वक्फ एक्ट में संशोधन का विरोध कर कांग्रेस केंद्र में सरकार बनाने का सपना देख रही है। इसी नीयत से अहमदाबाद में राष्ट्रीय अधिवेशन। आखिर प्रियंका गांधी कहां है? कानून बन जाने के बाद जम्मू कश्मीर विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव क्यों? सदन में मारपीट तक।

कांग्रेस का दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन 8 अप्रैल को गुजरात के अहमदाबाद में शुरू हो गया। इस अधिवेशन में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी सहित 1750 नेता भाग ले रहे हैं। यह वही अहमदाबाद और गुजरात है, जिसमें विगत दिनों राहुल गांधी ने कहा था कि यहां कांग्रेस में भाजपा के नेता भी घुस आए हैं। उम्मीद थी कि राहुल गांधी के कथन के बाद उन कांग्रेसियों को बाहर निकाला जाएगा जो भाजपा के हैं, लेकिन राष्ट्रीय अधिवेशन शुरू होने से पहले तक एक भी भाजपाई नुमा कांग्रेसी को बाहर नहीं किया गया। कांग्रेस अपने संगठन में कितने भाजपाइयों को रखती है, वह उसका आंतरिक मामला है, लेकिन जो कांग्रेस केंद्र में सरकार बनाने का सपना देख रही है उसे अपने अधिवेशन में अपनी नीतियों पर भी मंथन करना चाहिए। संसद में हाल ही में वक्फ एक्ट संशोधन प्रस्ताव का कांग्रेस के सांसदों ने जमकर विरोध किया। सवाल उठता है कि जब कांग्रेस वक्फ एक्ट में संशोधन का विरोध कर रही है, तब केंद्र में सरकार कैसे बनाई जा सकती है? पूरा देश जानता है कि वक्फ बोर्ड में बैठे उच्च वर्ग के मुस्लिम नेता किस प्रकार से संपत्तियों का दुरुपयोग कर रहे है। हिंदू आबादी वाले गांवों को वक्फ की संपत्ति बताई जा रही है। इतना ही नहीं कई स्थानों पर मंदिरों पर भी वक्फ का हक जता दिया गया। कांग्रेस को लगता है कि नए कानून का विरोध करने से मुसलमानों के वोट मिल जाएंगे। कांग्रेस का यह आंकलन पूरी तरह गलत हे, क्योंकि देश के अधिकांश मुसलमान वक्फ एक्ट में संशोधन से खुश है। आंकड़े बताते हैं कि देश में 85 प्रतिशत मुसलमान पिछड़ी जातियों के हैं, जिन्हें आज तक भी वक्फ बोर्ड में प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। नए कानून में पिछड़ी जातियों के मुसलमानों को प्रतिनिधित्व देने का नियम बनाया है। असदुद्दीन ओवैसी जैसे मुस्लिम नेता कुछ भी कहे, लेकिन पिछड़ी जातियों के मुसलमान नए कानून से खुश है। नए कानून का लाभ जब पिछड़ी जातियों के मुसलमानों को मिलने लगेगा, तब चुनावों में कांग्रेस को मुस्लिम वोटों से भी वंचित होना पड़ेगा। वक्फ एक्ट संशोधन के प्रकरण में शुरुआती दौर में दावा किया गया है कि जब प्रस्ताव संसद में रखा जाएगा, तब देश भर के मुसलमान सड़कों पर आ आएंगे। लेकिन जब 2 अप्रैल को लोकसभा और 3 अप्रैल को राज्यसभा में बिल बहुत से स्वीकृत हुआ तो देश के किसी भी सड़क पर मुसलमानों ने धरना प्रदर्शन नहीं किया। उल्टे नए कानून के समर्थन में मुसलमानों ने सड़कों पर खुशियां जताई। इससे साफ जाहिर है कि वक्फ बोर्ड की गतिविधियां को लेकर पिछड़े वर्ग का मुसलमान खुश नहीं था। सरकार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि अच्छे प्रबंधन के बाद वक्फ संपत्तियों से जो इनकम होगी, उसे पिछड़े वर्ग के मुसलमानों पर ही खर्च किया जाएगा। आम मुसलमान अब यह भी समझ गया है कि नया कानून उनके धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने वाला नहीं है। कांग्रेस को देश के आम नागरिक की भावनाओं को समझते हुए अपनी नीतियां बनानी चाहिए। कांग्रेस की दोषपूर्ण नीतियों के कारण ही उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, केरल जैसे राज्यों में क्षेत्रीय दल प्रभावी हो गए हैं। कांग्रेस को आज इन राज्यों में क्षेत्रीय दलों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। 

प्रियंका गांधी कहां है?: 
मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव श्रीमती प्रियंका गांधी अहमदाबाद में होने वाले अधिवेशन में शामिल नहीं हो रही है। प्रियंका गांधी की अनुपस्थिति को लेकर कांग्रेस संगठन में कई तरह की चर्चाएं हो रही है। लोकसभा में 2 अप्रैल को जब वक्फ एक्ट संशोधन पर चर्चा और मतदान हुआ, तब भी प्रियंका गांधी मौजूद नहीं थी। पिछले पांच दिनों में लगातार दूसरा अवसर है, जब महत्वपूर्ण मौके पर प्रियंका गांधी अनुपस्थित है। प्रियंका गांधी कहां है, इस पर कांग्रेस की ओर से भी कोई अधिकृत जानकारी नहीं दी गई है। राष्ट्रीय महामंत्री और सांसद होने के नाते राष्ट्रीय अधिवेशन में प्रियंका गांधी की उपस्थिति अनिवार्य है। मालूम हो कि प्रियंका गांधी केरल के मुस्लिम बाहुल्य वायनाड से लोकसभा की सांसद हैं। 

विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव:
संसद से सहमति के बाद वक्फ एक्ट संशोधन बिल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी मंजूर कर लिया है। यानी अब वक्फ एक्ट का नया कानून बन गया है। इस वैधानिक प्रक्रिया के बाद भी 7 अप्रैल को जम्मू कश्मीर विधानसभा में नए कानून के विरोध में स्थगन प्रस्ताव रखा गया। गंभीर बात तो यह है कि यह स्थगन प्रस्ताव सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस की ओर से रखा गया है। यानी जम्मू कश्मीर विधानसभा में देश की संसद के फैसल ेको चुनौती देने का काम किया जा रहा है। एक और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं, तो दूसरी ओर विधानसभा में देश में बने कानून को चुनौती दी जा रही है। अनुच्छेद 370 के हटने के बाद जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया गया था। ऐसा इसलिए किया गया ताकि देश विरोधी ताकतों को खत्म किया जाए। अब जम्मू कश्मीर में हालात नियंत्रण में है, तब मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला फिर से जम्मू कश्मीर को आतंकवाद के दौर में ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। 8 अप्रैल को तो विधानसभा में विधायकों के बीच मारपीट भी हो गई। पीडीपी के विधायकों ने आरोप लगाया कि एक और नेशनल कॉन्फ्रेंस विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव रख रही है तो दूसरी ओर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला दिल्ली में भाजपा नेताओं के साथ दावतें कर रहे हैं। सदन में वक्फ एक्ट संशोधन प्रस्ताव की प्रतियों को फाड़ भी गया। 

S.P.MITTAL BLOGGER (08-04-2025)
Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9166157932To Contact- 9829071511

Print Friendly, PDF & Email

You may also like...