पीएम मोदी की उपस्थिति में हुई बैठक में राजस्थान के उम्मीदवारों पर मुहर लगी। विधायक का चुनाव हारे हुए सांसदों को टिकट नहीं। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की राय को भी प्राथमिकता। भूपेंद्र यादव के भिवानी से चुनाव लड़ने की चर्चा। चंद्रशेखर अभी भी संगठन महासचिव की भूमिका में। मेघवाल ने बीकानेर में चुनाव कार्यालय शुरू किया।
29 फरवरी को रात 11 बजे तक दिल्ली के भाजपा मुख्यालय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक हुई। इस बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी, सतीश पूनिया, राजेंद्र राठौड़ आदि नेताओं ने भी भाग लिया। माना जा रहा है कि इस बैठक में राजस्थान के लोकसभा चुनाव के उम्मीदवारों के नामों पर मुहर लग गई है। अब भाजपा की रणनीति के तहत उम्मीदवारों की घोषणा की जाएगी। हो सकता है कि पहली लिस्ट में 10 उम्मीदवारों की घोषणा हो। जानकार सूत्रों के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर पहली सूची एक दो दिन में जारी होगी। इसमें पीएम मोदी से लेकर केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव तक के नाम होंगे। इस सूची में उन्हीं उम्मीदवारों को शामिल किया गया जिनके नाम पर संबंधित संसदीय क्षेत्र में कोई विवाद नहीं है। सूत्रों के अनुसार 29 फरवरी को हुई बैठक में यह तय हो गया है कि राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में जिन सांसदों को विधायक का उम्मीदवार बनाया गया, उनमें से किसी को भी लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार नहीं बनाया जाएगा। हारे हुए सांसदों के नाम पर तो क्रॉस का निशान लगाया ही गया है, साथ ही विधायक का चुनाव जीते सांसदों को भी उम्मीदवार नहीं बनाए जाने का निर्णय लिया गया है। सूत्रों के अनुसार इन तीनों राज्यों में ऐसे कई सांसद हैं जो विधायक बनने के बाद मंत्री नहीं बन पाए हैं। ऐसे विधायक अपने संसदीय क्षेत्र से लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं। लेकिन भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने तय कर लिया है कि विधायक का चुनाव लड़ने वाले सांसदों को उम्मीदवार नहीं बनाया जाएगा।
राजस्थान में 6 सांसदों को विधानसभा चुनाव में विधायक का उम्मीदवार बनाया गया। इनमें से तीन दीया कुमारी, राज्यवर्धन सिंह राठौड़, बाबा बालक नाथ जीते, लेकिन अजमेर के भागीरथ चौधरी, नरेंद्र सिंह खींची और देवजी पटेल चुनाव हार गए। अपने क्षेत्र में चुनाव हारने के बाद भी तीनों सांसद फिर से चुनाव लड़ने के इच्छुक है। बाबा बालक नाथ मंत्री न बनाए जाने के कारण फिर से सांसद का चुनाव लड़ना चाहते हैं। सूत्रों के अनुसार भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया को अजमेर से और कांग्रेस शासन में भाजपा विधायक दल के नेता रहे राजेंद्र राठौड़ को राजसमंद से उम्मीदवार बनाए जाने पर निर्णय हो गया है। राठौड़ के नाम पर राजसमंद की निवर्तमान सांसद और प्रदेश की डिप्टी सीएम दीया कुमारी की भी सहमति है। जहां तक अजमेर का सवाल है तो मौजूदा सांसद भागीरथ चौधरी टिकट के लिए प्रयासरत है। विधानसभा चुनाव से पहले चौधरी को भाजपा के किसान मोर्चे का प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया गया, लेकिन इसके बाद ही चौधरी अपने ही संसदीय क्षेत्र के किशनगढ़ से विधायक का चुनाव हार गए। चौधरी तीसरे नंबर पर रहे। चौधरी से ज्यादा निर्दलीय प्रत्याशी सुरेश टांक को वोट मिले।
