कांग्रेस के ट्वीट जाल में फंस गए राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा। राजनीतिक बहस का स्थान कोई चौराहा नहीं बल्कि विधानसभा है। डोटासरा ने तो विधानसभा का बहिष्कार कर रखा है। अजमेर के अरुण गर्ग झुंझुनूं के कलेक्टर बने।
राजस्थान के राजनीतिक क्षेत्रों में चर्चा है कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा कांग्रेस के ट्वीट जाल में फंस गए हैं। 23 जून को एक समारोह में सीएम शर्मा ने कहा कि कांग्रेस के नेता सिर्फ सोशल मीडिया पर मेरी सरकार के कामकाज पर ट्वीट करते हैं जबकि सच्चाई यह है कि कांग्रेस के पिछले पांच वर्ष के कार्यों की तुलना की जाए तो उनके डेढ़ वर्ष के कार्यकाल में हुए काम भारी पड़ेंगे। जितना काम कांग्रेस के पांच वर्ष में नहीं हुआ उससे ज्यादा भाजपा के डेढ़ वर्ष के शासन में हुआ है। सीएम शर्मा ने कहा कि इस मुद्दे पर वह कांग्रेस के साथ किसी सार्वजनिक स्थल पर बहस करने को तैयार है। सीएम शर्मा ने सार्वजनिक स्थल पर जो बहस करने की चुनौती दी, उसे 23 जून को ही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने स्वीकार कर लिया। बारां में आयोजित पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया के समारोह में डोटासरा और जूली ने कहा कि हम जयपुर के अल्बर्ट हॉल के बाहर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से बहस करने को तैयार है। मुख्यमंत्री बताएं कि डेढ़ वर्ष में कितना काम किया है। अब देखना होगा कि मुख्यमंत्री शर्मा किस तरह से कांग्रेस के नेताओं के साथ बहस करते हैं, लेकिन सवाल उठता है कि क्या मुख्यमंत्री विपक्षी के नेताओं के साथ सार्वजनिक स्थल पर बहस करेगा? आज तक तो ऐसा कोई मुख्यमंत्री देखने को नहीं मिला है, जिसने किसी चौराहे पर खड़ा हो कर विपक्षी नेताओं के साथ बहस की हो। लोकतंत्र में बहस का सबसे उपयुक्त स्थान विधानसभा है। विधानसभा में ही सरकार अपनी उपलब्धियों को गिनाती है और विपक्ष सरकार की विफलताओं को बताता है। अच्छा होता कि मुख्यमंत्री विपक्ष को विधानसभा में बहस करने की चुनौती देते। जो गोविंद सिंह डोटासरा आज मुख्यमंत्री को जयपुर के अल्बर्ट हॉल के बाहर बहस के लिए बुला रहे हैं, वो डोटासरा तो विधानसभा जाते ही नहीं है। पिछले सत्र में जब प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने डोटासरा की ओर से विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी से माफी मांगी तो डोटासरा नाराज हो गए। जूली के माफीनामे के बाद से ही डोटासरा विधानसभा नहीं गए। जूली को माफी इसलिए मांगनी पड़ी क्योंकि डोटासरा ने अध्यक्ष देवनानी के विरुद्ध अमर्यादित टिप्पणियां की थी।
गर्ग झुंझुनूं के कलेक्टर:
भारतीय प्रशासनिक सेवा के युवा अधिकारी अरुण गर्ग ने झुंझुनूं के जिला कलेक्टर का पद संभाल लिया है। गर्ग अजमेर के निवासी है और उनकी स्कूली शिक्षा भी अजमेर में ही हुई है। उनके पिता स्वर्गीय अनिल गर्ग अजमेर के मदार गेट पर जनरल स्टोर का संचालन करते रहे। गर्ग के चाचा डॉ. जीके अग्रवाल मदार गेट पर ही डायग्नोस्टिक सेंटर का संचालन करते हैं। गर्ग के पिता समाज सेवा के क्षेत्र से भी जुड़े रहे। 24 जून को पद ग्रहण के अवसर पर अजमेर के सामाजिक कार्यकर्ता और परम मित्र दिनेश गर्ग (जीडी सर्राफ) भी मौजूद रहे। पद ग्रहण के अवसर पर झुंझुनूं के श्री श्याम आशीर्वाद सेवा संस्थान के प्रमुख डीएन तुल्सीयानी ने भी कलेक्टर अरुण गर्ग का स्वागत किया। मालूम हो कि अरुण गर्ग आरएएस से पदोन्नत होकर आईएएस बने। यह पहला अवसर है जब कलेक्टर के तौर पर गर्ग की नियुक्ति हुई है। अरुण गर्ग अजमेर में जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पद पर भी काम कर चुके हैं। प्रशासनिक सेवा में गर्ग को एक योग्य और ईमानदार अधिकारी माना जाता है। अरुण गर्ग के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9414004630 पर दिनेश गर्ग से ली जा सकती है।
S.P.MITTAL BLOGGER (24-06-2025)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9166157932To Contact- 9829071511