दरगाह में मंदिर होने के दावे के विरोध में देशभर के मुस्लिम संगठन जमात एकजुट। प्रतिनिधियों की बयानबाजी के बीच अजमेर प्रशासन ख्वाजा साहब के उर्स की तैयारियों में जुटा। मुस्लिम एकता मंच ने सौहार्द बनाए रखने की अपील की।

ख्वाजा साहब का 813 वां 6 दिवसीय सालाना उर्स चांद दिखने पर 1 जनवरी से शुरू हो जाएगा। इससे पहले 28 दिसंबर को दरगाह के बुलंद दरवाजे पर उर्स का झंडा चढ़ाया जाएगा। अजमेर के जिला कलेक्टर लोकबंधु और पुलिस अधीक्षक वंदिता राणा ने 7 दिसंबर को भी दरगाह परिसर और उर्स मेला क्षेत्र का जायजा लिया। उर्स के दौरान कोई गड़बड़ी न हो इसके लिए कलेक्टर एसपी मुस्तैद हैं। इन दोनों अधिकारियों के लिए उर्स की तैयारियां करना पहला अवसर है। एक और जिला प्रशासन उर्स की तैयारियों में जुटा हुआ है तो वहीं दरगाह में मंदिर होने के दावे के विरोध में देशभर के मुस्लिम संगठन और जमातें एकजुट हो गई है। हर दिन किसी न किसी संगठन का प्रतिनिधि मंडल अजमेर आकर दरगाह से जुड़े पदाधिकारियों से मुलाकात करता है। सभी मुस्लिम संगठन द प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट की दुहाई देकर मंदिर के दावे को खारिज कर रहे है। 7 दिसंबर को भी जमीयत उलेमा ए हिंद का एक प्रतिनिधिमंडल मुफ्ती हबीबुल्लाह नोमानी के नेतृत्व में अजमेर आया और खादिमों की संस्था अंजुमन सैयद जादगान के सचिव सरवर चिश्ती से मिला। प्रतिनिधि मंडल ने अजमेर की सिविल अदालत द्वारा नोटिस पर भी विमर्श किया। इससे पहले रजा एकेडमी इत्तेहाद ए मिल्लत कौंसिल के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा भी अजमेर आ चुके है। इसी प्रकार पहले सुन्नत वल जमात के प्रतिनिधि भी अजमेर आए। सभी मुस्लिम संगठनों और जमातों के प्रतिनिधि अजमेर आकर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। हालांकि अभी तक किसी भी संगठन ने अदालत में संवैधानिक कार्यवाही शुरू नहीं की है, लेकिन मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधियों की बयानबाजी से अजमेर का माहौल गर्म है। ख्वाजा उर्स के बारे में अनुभव रखने वालों का मानना है कि यदि अजमेर का माहौल इसी तरह गर्म रहा तो उर्स में जायरीन की आवक कम हो सकती है। मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधियों की खबरें जिस प्रकार सोशल मीडिया और अखबारों में प्रसारित हो रही है उससे माहौल कुछ ज्यादा ही गर्म हो रहा है। मुस्लिम नेताओं के बयान जब सोशल मीडिया पर वायरल होते हैं तो फिर देश दुनिया में चर्चा होती है।

सौहार्द न बिगाडऩे की अपील:
इस बीच मुस्लिम एकता मंच के बैनर तले भी एक बैठक 7 दिसंबर को अजमेर में हुई। बैठक में सभी प्रतिनिधियों  ने कहा कि अजमेर की पहचान हमारी गंगा जमुनी तहजीब है तीर्थराज पुष्कर और ख्वाजा की दरगाह है। इन दोनों तीर्थ स्थलों से विश्व में शांति और सद्भाव का संदेश प्रसारित होता है, हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम इन तीर्थ स्थलों की गरिमा को बनाए रखें । बैठक में कहा गया कि बाहरी लोगों को आकर अजमेर का माहौल नहीं बिगाड़ना चाहिए। बैठक में निर्णय लिया गया कि शीघ्र ही शहर के बुद्धिजीवियों और सामाजिक प्रतिनिधियों से चर्चा कर संयुक्त रूप से सौहार्द को मजबूत किया जाएगा। बैठक में नवाब हिदायत उल्ला, मौलाना अय्यूब कासमी, रियाज़ अहमद मंसूरी, हाजी सलामुद्दीन मंसूरी, हाजी कुतुबद्दीन बंदूकीय, अहसान मिजऱ्ा अशोक चीता आदि मौजूद रहे। 

S.P.MITTAL BLOGGER (08-12-2024)
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