देश के प्रधानमंत्री सुप्रीम कोर्ट और मीडिया को खुलेआम गालियां बकने के बाद भी विपक्ष कहता है-लोकतंत्र खतरे में है। दिल्ली रैली का शो इंडिया एलायंस का नहीं अरविंद केजरीवाल का था।
31 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में देश के विपक्षी दलों की जो रैली हुई, उसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सुप्रीम कोर्ट और मीडिया को जमकर गालियां दी गई। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे राहुल गांधी से लेकर आम आदमी पार्टी के पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान तक ने गालियां बकने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सभी का कहना रहा कि पीएम मोदी विपक्ष को चुनाव लडऩे से रोक रहे हैं। अदालतों में इसलिए सुनवाई नहीं हो रही कि सुप्रीम कोर्ट तक में दबाव में काम कर रहा है। मीडिया को खरीदा जा चुका है, इसलिए विपक्षी की खबरें प्रकाशित नहीं होती। यह बात अलग है कि जब विपक्ष के नेता मीडिया को गाली बक रहे थे, तब भी न्यूज चैनलों पर नेताओं के भाषण लाइव दिखाए जा रहे थे। किसी भी चैनल ने विपक्ष की रैली के कवरेज को दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यहां तक कि रामलीला मैदान में एक न्यूज चैनल के तीन तीन लाइव कैमरे लगे हुए थे। राहुल गांधी का पूरा भाषण प्रसारित किया गया। राहुल गांधी ने मोदी और उद्योगपतियों के कथित गठजोड़ के बारे में जो भी कहा उसे दिखाया गया। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में चुनावी चंदे को लेकर जो फैसला दिया उस से भाजपा सहित अनेक राजनीतिक दलों के सामने संकट खड़ा हुआ है। इससे पहले चंडीगढ़ के मेयर चुनाव में भी सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक फैसला दिया। देश के न्यायिक इतिहास में यह पहला अवसर रहा जब सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन अधिकारी के फैसले को रद्द कर दिया। इतना ही नहीं हारे हुए प्रत्याशी को मेयर भी घोषित कर दिया। सुप्रीम कोर्ट की इतनी निष्पक्षता के बाद भी विपक्षी दलों का मानना रहा है कि सुप्रीम कोर्ट तक दबाव में काम कर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी को सभी विपक्षी दलों के नेताओं ने गालियां दी। विपक्षी दल खासकर कांग्रेस को लगता है कि चुनाव में उनकी हार का कारण मोदी है। राहुल गांधी ने तो यहां तक कह दिया कि पीएम मोदी ने ईवीएम तक को अपने पक्ष में कर लिया है। विपक्ष उन नरेंद्र मोदी पर अंगुली उठा रहा है जिनकी दृढ़ इच्छा शक्ति से जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाया गया। आज जम्मू कश्मीर में आमतौर पर शांति है। अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण करवाया। मोदी ने सनातन धर्म को मानने वाले हिंदुओं को गौरवान्वित किया है। इतना ही नहीं भारत को दुनिया की तीसरी महाशक्ति भी बनाया जा रहा है। पूर्वोत्तर से लेकर जम्मू कश्मीर तक जो विकास किया है, उसका अहसास आम मतदाता कर रहा है। विपक्ष अपने निहित स्वार्थों के खातिर चाहे कितनी भी गालियां दे, लेकिन 2019 के चुनाव में मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा को 303 सीटें मतदाताओं ने दी। मतदाताओं के उत्साह और रुझान को देखते हुए ही इस बार मोदी ने 370 सीटों का लक्ष्य रखा है। सहयोगी दलों की सीटों की संख्या को मिलाकर चार सौ पार का नारा दिया है। 545 में से चार सौ सीट पीएम मोदी को मिलेगी तो फिर विपक्ष की स्थिति का अंदाजा लग जाएगा। असल में देश के रुझान को देखते हुए ही विपक्ष अभी से ही हार के कारण बता रहा है। यदि पीएम मोदी , सुप्रीम कोर्ट और मीडिया का गठजोड़ होता तो विपक्ष के नेता दिल्ली में इतनी गालियां नहीं बक सकते थे। जब विपक्ष के नेताओं को बोलने की इतनी आजादी है तब लोकतंत्र खतरे में कैसे हो सकता है? बड़ी अजीब बात है कि विपक्ष के नेता भारत में सनातन धर्म को खत्म करना चाहते हैं, लेकिन इसके साथ ही हिंदुओं से वोट की चाहत भी रखते हैं। सवाल उठता है कि जब सनातन धर्म को खत्म किया जा रहा है, तब हिंदू समुदाय कांग्रेस और विपक्षी दलों को वोट क्यों देगा?
केजरीवाल का शो:
31 मार्च को दिल्ली में हुई रैली के बारे में कहा जा रहा है कि यह विपक्षी दलों के इंडिया एलायंस की है। लेकिन अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव जैसे क्षेत्रीय दलों के नेताओं ने मंच से ही इंडिया एलायंस की पोल खोल दी। इन दोनों नेताओं ने अपने भाषण में रैली में भीड़ जुटाने के लिए आम आदमी पार्टी को श्रेय दिया। असल में यह रैली दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की शराब घोटाले में हुई गिरफ्तारी के विरोध में की गई थी। मंच पर सिर्फ अरविंद केजरीवाल का ही फोटो लगाया गया। जानकार सूत्रों के अनुसार केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल ने विपक्षी दलों के एक एक नेता से फोन पर बात कर रैली में आने का आग्रह किया। लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान क्षेत्रीय दलों के नेता इसलिए दिल्ली आए ताकि सुनीता केजरीवाल की हिम्मत बढ़ाई जा सके। कहा जा सकता है कि रैली का शो पूरी तरह केजरीवाल का था। चूंकि सुनीता केजरीवाल ने सोनिया गांधी से भी व्यक्तिगत तौर पर बात की थी इसलिए स्वयं सोनिया गांधी तो उपस्थित रही ही साथ ही उनके पुत्र राहुल गांधी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यख मल्लिकार्जुन खडग़े भी मौजूद रहे। टीएमसी, डीएमके, वादमल, सपा, बसपा आदि सभी दलों का रैली में प्रतिनिधित्व रहा। इस रैली में कांग्रेस के दर्द को राष्ट्रीय अध्यक्ष खडग़े ने उजागर किया। खडग़े ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से कहा कि यदि हम मिलकर चुनाव लड़ेंगे तो ही मोदी से मुकाबला कर सकते हैं। मालूम हो कि पंजाब में आप और कांग्रेस का गठबंधन नहीं हो सका है। आप ने दिल्ली में कांग्रेस को 7 में से सिर्फ तीन सीट दी है। जबकि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन करने से इंकार कर दिया है। यूपी में अखिलेश ने 80 में से मात्र 17 सीट कांग्रेस को दी है।
S.P.MITTAL BLOGGER (01-04-2024)
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