यूक्रेन रूस युद्ध में अब अमेरिका की प्रतिष्ठा दांव पर । यह पहला अवसर है, जब युद्ध के मैदान में अमेरिका रूस साथ-साथ। तो क्या अब तीसरा विश्व युद्ध होगा।

27 फरवरी को जब व्हाइट हाउस में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के बीच तीखी झड़प हुई, तब ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका की मदद के बगैर यूक्रेन दो सप्ताह भी रूस के साथ युद्ध नहीं कर सकता। यानी अमेरिकी हथियार न दें तो यूक्रेन रूस के साथ युद्ध नहीं कर पाएगा। ट्रंप के इस कथन के मात्र दो दिन बाद ही यूक्रेन ने स्पष्ट कर दिया कि वह अमेरिका की मदद के बगैर ही रूस से युद्ध करता रहेगा। दो मार्च को यूरोपीय यूनियन में शामिल 44 देशों के राष्ट्राध्यक्षों की एक बैठक ब्रिटेन में हुई। यह बैठक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीरस्टारमर की पहल पर हुई। बैठक में सर्वसम्मति से फैसला किया गया कि यूक्रेन को अकेले नहीं छोड़ा जा सकता भले ही अमेरिका अब मदद न करे, लेकिन यूनियन में शामिल सभी देश यूक्रेन की मदद करेंगे। बैठक में रूस के आक्रमणकारी रवैए की भी निंदा की गई। अमेरिका की मदद के बगैर यूरोपीय यूनियन के दम पर यूक्रेन कितने दिनों तक रूस के साथ युद्ध कर सकता है, यह तो आने वाले कुछ महीनों में ही पता चल जाएगा, लेकिन दुनिया में यह पहला अवसर है, जब किसी युद्ध के मैदान में रूस और अमेरिका एक साथ खड़े हैं। चाहे इराक का मैदान हो या फिर अफगानिस्तान का। रूस और अमेरिका हमेशा आमने सामने रहे हैं। कहा यहां तक जा सकता है कि मध्य पूर्व खासकर गाजा में मुस्लिम चरमपंथी संगठनों को मदद भी रूस की ओर से मिलती रही। लेकिन यूक्रेन पहला ऐसा मैदान है, जहां अब रूस और अमेरिका एक साथ नजर आ रहे है। असल में डोनाल्ड ट्रंप चाहते थे कि यूक्रेन रूस के साथ युद्ध को समाप्त कर दे, लेकिन जेलेंस्की ने मीडिया के सामने दो टूक शब्दों में कह दिया कि जब तक यूक्रेन की सुरक्षा की गारंटी नहीं होगी, तब तक वह रूस के साथ युद्ध करता रहेगा। 27 फरवरी को हुई झड़प में जब जेलेंस्की ने युद्ध समाप्त नहीं करने की बात कही थी, तब ट्रंप ने कहा था कि यूक्रेन अब दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध की ओर ले जा रहा है। 2 मार्च को जिस प्रकार यूरोपियन यूनियन ने रूस के साथ युद्ध को जारी रखने की घोषणा  की है उससे तीसरे विश्वयुद्ध की आशंका उत्पन्न हो गई है। रूस और यूक्रेन के बीच पिछले दो वर्ष से जो युद्ध चल रहा है, उसमें अमेरिका और यूरोपीय यूनियन के देशों ने हथियार तो दिए है, लेकिन यूक्रेन को अपनी सेना उपलब्ध नहीं करवाई है। अब जब अमेरिका ने यूक्रेन को हथियार देने से मना कर दिया है, तब सवाल उठता है कि क्या ब्रिटेन, फ्रांस जैसे शक्तिशाली देश यूक्रेन को अपने सैनिक भी उपलब्ध करवाएंगे। रूस ने पहले ही चेतावनी दे रखी है कि यदि किसी भी देश का सैनिक यूक्रेन में आया तो रूस उस देश पर भी हमला कर देगा।  ऐसे में तीसरा विश्व युद्ध तय माना जा रहा है। डोनाल्ड ट्रंप और जेलेंस्की के झगड़े के बाद रूस और ताकतवर हो गया है। अमेरिका युद्ध में भले ही सीधे तौर पर रूस की मदद न करे, लेकिन युद्ध के मैदान से अमेरिका के हट जाने से रूस अब यूक्रेन पर अब और हमला होगा। यूरोप के कई देश रूस के तेल और गैस पर निर्भर है। ऐसे में देखना होगा कि ब्रिटेन में हुई यूरोपीय यूनियन की एकजुटता कितने दिन यूक्रेन के प्रति देखने को मिलती है। 

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