तो कांग्रेस सरकार वाले सदस्य ही बनाएंगे आरएएस। 21 अप्रैल से इंटरव्यू। आखिर भाजपा सरकार अपने वादे पर अमल क्यों नहीं करती?

राजस्थान प्रशासनिक सेवा परीक्षा 2023 के लिए राज्य लोक सेवा आयाग से व्यक्तिगत इंटरव्यू के लिए 21 अप्रैल की तारीख घोषित कर दी है। दो लिखित परीक्षा के बाद आयोग ने आरएएस के 972 पदों के लिए 2 हजार 168 अभ्यर्थियों को पात्र घोषित किया है। इंटरव्यू के दौरान अभ्यर्थी के चयन में आयोग के अध्यक्ष और सदस्य की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। आरएएस के इंटरव्यू के लिए जो चयन बोर्ड बनाया जाता है, उसका अध्यक्ष आयोग का सदस्य ही होता है। अध्यक्ष चाहे तो किसी बोर्ड की अध्यक्षता कर सकते हैं, लेकिन आमतौर पर आयोग अध्यक्ष द्वारा नियुक्त सदस्य ही चयन बोर्ड के अध्यक्ष होते हैं। पिछले कांग्रेस के शासन में भाजपा के नेताओं ने आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस विचारधारा वाले व्यक्तियों को आयोग का सदस्य नियुक्त कर दिया है। यह भी आरोप लगाया गया है कि ऐसे सदस्यों के कारण ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के परिवार के तीन सदस्य आरएएस बन गए। तब भाजपा नेताओं ने वादा किया कि हमारी सरकार बनने पर राज्य लोक सेवा आयोग में निष्पक्षता की पहली प्राथमिकता दी जाएगी। कुछ अति उत्साही भाजपाइयों ने तो आयोग के सदस्यों को ही हटाने की की घोषणा कर दी। दिसंबर 2023 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने अपने संकल्प पत्र  में आयोग के कामकाज में सुधार लाने का वादा किया, लेकिन अब ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार बनने के बाद भाजपा के नेता अपने वादे को भूल गए है। भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में सरकार बने हुए सवा वर्ष गुजर गया, लेकिन अभी तक भी आयोग के कामकाज को सुधारने का कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया। आयोग में अध्यक्ष का पद गत छह माह से खाली पड़ा हैै। इस प्रकार एक सदस्य का पद भी करीब चार माह से रिक्त है। आयोग का अध्यक्ष और सदस्य नियुक्त करने में कोई संवैधानिक बाधा नहीं है। मुख्यमंत्री अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल कर किसी को भी आयोग का अध्यक्ष और सदस्य नियुक्त कर सकते हैं। चूंकि भाजपा सरकार के गठन के बाद आयोग में एक भी सदस्य की नियुक्ति नहीं हुई है, इसलिए आयोग का कामकाज वो ही पांच सदस्य कर रहे हैं, जिनकी नियुक्ति कांग्रेस शासन में हुई थी। यानी 21 अप्रैल से शुरू होने वाले इंटरव्यू में आरएएस का चयन वो ही सदस्य करेंगे जो कांग्रेस की विचारधारा के हैं। एक ओर भाजपा के नेता आरोप लगाते हैं कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर परिवार के तीन सदस्यों को आरएएस बनवा दिया। लेकिन वहीं अपनी सरकार में आयोग में अध्यक्ष और सदस्य की नियुक्ति नहीं करते, कांग्रेस सरकार के कार्यकाल की तरह आयोग में नियुक्तियां हो इसके लिए भाजपा सरकार खुद जिम्मेदार है। मौजूदा समय में आयोग के अध्यक्ष का कार्यभार केसी मीणा के पास है। सदस्य के तौर पर संगीता आर्य, मंजू शर्मा, कर्नल केसरी सिंह राठौड़ और प्रोफेसर अयूब खान काम कर रहे है। गहलोत सरकार में मुख्य सचिव रहे निरंजन आर्य की पत्नी संगीता आर्य तो पूर्व में सोजत से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर चुनाव भी लड़ चुकी है। सुप्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास, राहुल गांधी को पप्पू न कहे इसलिए अशोक गहलोत ने कुमार विश्वास की पत्नी मंजू शर्मा को भी आयोग का सदस्य नियुक्त कर दिया। कर्नल केसरी सिंह राठौड़ को आयोग का सदस्य नियुक्त करने के बाद अशोक गहलोत को सार्वजनिक तौर पर खेद जताना पड़ा। गहलोत ने कहा कि मुझे कर्नल राठौड़ की पृष्ठभूमि के बारे में पता होता तो मैं आयोग के सदस्य के तौर पर नियुक्ति नहीं करता। गहलोत ने यह बात कर्नल राठौड़ एक जाति विशेष पर की गई टिप्पणियों के संदर्भ में कही थी। यानी गहलोत ने अपने कार्यकाल में किसी न किसी स्वार्थ के कारण आयोग में नियुक्तियां की। युवाओं को उम्मीद थी कि भाजपा सरकार बनने के बाद आयोग के काम में सुधार होगा, लेकिन सरकार की कार्य पद्धति बताती है कि कांग्रेस वाले ढर्रे पर ही आयोग का काम काज चल रहा है। अब यदि आरएएस के इंटरव्यू में किसी कांग्रेस नेता के परिवार के सदस्य का चयन हो जाए तो भाजपा को ऐतराज करने का कोई अधिकार नहीं है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (12-04-2025)
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