क्या ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल को भारत से अलग समझती है? नीति आयोग की बैठक में भाग नहीं लिया।

24 मई को दिल्ली में नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक हुई। इस बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की। इस बैठक का महत्व इसलिए भी रहा कि इसमें विकसित भारत का रोड मैप बनाने तथा केंद्र व राज्यों के संबंधों को और बेहतर बनाने पर विमर्श हुआ। बैठक में सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपालों को आमंत्रित किया गया, लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस महत्वपूर्ण बैठक में भाग नहीं लिया। बैठक का बहिष्कार कर ममता बनर्जी ने एक बार फिर प्रदर्शित किया है कि उनका पश्चिम बंगाल भारत से अलग है। सब जानते हैं कि ममता बनर्जी हर मौके पर केंद्र सरकार के साथ टकराव करती है। ममता ने राज्यपाल के अधिकारों को भी चुनौती दे रखी है। यहां तक कि वे राज्यपाल के पद को ही स्वीकार नहीं कर रही। जो निर्णय राज्यपाल की सहमति से होने चाहिए, उन पर ममता बनर्जी खुद निर्णय ले रही है। सीबीआई और अन्य केंद्रीय जांच एजेंसियां की एंट्री पर भी रोक लगाई गई है। पश्चिम बंगाल पर हिंदुओं पर अत्याचार होना आम बात है, लेकिन ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार हमलावरों पर ठोस कार्यवाही नहीं कर रही। ऐसे कई मौके आए हैं, जब ममता सरकार का हिन्दू विरोधी चेहरा उजागर हुआ हे। पश्चिम बंगाल में ऐसे अनेक जिले हैं जो मुस्लिम बहुसंख्यक है। आरोप है कि इन जिलों में बांग्लादेशियों को शरण दी गई और अब उनके पास सरकार के वैध दस्तावेज भी है। लाखों बांग्लादेशी पश्चिम बंगाल में मतदाता भी बन गए है। समय रहते फिर भारत को पश्चिम बंगाल में विपरीत हालातों का सामना करना पडेगा। 

S.P.MITTAL BLOGGER (24-05-2025)
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