ही चुनाव लडऩे से इनकार कर दिया है। राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लड़ेंगे या नहीं इसकी घोषणा अभी तक नहीं हुई है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी, पंजाब में अरविंद केजरीवाल, जम्मू कश्मीर में फारूक अब्दुल्ला व महबूबा मुफ्ती ने भी कांग्रेस के साथ समझौता करने से इंकार कर दिया है। मौजूदा समय में लोकसभा में कांग्रेस के 52 सांसद है। इस बार कितने सांसद चुने जाएंगे, इसका पता परिणाम के बाद चलेगा, लेकिन यह सही है कि 2019 के चुनावों में कांग्रेस का अधिकांश राज्यों में सूपड़ा साफ हो गया था। इस बार कांग्रेस की स्थिति पहले से ज्यादा खराब है।
दबंगों से मुकाबला:
पंजाब की सीमा पर हरियाणा पुलिस का मुकाबला किसानों से नहीं, बल्कि दबंगों से है। एमएसपी पर कानून बनाने की मांग को लेकर दस हजार से ज्यादा (दबंग) पंजाब की सीमा पर बैठे हैं। इन किसानों के पास पोकलेन, जेसीबी मशीन तो हैं ही साथ ही जलाने के लिए पराली और मिर्च का पाउडर भी है। पोकलेन और जेसीबी मशीन को मॉडिफाइड और हाईटेक किया गया है। यह मशीनें पुलिस के किसी भी अवरोध को तोड़ सकती है। नदी में पुल बनाने के लिए पांच हजार से ज्यादा मिट्टी के कट्टे रखे गए हैं। हर किसान के पास कोई न कोई हथियार है। किसी पास तलवार तो किसी के पास लोहे की चद्दर है। यानी किसान पुलिस की किसी भी कार्यवाही से मुकाबला करने के लिए तैयार है। पुलिस ने किसानों पर नियंत्रण करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे हैं, लेकिन इन गोलों का दबंगों पर कोई असर नहीं हो रहा है। दबंग चाहते है कि दिल्ली जाए और फिर इसी तरह अपनी ताकत का प्रदर्शन करे। जो दबंग पंजाब सीमा पर बैठे हैं वह माने या नहीं, लेकिन इन्हें अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार का खुला समर्थन है। यही वजह है कि नेशनल हाईवे पर खड़ी मशीनों को जब्त करने की कार्यवाही नहीं हो रही है। सब जानते हैं कि केजरीवाल केंद्र सरकार से बेहद खफा है। केंद्र सरकार के अधीन काम करने वाली जांच एजेंसी ईडी ने छठी बार केजरीवाल को समन जारी किया है। दिल्ली के बहुचर्चित शराब घोटाले में केजरीवाल की भी भूमिका बताई जा रही है। केजरीवाल को भी आशंका है कि दिल्ली के डिप्टी चीफ मिनिस्टर मनीष सिसोदिया की तरह ईडी उन्हें भी गिरफ्तार कर जेल में डाल देगी। अब देखना होगा कि जब 10 हजार से ज्यादा दबंग किसान दिल्ली आने के लिए उतावले है, तब ईडी केजरीवाल को गिरफ्तार कैसे करती हैं?
S.P.MITTAL BLOGGER (22-02-2024)
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