मोदी प्रधानमंत्री है, इसलिए राष्ट्रपति ने आडवाणी को घर जाकर भारत रत्न से सम्मानित किया। यह होता है अपने वरिष्ठ जनों के प्रति सम्मान।
सब जानते हैं कि नरेंद्र मोदी को राजनीति में आगे बढ़ाने में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की महत्वपूर्ण भूमिका रही। यदि आडवाणी आगे नहीं बढ़ाते तो आज नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के पद पर नहीं होते। अब जब मोदी प्रधानमंत्री है तो आडवाणी के प्रति सम्मान जताने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। मोदी प्रधानमंत्री है, इसलिए 31 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आडवाणी के घर जाकर भारत रत्न दिया। आडवाणी आज भी भाजपा से जुड़े हुए है। लेकिन फिर भी द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति के प्रोटोकॉल से हटकर शिष्टाचार निभाया और आडवाणी के प्रति सम्मान दिखाया। सवाल उठता है कि यदि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं होते तो क्या राष्ट्रपति घर जाकर आडवाणी को भारत रत्न देती? आमतौर पर अवार्ड लेने वाला व्यक्ति समारोह में नहीं आ पाता तो उसके किसी रिश्तेदार को अवार्ड दिया जाता है। ऐसी व्यवस्था आडवाणी पर लागू होती है, लेकिन इसे पीएम मोदी का व्यवहार ही कहा जाएगा कि आडवाणी को उनके निवास पर ही राष्ट्रपति से अवार्ड दिलवाया गया। कुछ लोग अवार्ड के समय पीएम मोदी के कुर्सी पर बैठे रहने को राष्ट्रपति का अपमान मान रहे है। ऐसे लोगों को यह समझना चाहिए कि लालकृष्ण आडवाणी का स्वास्थ्य बेहद कमजोर है। उनकी स्मृति पहले जैसी नहीं हे। एम मिनट के वीडियो को देखने से पता चलता है कि आडवाणी खड़े होने की स्थिति में नहीं है। आडवाणी के स्वास्थ्य को देखते हुए ही अवार्ड देने के दृश्य चैनलों पर लाइव नहीं दिखाए गए। जो एक मिनट का वीडियो सामने आया है, उसे रिकॉर्ड कर बाद में जारी किया गया। समय जो परिस्थितियां थी, उसमें आडवाणी के साथ मोदी का बैठे रहना जरूरी था। राष्ट्रपति जिस समारोह में जाते है उसमें राष्ट्रपति के प्रोटोकॉल निर्धारित किया गया है। उसी के अंतर्गत आडवाणी और मोदी को कुर्सी पर बैठाया गया। जो लोग राष्ट्रपति पद के अपमान की बात कर रहे हैं उन्हें यह समझना चाहिए कि आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति भी मोदी ने ही बनवाया है। मोदी चाहते थे कि एक आदिवासी महिला देश के सर्वोच्च पद पर बैठे। मोदी ने 60 साल की परंपराओं को तोड़ते हुए एक गरीब, आदिवासी और संघर्षशील महिला को राष्ट्रपति बनवाया। असल में देश का मतदाता समझता है कि राजनीति में कौन झूठ और कौन सच बोल रहा है। कुछ नेताओं को लगता है कि उनके झूठ को जनता सच मान लेगी।
S.P.MITTAL BLOGGER (01-04-2024)
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