आखिर इंदौर की तरह अजमेर क्यों नहीं बन सकता स्मार्ट। 550 टन कचरे से रोजाना 19 टन सीएनजी, जिससे चार सौ बसे चलती है। 2015 में सफाई के क्षेत्र में 149वें नंबर, आज पहला स्थान। आरएएस हेमंत स्वरूप माथुर ने शेयर किया इंदौर का वीडियो।
देश में सफाई के क्षेत्र में अजमेर कौन से नंबर पर है, यह तो नगर निगम की मेयर श्रीमती ब्रजलता हाड़ा और मौजूदा आयुक्त देशल दान ही बता सकते हैं। लेकिन अजमेर निवासी राज्य प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी हेमंत स्वरूप माथुर ने इंदौर शहर का एक वीडियो शेयर किया है। इस वीडियो को मेरे फेसबुक पेज पर देखा जा सकता है। अजमेर में भाजपा का बोर्ड है, यानी अजमेर के विकास के लिए ट्रिपल इंजन वाली सरकार काम कर रही है, लेकिन थोड़ी सी ही बरसात में जब सड़कों पर मलमूत्र वाला पानी बहने लगता है तब अंदाजा लगाया जा सकता है कि अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त अजमेर की कितनी दुर्गति हुई है। ऐसे में इंदौर वाले वीडियो को देखना चाहिए। वर्ष 2015 में स्वच्छता के क्षेत्र में देश में इंदौर 149वें नंबर पर था, लेकिन वहीं इंदौर पिछले सात वर्षों से स्वच्छता के क्षेत्र में पहले नंबर पर बना हुआ है। असल में इंदौर का देवगढिय़ा क्षेत्र कचरे का भंडार था, शहर में भी जगह जगह कचरे के ढेर नजर आते थे। लेकिन इंदौर के राजनेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों की इच्छा शक्ति की वजह से देवगढिय़ा को सीएनजी प्लांट में बदल दिया गया। आज देवगढिय़ा में दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा सीएनजी गैस प्लांट है। यहां 15 एकड़ भूमि पर प्रतिदिन 550 टन कचरे से 19 टन सीएनजी का उत्पादन होता है। इसी सीएनजी से इंदौर में 400 बसें चलाई जाती है। सफाई कार्यपर जीपीएस और स्मार्ट वॉच से नजर रखी जाती है। जितने सफाई कर्मियों की नियुक्ति है, उतने ही सफाई कर्मी इंदौर में सफाई का कार्य करते हैं। चूंकि घर घर कचरा संग्रहण प्रभावी तरीके से होता है,इसलिए इंदौर की सड़कों पर प्लास्टिक की थैलियां व अन्य प्रकार का कचरा नजर नहीं आता। यहां तक कि डिवाइडर के पास से भी तिनका तिनका उठाया जाता है। सीवरेज सिस्टम इतना मजबूत है की बरसात के दिनों में गंदा पानी सड़कों पर नहीं आ पाता। वीडियो को देखने से साफ जाहिर है कि स्वच्छता के क्षेत्र में पहले स्थान पर आने के लिए इंदौर के लोगों ने भी जागरुकता दिखाई है। असल में जब किसी शहर के लोग जागरुक होते हैं तो फिर राजनेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों को भी ईमानदारी के साथ काम करना होता है। यदि अजमेर के लोगों को अपना शहर स्मार्ट बनाना है तो इंदौर की तरह जागरुक होना पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने 2 हजार करोड़ रुपए दिए। लेकिन राजनेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों की वजह से दो हजार करोड़ रुपए की राशि पानी में चली गई। आज हालात इतने खराब है कि शहर की सड़कों पर पैदल चलना भी मुश्किल है। इतना ही नहीं स्मार्ट सिटी में हुए कार्यों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा तुड़वाया जा रहा है।
S.P.MITTAL BLOGGER (30-06-2025)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9166157932To Contact- 9829071511