पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा के सांसद पोते 33 वर्षीय प्रज्वल के एक हजार अश्लील वीडियो। यह है परिवारवादी पार्टी के बुरे परिणाम, देश की परिवारवादी पार्टियों पर मतदाता विचार करे।
पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के बड़े बेटे और विधायक रेवन्ना (67) के सांसद पुत्र प्रज्वल रेवन्ना (33) के एक हजार अश्लील वीडियो का मामला इन दिनों देश की राजनीति में छाया हुआ है। गंभीर बात यह है कि प्रज्वल अभी भी कर्नाटक की हासन सीट से अपने दादा के नेतृत्व वाली जेडीएस पार्टी के उम्मीदवार हैं। कर्नाटक महिला आयोग की अध्यक्ष नागलक्ष्मी चौधरी का कहना है कि वीडियो इतने अश्लील है कि उनके बारे में बताया भी नहीं जा सकता। पीड़ित महिलाएं प्रज्वल से स्वयं को छोड़ने की गुहार लगा रही है और प्रज्वल वीडियो बना रहा है। पीड़ित महिलाएं परिवार की सदस्य होने के साथ साथ पार्टी की वर्कर और अन्य क्षेत्रों में काम करने वाली हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि प्रज्वल एक गिरोह बनाकर महिलाओं को यौन शोषण कर रहा था। सवाल उठता है कि आखिर प्रज्वल ने इतने बड़े सैक्स प्रकरण को किस तरह अंजाम दिया? असल में प्रज्वल को इस बात का गुमान रहा कि उसके दादा देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं और पिता रवन्ना भी विधायक हैं। इतना ही नहीं उसके चाचा एचडी कुमारस्वामी भी मुख्यमंत्री रहे हैं। आज भी कर्नाटक में देवगौड़ा के नेतृत्व वाली जेडीएस का प्रभाव है। जब परिवार के सदस्य प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, सांसद, मंत्री, विधायक आदि के पदों पर रहे हैं तो फिर प्रज्वल के लिए महिलाओं का यौन शोषण करना आसान हो जाता है। देश के जो मतदाता परिवारवादी पार्टियों को वोट देते हैं, उन्हें सांसद प्रज्वल के ताजा सैक्स प्रकरण से सबक लेना चाहिए। सवाल यह भी है कि पार्टी का नेता सिर्फ अपने रिश्तेदारों को ही मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद और विधायक क्यों बनवाता है? क्या पार्टी के आम कार्यकर्ता सांसद या विधायक बनने के काबिल नहीं होते? एचडी देवगौड़ा ने अपने कुनबे के सभी सदस्यों को सांसद, विधायक बनवा दिया। यदि प्रज्वल पर सत्ता का नशा नहीं होता तो वह इतना बड़ा सैक्स प्रकरण नहीं कर पाता। 33 वर्षीय प्रज्वल को इस बात का घमंड रहा कि देश का कानून उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता, क्योंकि सभी राजनीतिक दलों को उसके दादा एचडी देवगौड़ा की जरूरत रहती है। उसके दादा पहले कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों की मदद से प्रधानमंत्री बने तो अब कर्नाटक के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने दादा की पार्टी के साथ गठबंधन कर रखा है। जानकारों की मानें तो भाजपा के बड़े नेताओं ने इस बार प्रज्वल को हासन सीट से उम्मीदवार बनाने का विरोध किया था, लेकिन देवगौड़ा अपने पोते के लिए अड़ गए। चूंकि भाजपा ने यह सीट समझौते में जेडीएस को दी थी, इसलिए भाजपा के नेता ज्यादा विरोध नहीं कर सके। भाजपा की यह राजनीतिक मजबूरी है कि उसे परिवार वादी जेडीएस से कर्नाटक में गठबंधन करना पड़ा है। यह बात अलग है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आए दिन परिवारवादी पार्टियों की आलोचना करते हैं। भाजपा जैसे दलों की राजनीतिक मजबूरियां कुछ भी हो, लेकिन देश के मतदाताओं को परिवारवादी पार्टियों पर विचार करना चाहिए। आज भले ही भाजपा जेडीएस के साथ हो, लेकिन कर्नाटक में कांग्रेस ने भी जेडीएस के साथ गठबंधन कर सरकार चलाई है।
S.P.MITTAL BLOGGER (29-04-2024)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9929383123To Contact- 9829071511