आरपीएससी के दफ्तर में ही सदस्य मंजू शर्मा से एसीबी ने पूछताछ की। आरपीएससी पर अब और कितनी कालिख पुतेगी? प्रश्न बेचने के आरोप में एक सदस्य पहले ही जेल में है।

अजमेर स्थित राजस्थान लोकसभा आयोग (आरपीएससी) प्रदेश भर के युवाओं को सरकारी नौकरी देने का प्रमुख केंद्र है। लाखों युवाओं की नजर आयोग के दफ्तर में लगी रहती है, लेकिन 13 मार्च को आयोग के लिए काला दिन रहा। आयोग के दफ्तर में ही आयोग की सदस्य श्रीमती मंजू शर्मा से भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के अधिकारियों ने पूछताछ की। एसीबी ने पूर्व में राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त गोपाल केसावत को 18 लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा था। आरोप है कि यह रिश्वत आयोग की सदस्य श्रीमती संगीता आर्य और श्रीमती मंजू शर्मा के नाम पर ली गई। एसीबी ने 12 मार्च को संगीता आर्य से भी पूछताछ की, लेकिन संगीता आर्य ने आयोग के दफ्तर की पवित्रता का ख्याल रखते हुए, एसीबी को अपने सरकारी आवास पर बुलाया, लेकिन मंजू शर्मा ने तो एसीबी को आयोग के दफ्तर में ही बुला लिया। जिस आयोग पर लाखों युवाओं की नजर होती है, उस आयोग में किसी सदस्य से भ्रष्टाचार के आरोप में पूछताछ हो तो आयोग की पवित्रता का अंदाजा लगाया जा सकता है। आयोग के दफ्तर में ही सदस्य से पूछताछ होना आयोग पर कालिख पुतना जैसा है। इसे आयोग के लिए शर्मनाक ही कहा जाएगा कि आयोग के एक सदस्य बाबूलाल कटारा को पहले ही गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। कटारा पर भर्ती परीक्षाओं के प्रश्न पत्र बेचने के गंभीर आरोप है। कायदे से आयोग की कार्य प्रणाली कांच की तरह साफ होनी चाहिए ताकि युवाओं का भरोसा बना रहे। लेकिन मौजूदा समय में आयोग पर ऐसी कालिख जमा हो गई है जिसमें आयोग की कार्यप्रणाली नजर नहीं आ रही है। आयोग के कामकाज को छिपाने में मौजूदा अध्यक्ष संजय श्रोत्रिय की भी भूमिका है। अध्यक्ष के निर्देश पर आयोग मुख्यालय की किलेबंदी कर दी गई है। अच्छा हो कि छिपाने के बजाए आयोग के अध्यक्ष कामकाज में पारदर्शिता दिखाए। अध्यक्ष अपने रवैये के अनुरूप कामकाज को कितना भी छुपाए लेकिन सब जानते हैं कि अध्यक्ष के पद पर उनकी नियुक्ति किन हालातों में हुई है। संजय श्रोत्रिय को भी गत कांग्रेस शासन में आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सिफारिश पर श्रोत्रिय को अध्यक्ष बनाया गया। संगीता आर्य, मंजू शर्मा और बाबूलाल कटारा को भी कांग्रेस के शासन में नियुक्ति मिली थी। सब जानते हैं कि अशोक गहलोत ने किन परिस्थितियों में पांच वर्ष तक अपनी सरकार को चलाया। गहलोत सरकार का हर निर्णय राजनीति से जुड़ा हुआ था। आज भर्ती आयोग का जो चेहरा सामने है उसके पीछे भी गहलोत की राजनीति रही। 

S.P.MITTAL BLOGGER (14-03-2024)

Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9929383123To Contact- 9829071511

Print Friendly, PDF & Email

You may also like...