मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी को संभागीय आयुक्त के पद का चार्ज देकर सुधांश पंत ने राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी में नायाब उदाहरण पेश किया है। आरपीएससी में पहले ही अध्यक्ष नहीं है और अब सचिव को भी पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग का आईजी बना दिया। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा दो दिन पहले ही सुधांश पंत की प्रशंसा कर चुके हैं।

31 मई को जयपुर में लोकमाता अहिल्या बाई होल्कर के जयंती समारोह में जब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के कामकाज की प्रशंसा कर रहे थे, तभी उन्होंने मुख्य सचिव सुधांश पंत की भी प्रशंसा की। नड्डा ने यह प्रदर्शित किया कि वह सुधांश पंत को व्यक्तिगत तौर पर जानते हैं। जब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रशंसा कर रहे हो, तो फिर सुधांश पंत के कामकाज करने के तरीके का अंदाजा लगाया जा सकता है। सुधांश पंत अपने कार्यकाल में जो फैसले कर रहे हैं वे प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में उदाहरण है। हाल ही में कार्मिक विभाग ने अजमेर के संभागीय आयुक्त पद का चार्ज राजस्थान राजस्व मंडल के अध्यक्ष हेमंत गेरा को सौंपा है। मंडल के अध्यक्ष का पद मुख्य सचिव के समकक्ष होता है। जो सीनियर आईएएस मुख्य सचिव नहीं बनता या बनने के इंतजार में होता है उसे राजस्व मंडल का अध्यक्ष बनाया जाता है। सुधांश पंत ने कई आईएएस की वरिष्ठता को लांघकर पहले हेमंत गेरा को राजस्व मंडल का अध्यक्ष बनाया और अब उन्हीं गेरा को अजमेर के संभागीय आयुक्त के पद का अतिरिक्त चार्ज भी दे दिया। ऐसा तब हुआ जब हेमंत गेरा के पास पहले से ही कर बोर्ड के अध्यक्ष का अतिरिक्त चार्ज है। कर बोर्ड के अध्यक्ष के पद को भी मुख्य सचिव के समकक्ष माना जाता है। राजस्व मंडल के अध्यक्ष को संभागीय आयुक्त का अतिरिक्त चार्ज देने पर प्रदेश भर की ब्यूरोक्रेसी में चर्चा हो रही है। लेकिन सरकार के किसी भी मंत्री और सीनियर आईएएस में हिम्मत नहीं कि वह सुधांश पंत के फैसले पर सवाल उठाए। राजस्व मंडल के अध्यक्ष और संभागीय आयुक्त के पद के बीच रात और दिन का अंतर है। संभागीय आयुक्त का चार्ज लेने के साथ ही हेमंत गेरा राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के प्रशासक भी बन जाएंगे। सरकार ने बोर्ड प्रशासक के पद पर अजमेर के संभागीय आयुक्त की पदेन नियुक्ति कर रखी है। यानी हेमंत गेरा के पास चार पदों का काम एक साथ हो जाएगा। यह तब होगा, जब खुद राजस्व मंडल सदस्यों की कमी से जूझ रहा है। मंडल में दस सदस्यों के पद रिक्त पड़े हैं। प्रशासनिक हलकों में सवाल पूछा जा रहा है कि हेमंत गेरा संभागीय आयुक्त राजस्व मुकदमों की सुनवाई भी करते हैं। अब यदि हेमंत गेरा संभागीय आयुक्त की हैसियत से किसी राजस्व मुकदमे का निस्तारण करते हैं तो भविष्य में उस मुकदमे की क्या स्थिति होगी? संभागीय आयुक्त के फैसले को राजस्व मंडल में ही चुनौती दी जाती है। यह सही है कि राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी में हेमंत गेरा की छवि साफ सुथरी और मेहनती आईएएस की है, लेकिन सुधांश पंत के निर्णयों से खुद गेरा आश्चर्यचकित है, क्योंकि ब्यूरोक्रेसी के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ, जब संभागीय आयुक्त के पद का चार्ज मुख्य सचिव के स्तर वाले राजस्व मंडल के अध्यक्ष को दिया गया हो। मालूम हो इससे पहले जब कभी संभागीय आयुक्त का पद रिक्त हुआ तो राजस्व मंडल के किसी सदस्य को चार्ज दिया गया। मालूम हो कि 31 मई को महेश चंद्र शर्मा की सेवानिवृत्ति के बाद अजमेर के संभागीय आयुक्त का पद रिक्त हुआ है। 

सचिव को आईजी का चार्ज:
सुधांश पंत के अधीन काम करने वाले कार्मिक विभाग के आदेश के अनुसार अजमेर स्थित राजस्थान लोक सेवा के सचिव रामनिवास मेहता को पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग के आईजी का पद का अतिरिक्त कार्यभार दिया गया है। आयोग के सचिव को यह अतिरिक्त कार्यभारी तब सौंपा गया है, जब आयोग में पिछले छह माह से अध्यक्ष और एक सदस्य का पद रिक्त पड़ा है। अध्यक्ष के नहीं होने से आयोग का कामकाज भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। यहां तक कि आरएएस के 21 सौ अभ्यर्थियों के इंटरव्यू के लिए सिर्फ एक चयन बोर्ड ही बन पाया है। यह बोर्ड भी टुकड़े टुकड़े में अभ्यर्थियों के साक्षात्कार ले रहा है। मौजूदा समय में आयोग में सचिव रामनिवास मेहता की महत्वपूर्ण भूमिका हो गई है, लेकिन कार्मिक विभाग ने मेहता को ही पंजीयन  एवं मुद्रांक विभाग का आईजी बना दिया। आईजी का यह पद भी राज्य स्तरीय है। पंजीयन विभाग के प्रदेश भर के सब रजिस्टार आईजी के आधीन ही काम करते है। इस विभाग के महत्व का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि अकेला पंजीयन विभाग 11 हजार करोड़ रुपए का राजस्व एकत्रित करता है। 
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