तो धर्मेन्द्र राठौड़ सचिन पायलट को अपने जाल में फंसाना चाहते हैं। क्या पायलट को राजनीति का कच्चा खिलाड़ी समझ रखा है। क्या अशोक गहलोत अपने गृह जिले जोधपुर से चुनाव लड़ने की हिम्मत दिखा सकते हैं?
गत कांग्रेस शासन में राजस्थान पर्यटन विकास निगम (आरटीडीसी) के अध्यक्ष रहे धर्मेन्द्र राठौड़ ने कहा है कि यदि पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट अजमेर संसदीय क्षेत्र से लोकसभा का चुनाव लड़ते हैं तो 8 विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस को बढ़त मिलेगी। राठौड़ ने पायलट को अजमेर कांग्रेस का सर्वाधिक लोकप्रिय नेता बताया। राठौड़ का मानना है कि पायलट को अजमेर से चुनाव लड़ना चाहिए। धर्मेन्द्र राठौड़ कांग्रेस के वो ही नेता है, जिन्होंने अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री रहते हुए पायलट को धोखेबाज और भाजपा के हाथों बिक जाने वाला नेता बताया था। राठौड़ ने कहा कि पायलट की वजह से कांग्रेस को नुकसान हुआ है। सवाल उठता है कि आखिर पायलट को लेकर धर्मेन्द्र राठौड़ का हृदय परिवर्तन क्यों हुआ? जानकार सूत्रों की माने तो धर्मेन्द्र राठौड़ अभी भी पायलट के दुश्मन हैं, लेकिन पायलट को अपने जाल में फंसाने के लिए पायलट की प्रशंसा कर रहे हैं। धर्मेन्द्र राठौड़ को भी पता है कि अजमेर से कांग्रेस के लिए लोकसभा चुनाव जीतना आसान नहीं है। हाल ही में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 8 में से 7 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। यह तब हुआ जब धर्मेन्द्र राठौड़ भी अजमेर की राजनीति में सक्रिय थे। कांग्रेस के उम्मीदवारों को जीतवाने में राठौड़ ने कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन फिर भी सात उम्मीदवार चुनाव हार गए। लेकिन अब राठौड़ को लगता है कि पायलट की उम्मीदवारी से लोकसभा चुनाव में जीत हो जाएगी। धर्मेन्द्र राठौड़ पायलट को लेकर कुछ भी कहे, लेकिन जमीनी हकीकत तो राठौड़ भी जानते है। राठौड़ का असली मकसद तो पायलट को अपने जाल में फंसाकर मारना है। सवाल उठता है कि क्या राठौड़ ने पायलट को राजनीति का कच्चा खिलाड़ी समझ रखा है? पायलट मौजूदा समय में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव है और उनके पास छत्तीसगढ़ का प्रभार है। पायलट की असल में जिम्मेदारी छत्तीसगढ़ में कांग्रेस उम्मीदवारों को जिताने की है।
क्या गहलोत हिम्मत दिखाएंगे:
अशोक गहलोत के कारण ही धर्मेन्द्र राठौड़ आरटीडीसी के अध्यक्ष बने थे। यह सही है कि गहलोत को पांच वर्ष तक मुख्यमंत्री बनाए रखने में राठौड़ सक्रिय भूमिका रही। 25 सितंबर 2022 को गहलोत के समर्थन में कांग्रेस विधायकों को एकत्रित करने में खास भूमिका निभाई। यदि राठौड़ कांग्रेस विधायकों को एकजुट नहीं करते तो इसी दिन अशोक गहलोत से मुख्यमंत्री पद छीन लिया जाता। कहा जा सकता है कि राठौड़ और गहलोत के बीच अटूट रिश्ता है। धर्मेन्द्र राठौड़ जो सलाह अजमेर में पायलट को दे रहे हैं, क्या वैसी सलाह गहलोत को जोधपुर में दी जा सकती है? जोधपुर गहलोत का गृह जिला है। क्या अशोक गहलोत जोधपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ने की हिम्मत जुटा सकते हैं? 2019 में गहलोत ने अपने पुत्र वैभव गहलोत को उम्मीदवार बनाया था, तब कांग्रेस की तीन लाख मतों से हार हुई। इस बार भी भाजपा ने जोधपुर से गजेंद्र सिंह शेखावत को उम्मीदवार घोषित किया है। देखना होगा कि गहलोत फिर से अपने पुत्र को उम्मीदवार बनाएंगे या नहीं। 2019 में गहलोत कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री थे, तब भी अपने पुत्र को सांसद नहीं बनवा सके।
S.P.MITTAL BLOGGER (05-03-2024)
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