पूर्व विधायक सुरेश टाक और पलाड़ा परिवार फिर से भाजपा में। लौट के बुद्धिमान घर को आएं। गुर्जरों के आरक्षण के लिए संघर्ष करने वाले ओम प्रकाश भडाना को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला। जसवंत दारा का सटीक कार्टून।
16 मार्च को जयपुर में जिन 52 लोगों ने भाजपा की सदस्यता ली, उसमें अजमेर के किशनगढ़ के पूर्व विधायक सुरेश टाक, जिला प्रमुख श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा, पति भंवर सिंह पलाड़ा और पुत्र शिवराज सिंह पलाड़ा भी शामिल है। इन लोगों के भाजपा में शामिल होने से लोकसभा चुनाव में भाजपा को मजबूती मिलेगी। भाजपा के कई नेताओं को इस बात की शिकायत हो सकती है कि वो अनेक वर्षों से संगठन का काम कर रहे है, लेकिन उन्हें कभी भी सांसद, विधायक, जिला प्रमुख आदि बनने का अवसर नहीं मिला, लेकिन सुशील कंवर पलाड़ा और सुरेश टाक ऐसे भाग्यशाली भाजपाई रहे, जिन्होंने भाजपा को हराकर पद प्राप्त किया। चार साल पहले जिला प्रमुख के चुनाव में श्रीमती पलाड़ा ने भाजपा प्रत्याशी को हराकर ही जिला प्रमुख पद हासिल किया था। तब भाजपा से बगावत करने के कारण श्रीमती पलाड़ा और उनके पति भंवर सिंह पलाड़ा को भी भाजपा से निष्कासित कर दिया, लेकिन श्रीमती पलाड़ा अपने दम पर जिला प्रमुख के पद पर कायम रही। इसे पलाड़ा दंपत्ति का दम ही कहा जाएगा कि जिला परिषद में भाजपा का पूर्ण बहुमत होने के बाद भी जिला प्रमुख पद से नहीं हटाया जा सका। अब जब श्रीमती पलाड़ा फिर से भाजपा में शामिल हो गई, तब भाजपा सरकार में भी जिला प्रमुख के पद पर कोई खतरा नहीं है। जब कांग्रेस के शासन में भाजपा के सदस्यों को अपने पक्ष में बनाए रखा जा सकता है, तब भाजपा के शासन में भाजपा सदस्यों को साथ रखने में कोई परेशानी नहीं है। श्रीमती पलाड़ा दस वर्ष पहले भी जिला प्रमुख के पद पर रही। फिर मसूदा से भाजपा की विधायक भी रही। चार वर्ष पहले जिला प्रमुख के चुनाव में भाजपा ने उम्मीदवार नहीं बनाया तो श्रीमती पलाड़ा ने कांग्रेस के समर्थन से भाजपा प्रत्याशी को हराकर जिला प्रमुख का पद हासिल कर लिया। पलाड़ा दंपत्ति ने भाजपा और कांग्रेस के सामने अपना शक्ति प्रदर्शन करने में कभी कोई कसर नहीं छोड़ी। हाल ही के विधानसभा चुनाव में श्रीमती पलाड़ा के पुत्र शिवराज सिंह पलाड़ा ने नसीराबाद में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा। पलाड़ा ने अपने दम पर 15 हजार वोट हासिल कर दोनों दलों को चुनौती दी। पलाड़ा परिवार को भाजपा में शामिल करने के पीछे इस परिवार की राजनीतिक ताकत भी रही है। सब जानते हैं कि भंवर सिंह पलाड़ा हिंदुत्व के पक्षधर है। उनकी छवि एक हिंदूवादी नेता की रही है। पलाड़ा परिवार के शामिल होने से जिले में भाजपा की स्थिति और मजबूत होगी। इसी प्रकार सुरेश टाक भी 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराकर ही निर्दलीय विधायक बने। टाक ने पूरे पांच वर्ष अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को समर्थन दिया। यहां तक कि राज्य सभा के चुनाव में भी तीन बार कांग्रेस के समर्थन में वोट किया। टाक ने भी भाजपा और कांग्रेस के समक्ष अपनी ताकत का प्रदर्शन करने में कभी कोई कमी नहीं छोड़ी। हाल ही के विधानसभा चुनाव में टाक ने किशनगढ़ से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और 82 हजार से भी ज्यादा मत प्राप्त किए। 