देश का 24 प्रतिशत इनकम टैक्स सिंधियों द्वारा दिया जाता है। पीएम मोदी के 2047 तक विकसित भारत के संकल्प में सिंधी समाज का विशेष योगदान। घर के अंदर सिंधी परिवार अपनी मातृभाषा में संवाद करें। राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने विश्व सिंधी हिन्दू फाउंडेशन ऑफ एसोसिएशन में विचार रखे।
23 नवंबर को दिल्ली के विज्ञान भवन में विश्व सिंधी हिन्दू फाउंडेशन ऑफ एसोसिएशन का अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन में भारत सहित अनेक देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सम्मेलन में दुनिया भर में बसे सिंधी समुदाय की उपलब्धियों पर चर्चा हुई। सम्मेलन में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी स्वीकारा की वे दुनिया के किसी भी देश में जाए, वहां सिंधी कारोबारी मिल ही जाते हैं। सम्मेलन को केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी संबोधित किया। सम्मेलन में राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष एसोसिएशन के संरक्षक वासुदेव देवनानी ने भी अपने विचार रखे। देवनानी ने कहा कि देा के आर्थिक विकास में सिंधी समुदाय का कितना योगदान है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि देश का 24 प्रतिशत इनकम टैक्स सिंधी समाज के द्वारा ही दिया जाता है। सिंधी समाज क यह उपलब्धि तब है, जब देश के विभाजन के समय सिंधी परिवार अपना सब कुछ पाकिस्तान में छोड़कर आए थे। जो समाज शरणार्थी बनकर आया उसने अपने पुरुषार्थ के बल पर सब कुछ हासिल किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2047 तक विकसित भारत बनाने का जो संकल्प किया है, उसमें सिंधी समुदाय की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि सिंधु संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीनतम संस्कृति है और सिन्धी भाषा भी विश्व की सबसे समृद्धशाली ऐसी भाषा है जिसकी लिपि में 52 अक्षर है। हमें सिंध और सिंधी समाज और भाषा पर गर्व होना चाहिए क्योंकि आज भारत ही नहीं विश्व के हर कोने में सिन्धी समाज बसा हुआ है। यहां तक कि बारबाडोस जैसे सुदूर क्षेत्र में भी सिन्धी समाज के लोग बसे हुए है। विधानसभा अध्यक्ष देवनानी ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त किया जिन्होंने विभाजन के दर्द को महसूस करते हुए हर वर्ष 14 अगस्त को विभीषिका दिवस मनाने की घोषणा की है। देवनानी ने सिन्धी समाज के लोगों से अपील की कि वे अपने आपको सिंधु सभ्यता से जुड़े होने और सिन्धी समाज के होने पर गर्व करें तथा अपने धरों में सिन्धी भाषा में ही बातचीत करें क्योंकि किसी समाज के लिए उसकी अपनी भाषा ही उसकी अपनी पहचान होती है। उन्होंने सभी का आह्वान किया कि वे नई पीढ़ी को भी सिन्धी भाषा और संस्कृति से सुसंस्कृत करें। विधानसभा अध्यक्ष देवनानी ने बताया कि अपने शिक्षा मंत्री कार्यकाल के दौरान उन्होंने राजस्थान के अजमेर और कोटा में सिंधु शोध पीठ की स्थापना कराने के साथ ही महाराजा श्री दाहिर सेन, महान क्रांतिकारी श्री हेमू कालानी के साथ ही सिन्धी संतों संत तेऊ राम, संत चंद्र भगवान, संत कंवर राम आदि की जीवनियों को स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रम में शामिल कराया था। अपने भाषण के अंत में देवनानी ने जिए सिंध, जिए हिन्द का नारा दिया। सम्मेलन में इंदौर मध्य प्रदेश के सांसद शंकर लालवानी ने नई दिल्ली में सिंधु भवन बनाने की मांग रखी। इस अवसर पर सिंधी समाज के कई वक्ताओं ने भी अपने विचार प्रकट किए । विश्व सिन्धी हिन्दू फाउंडेशन ऑफ एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ गुरूमुख जगवानी ने सम्मेलन में आए प्रतिनिधियों का आभार व्यक्त किया।
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