वसुंधरा की राय:
भाजपा लाल शर्मा के मुख्यमंत्री बनने के बाद पूर्व सीएम और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीमती वसुंधरा राजे शांत हैं। विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद तक राजे ने अपने घर पर भाजपा विधायकों को बुलाकर शक्ति प्रदर्शन किया, लेकिन भजनलाल शर्मा के मुख्यमंत्री बनने के बाद राजे ने अपनी राजनीतिक गतिविधियों को विराम लगा दिया। राजे के बदले हुए रुख को देखते हुए लोकसभा चुनाव के उम्मीदवारों के चयन में राजे की राय को प्राथमिकता दी जा रही है। 29 फरवरी को पीएम मोदी की उपस्थिति में हुई बैठक में वसुंधरा राजे का मौजूद रहना राजनीतिक दृष्टि से बहुत मायने रखता है। सतीश पूनिया और राजेंद्र राठौड़ भले ही विधायक का चुनाव हार गए हो, लेकिन भाजपा में इन दोनों नेताओं का भी महत्व बना हुआ है।
यादव की भिवानी से चर्चा:
केंद्रीय चुनावी समिति के सदस्य और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव के भिवानी (हरियाणा) से चुनाव लड़ने की चर्चा है। मीडिया में भाजपा उम्मीदवारों की जो संभावित सूची प्रकाशित हो रही है उसमें याव को भिवानी से उम्मीदवार बताया गया है। मालूम हो कि यादव गत दो बार से राजस्थान से राज्यसभा के सांसद चुने गए। लेकिन इस बार उन्हें राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवार नहीं बनाया गया। ऐसे में यादव के लोकसभा का चुनाव लड़ने की चर्चा जोरों पर है। राजनीति में यह पहला अवसर होगा जब यादव लोकसभा का चुनाव लड़ने जा रहे हैं।
चंद्रशेखर ही संगठन महासचिव:
चंद्रशेखर ही राजस्थान भाजपा के संगठन महासचिव की भूमिका निभा रहे हैं। पिछले दिनों चंद्रशेखर को तेलंगाना में संगठन महासचिव नियुक्त किया गया था, लेकिन राजस्थान में किसी को भी संगठन महासचिव का दायित्व नहीं दिया गया। ऐसे में चंद्रशेखर तेलंगाना के साथ-साथ राजस्थान में भी भाजपा के संगठन महासचिव की भूमिका निभा रहे हैं। 29 फरवरी को दिल्ली में पीएम मोदी की उपस्थिति में केंद्रीय चुनाव समिति की जो बैठक हुई उसमें भी चंद्रशेखर प्रदेश कोर कमेटी के सदस्य की हैसियत से उपस्थित रहे। चंद्रशेखर ने एक मार्च को दिल्ली में जोधपुर हाउस में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से वन टू वन मुलाकात की। माना जा रहा है कि राजस्थान के भाजपा उम्मीदवारों के चयन में चंद्रशेखर की राय को प्राथमिकता दी जा रही है। मालूम हो कि चंद्रशेखर पिछले सात वर्षों से राजस्थान में संगठन महासचिव की भूमिका निभा रहे हैं।
मेघवाल ने कार्यालय शुरू किया:
भले ही अभी लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवारों की घोषणा नहीं हुई हो, लेकिन बीकानेर के सांसद केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने एक मार्च से बीकानेर में लोकसभा चुनाव कार्यालय का शुभारंभ कर दिया है। होटल वृंदावन में खोले गए चुनाव कार्यालय के शुभारंभ पर अर्जुनराम मेघवाल स्वयं उपस्थित रहे। मेघवाल ने कहा कि अभी बीकानेर संसदीय क्षेत्र के सभी विधानसभा क्षेत्रों में कार्यालय खोले जाएंगे। उन्होंने उम्मीद जताई की बीकानेर के मतदाता गत बार की तरह इस बार भी भाजपा उम्मीदवार को जिताएंगे।
S.P.MITTAL BLOGGER (01-03-2024)
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