16 मार्च को जब जयपुर में सुरेश टाक भाजपा में शामिल हो रहे थे, तब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने मंच से कहा कि सुरेश टाक सिर्फ दो ढाई हजार मतों से पीछे रह गए। नहीं तो टाक आज सम्मानित विधायक होते। यानी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने भी सुरेश टाक की ताकत को सार्वजनिक तौर पर स्वीकार किया है। इसमें कोई दो राय नहीं कि टाक ने विधायक रहते हुए किशनगढ़ के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में जबरदस्त विकास करवाया। इसलिए उन्हें चुनाव में 82 हजार से भी ज्यादा मतदाताओं ने समर्थन दिया। यह बात अलग है कि सुरेश टाक की भाजपा में वापसी से मौजूदा सांसद भागीरथ चौधरी खुश नहीं है। सुरेश टाक की वजह से ही चौधरी को हाल ही के विधानसभा चुनाव में तीसरे नंबर पर रहना पड़ा। चौधरी ने सांसद रहते हुए विधायक का चुनाव लड़ा था। लेकिन भाजपा के प्रदेश नेतृत्व ने सुरेश टाक के किशनगढ़ में प्रभाव को देखते हुए वापसी करवाई। इसी प्रकार पलाड़ा परिवार भाजपा में शामिल होने में भाजपा के स्थानीय संगठनों की सहमति भी नहीं रही। भाजपा के कई नेता पलाड़ा की वापसी से खुश नहीं है। लेकिन भाजपा के प्रदेश नेतृत्व को राजस्थान की सभी 25 सीटों पर जीत दर्ज करना है। इसलिए बगावत करने वाले भाजपा नेताओं के लिए दरवाजे खुले हुए हैं। भाजपा में शामिल होने के बाद पलाड़ा परिवार और सुरेश टाक ने भरोसा दिलाया है कि अब अजमेर से लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार की जीत तय है।
भडाना को कैबिनेट मंत्री का दर्जा:
राजस्थान में गुर्जरों को आरक्षण का विशेष लाभ दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले आमे प्रकाश भडाना को देवनारायण बोर्ड का अध्यक्ष बनाकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है। भडाना अजमेर संसदीय क्षेत्र से भाजपा के टिकट की मांग कर रहे थे। भडाना को पहले भाजपा का प्रदेश महामंत्री नियुक्त किया गया, लेकिन तब भी भडाना ने लोकसभा चुनाव में अपनी दावेदारी नहीं छोड़ी तो उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया गया। अब भडाना ने कहा है कि देवनारायण विकास बोर्ड के माध्यम से गुर्जर समुदाय के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए काम करेंगे। भडाणा ने बोर्ड का अध्यक्ष बनाने के लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी का आभार जताया। इसमें कोई दो राय नहीं कि भडाना ने भाजपा संगठन के लिए बहुत काम किया है। वे 7 वर्ष तक भाजपा ओबीसी मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। मोर्चे का अध्यक्ष रहते हुए ही भडाना ने गुर्जर आरक्षण आंदोलन में सक्रिय भूमिका रही।
दारा का कार्टून:
कांग्रेस और भाजपा के बागी रहे नेताओं के भाजपा में शामिल होने पर जसवंत दारा ने सटीक कार्टून बनाया है। इस कार्टून को मेरे फेसबुक पेज www.facebook.com/SPMittalblog देखा जा सकता है।
S.P.MITTAL BLOGGER (17-03-2024)
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