सुप्रीम कोर्ट ने भी माना की देश के कानून से ऊपर है मुसलमानों का मामला। इतना अधिकार तो किसी मुस्लिम देश में भी नहीं। कट्टरपंथियों की वजह से पश्चिम बंगाल में एक हजार हिंदुओं को शरणार्थी शिविरों में रहना पड़ रहा है।

सब जानते हैं कि वक्फ एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव संसद के दोनों सदनों में स्वीकृत हो गया है और संसद की मंजूरी के बाद राष्ट्रपति ने भी नए कानून के आदेश जारी कर दिए है। देश के संविधान के मुताबिक अब किसी भी अदालत में नए कानून को चुनौती नहीं दी जा सकती, लेकिन इसके बावजूद भी वक्फ एक्ट के नए कानून के विरोध में दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है। 16 अप्रैल  की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि संसद में पारित कानून पर आमतौर पर सुनवाई नहीं होती, लेकिन यह मामला अपवाद हो सकता है। यानी सुप्रीम कोर्ट ने केवल सुनवाई करेगा ताकि नए कानून के कुछ प्रावधानों को निरस्त करने का आदेश भी दे सकता है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने नए कानून पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है, लेकिन केंद्र सरकार से जो सवाल पूछे गए हैं उनसे जाहिर है कि सुप्रीम कोर्ट भी मुसलमानों को देश के कानून से ऊपर समझता है। कोर्ट ने वक्फ की संपत्तियों को डीनोटिपुाइड करने, कलेक्टर द्वारा संपत्तियों का सर्वे कराने और वक्फ परिषद में गैर मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति को लेकर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। हालांकि सीजेआई खन्ना और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच ने याचिका कर्ताओं के वकीलों से यह भी जानना चाहा कि वह सुनवाई कर सकते हैं? संसद में पारित कानून पर सुप्रीम कोर्ट में ही रही सुनवाई से साफ प्रदर्शित है कि भारत में रहने वाले मुसलमानों के सम्मान में कोई कमी नहीं है। मुसलमानों को इतना अधिकार तो किसी मुस्लिम देश में भी नहीं मिलेगा। दुनिया में भारत एक मात्र ऐसा देश है, जहां वक्फ जैसे नियम कायदे बने हुए हैं। देश के विभाजन के समय पाकिस्तान में भी हिंदुओं ने अपनी संपत्तियों को यूं ही छोड़ दिया। तब हिंदुओं की संपत्तियों को मोहम्मद अली जिन्ना की सरकार ने अपने अधिकार में ले लिया, लेकिन भारत में जिन मुसलमानों ने घर मकान छोड़े उन्हें वक्फ संपत्तियां घोषित कर दिया।  भारत की तत्कालीन सरकार ने जो निर्णय लिए उसी का खामियाजा आज पूरा देश उठा रहा है। भारत में रेलवे और सेना के बाद सबसे  ज्यादा भूमि वक्फ की है। रेलवे और सेना की संपत्तियों को सरकार की माना जाता है, लेकिन वक्फ की संपत्तियों पर सरकारका कोई नियंत्रण नहीं है। नए कानून में सिर्फ वक्फ सम्पत्तियों के रजिस्ट्रेशन और पारदर्शी प्रबंधन का प्रावधान किया गया है। लेकिन इसके बावजूद भी वक्फ बोर्डों पर काबिज लोग नए कानून को स्वीकार नहीं कर रहे है। संशोधन प्रस्ताव पर संसद में बोलते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने स्पष्ट कहा कि नए कानून से बनने के पहले जो संपत्तियां वक्फ की है उनके स्वरूप में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। यानी अप्रैल 2025 से पहले की संपत्तियां वक्फ की ही माना जाएगी। लेकिन इसके बावजूद भी गुमराह किया जा रहा है कि नए कानून से सरकार वक्फ की संपत्तियों जैसे दरगाह, मस्जिद, मदरसे, कब्रिस्तान आदि को छीन लेगी। आम मुसलमानों को नए कानून के प्रावधानों को समझाने की जरूरत है। अब तक वक्फ बोर्डों में मुसलमानों की उच्च जातियों का ही कब्जा रहा है। लेकिन नए कानून के अंतर्गत गठित होने वाली वक्फ परिषदों में मुसलमानों में पिछड़ी जातियों को भी प्रतिनिधित्व मिलेगा। जब पिछड़ी जाति के मुस्लिमनों को प्रतिनिधित्व मिलेगा, तब वक्फ संपत्तियों से होने वाली इनकम का उपयोग गरीब मुसलमान भी कर सकेंगे। मौजूदा समय में वक्फ संपत्तियों से गरीब मुसलमानों को कोई फायदा नहीं हो रहा। यानी जो नया कानून गरीब मुसलमानों के हित में है, उसका भी विरोध किया जा रहा है। 

एक हजार हिंदू शरणार्थी शिविरों में:
इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि भारत के अभिन्न अंग पश्चिम बंगाल में एक हजार हिंदुओं को शरणार्थी शिविरों में रहना पड़ रहा है। वक्फ के नए कानून के विरोध में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में कट्टरपंथियों ने हिंदुओं के मकानों में तोड़ फोड़ और आगजनी की। ऐसी ही स्थिति दक्षिण चौबीस परगना क्षेत्र में भी बनी। पिता पुत्र को मौत के घाट उतार दिया गया। हिन्दू समुदाय के लोग खासकर महिलाएं और बच्चे जान बचाकर सुरक्षित स्थानों पर चले गए। अभी भी हालात इतने डरावने है कि हिन्दू समुदाय के लोग अपने घर वापस नहीं आ पा रहे हैं। गंभीर बात तो यह है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हिंदुओं की चिंता करने के बजाए उन लोगों से संवाद कर रही है जो वक्फ के नए कानून का विरोध कर रहे हैं। हिंसा में सबसे ज्यादा प्रताड़ित हिंदू समुदाय हुआ है। लेकिन ममता बनर्जी मुसलमानों को डराने वाला बयान ही दे रही है। 16 अप्रैल को मुस्लिम धर्म गुरुओं से संवाद करते हुए ममता ने कहा कि यदि पश्चिम बंगाल में भाजपा का शासन हो गया तो मुसलमानों का खाना पीना बंद कर दिया जाएगा। सवाल उठता है कि क्या जिन राज्यों में भाजपा की सरकार है, वहां मुसलमानों का खाना पीना बंद है? ममता बनर्जी को यह पता होना चाहिए कि केंद्र सरकार की योजनाओं में मुस्लिम लाभार्थियों का 37 प्रतिशत हिस्सा है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (17-04-2025)
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