हलाला के समर्थक कर रहे है महिला पत्रकारों के अधिकारों की चिंता। अफगानी विदेश मंत्री मुत्ताकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को रोकने का मामला। तालिबान लड़ाकों के हमले से पाकिस्तान दहला।

मुस्लिम पर्सनल लॉ के नियमों का समर्थन कर हलाला, तीन तलाक जैसी प्रथाओं की वकालत करने वाले ही अब भारत में महिला पत्रकारों के हितों की चिंता कर रहे है। 10 अक्टूबर को अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने दिल्ली में जो प्रेस कॉन्फ्रेंस की उस में महिला पत्रकारों को प्रवेश नहीं दिया गया। अफगानी विदेश मंत्रालय का कहना रहा कि इस्लामिक पंरपराओं के अनुरूप महिला पत्रकारों को आमंत्रित नहीं किया गया है। अफगान विदेश मंत्री के इस कृत्य पर ही अब भारत में वामपंथी विचारधारा के पत्रकार और समाजवादी पार्टी, टीएमसी, कांग्रेस आदि के नेता भारत सरकार की आलोचना कर रहे हैं। यहां तक कि पीएम नरेंद्र मोदी के नारी शक्ति अभियान की भी आलोचना की जा रही है। आरोप लगाया जा रहा है कि मोदी सरकार ने इस्लामिक कट्टरपंथियों के समक्ष सरेंडर कर दिया है। मजे की बात यह है कि महिला पत्रकारों के हितों की चिंता वो लोग कर रहे हैं जो भारत में हलाला जैसी प्रथाओं के समर्थक हैं। कांग्रेस से लेकर सपा, टीएमसी और वामपंथी दल चाहते हैं कि भारत में मुसलमानों के लिए इस्लामिक कानून बने रहे। यानी मुसलमान भारत में अपने धर्म के अनुरूप आचरण कर सके। मौजूदा समय में मुसलमानों को अपने धर्म के अनुरूप रहने की पूर्ण स्वतंत्रता है, इसलिए हलाला जैसी प्रथाएं चल रही हैं। यहां तक कि मुस्लिम महिलाओं को बुर्के में रहना पड़ता है। जो मुस्लिम बच्चियां स्कूल कॉलेज जाती है, उन्हें भी बुर्का हिजाब पहनना होता है। सपा, कांग्रेस टीएमसी जैसे दलों ने कभी भी इन प्रथाओं का विरोध नहीं किया, लेकिन अब जब इस्लामिक कानून के तहत अफगानी विदेश मंत्री ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को प्रवेश नहीं दिया तो हलाला के समर्थकों को महिला पत्रकारों के हितों की चिंता हो रही है। जहां तक अफगानी विदेश मंत्री के भारत आने का सवाल है तो सामरिक दृष्टि से आज अफगानिस्तान की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि 11 अक्टूबर को तहरीक-ए-तालिबान के लड़ाकों ने पाकिस्तान में जो हमले किए उससे पूरा पाकिस्तान दहल उठा है। इन लड़ाकों का मुकाबला करने में पाकिस्तान की सेना भी असमर्थ नजर आ रही है। इससे पहले 10 अक्टूबर को पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर एयर स्ट्राइक की थी। अफगान लड़ाकों ने इसी एयर स्ट्राइक का बदला पाकिस्तान में घुसकर लिया। इसे एक सहयोग ही कहा जाएगा कि जब 9 अक्टूबर से अफगानी विदेश मंत्री 6 दिवसीय भारत यात्रा पर है, तब पाकिस्तान में तालिबानी लड़ाकों ने कोहराम मचा रखा है। अफगानी विदेश मंत्री मुत्ताकी ने स्पष्ट कहा है कि अफगान धरती का उपयोग भारत के खिलाफ नहीं होने दिया जाएगा। भारत जब बांग्लादेश, पाकिस्तान और चीन की सीमाओं से घिरा हुआ है, तब एक मुस्लिम देश अफगानिस्तान भारत के साथ खड़ा नजर आ रहा है। कांग्रेस, सपा टीएमसी और वामपंथी दल भी इस्लामिक कट्टरपंथ को अच्छी तरह समझते हैं। ये दल भारत के आंतरिक हालातों को भी जानते हैं। आज भारत को सामरिक दृष्टि से सुरक्षित करने की जरूरत है। समय के साथ विदेश नीति में भी बदलाव होता रहा है। जब पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं को प्रताड़ित किया जा रहा है, तब मुस्लिम देश अफगानिस्तान भारत के साथ खड़ा है भले ही भारत ने अभी तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी हो, लेकिन अफगानिस्तान की मदद करने में भारत कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। मौजूदा समय की मांग है कि अफगानिस्तान को अपने साथ रखा जाए। 

S.P.MITTAL BLOGGER (12-10-2025)
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