डोटासरा की तरह सचिन पायलट ने भी राजस्थान में कांग्रेस को मजबूत किया था। लेकिन सत्ता मिलने पर अशोक गहलोत ही मुख्यमंत्री बने। पायलट के समय तो कांग्रेस के मात्र 21 विधायक ही थे। आज 9 सांसदों के साथ 66 विधायक हैं।
राजस्थान के 50 में से 45 जिलों में कांग्रेस के जिला अध्यक्षों की नियुक्ति हो गई है। मीडिया में कहा जा रहा है कि 45 में से 18 प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के समर्थक हे। 8 सचिन पायलट के और 9 पूर्व सीएम अशोक गहलोत के समर्थक बनाए जा रहे हैं। जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा की कड़ी मेहनत रही है। डोटासरा संगठन को मजबूत करने का काम लगातार कर रहे है, इसलिए प्रदेश के 52 हजार पोलिंग बूथों पर अध्यक्षों की नियुक्ति भी की गई है। 42 हजार बूथ अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सचिन पायलट ने भी डोटासरा की प्रशंसा की है। आज डोटासरा जिस मेहनत के साथ संगठन को मजबूत कर रहे है, वैसी ही मेहनत वर्ष 2013 के बाद सचिन पायलट ने भी की थी। पायलट को जब कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया, तब कांग्रेस के मात्र 21 विधायक थे और 25 में से एक सांसद भी कांग्रेस का नहीं था। लेकिन मात्र 21 विधायकों के साथ पायलट ने विपक्ष की भूमिका निभाते हुए प्रदेश भर में कांग्रेस को मजबूती प्रदान की। जन आंदोलनों में पायलट को पुलिस के डंडे भी खाने पड़े। पायलट ने संगठन को जो मजबूती दी, उसी का परिणाम रहा कि वर्ष 2018 में कांग्रेस को बहुमत मिला गया। तब सभी कांग्रेसियों को उम्मीद थी कि पायलट ही मुख्यमंत्री बनेंगे, लेकिन कांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय नेतृत्व ने पायलट की बजाए अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया। वर्ष 2014 से 2018 के बीच सचिन पायलट ने जिस प्रकार मेहनत की, उसी प्रकार मौजूदा समय में कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा भी कर रहे हैं। पायलट के मुकाबले डोटासरा के लिए अनुकूल बात यह है कि अभी कांग्रेस के 9 सांसदों के साथ-साथ 66 विधायक भी हैं। यानी पायलट के समय के मुकाबले में आज कांग्रेस की स्थिति बेहतर है। राजस्थान में 2028 में विधानसभा के चुनाव होने हैं। कांग्रेस को बहुमत मिलेगा या नहीं यह तो परिणाम आने पर ही पता चलेगा, लेकिन कांग्रेस की राजनीति में सवाल उठ रहा है कि क्या बहुमत मिलने पर डोटासरा को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा? डोटासरा के समर्थकों को पूरी उम्मीद है कि डोटासरा ही मुख्यमंत्री बनेंगे, लेकिन वही अशोक गहलोत के समर्थक तो अभी से ही नारे लगा रहे है कि चौथी बार गहलोत सरकार। मालूम हो कि गहलोत तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बन चुके हैं। चौथी बार मुख्यमंत्री बनने के लिए गहलोत जबरदस्त तरीके से राजस्थान की राजनीति में सक्रिय हैं। सोशल मीडिया की सक्रियता के साथ साथ गहलोत अब अखबारों में लेख भी लिखने लगे हैं। गहलोत लगातार प्रदेश भर का दौरा कर रहे हैं और राज्य की भाजपा सरकार की कमियों को उजागर कर रहे हैं। गहलोत के पास भले ही संगठन में कोई पद न हो, लेकिन उनकी सक्रियता प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा और प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली से भी ज्यादा है। अखबारों में डोटासरा और जूली दोनों की मिलाकर जितनी खबरें नहीं छपती, उससे ज्यादा गहलो की प्रकाशित होती है। जहां तक सचिन पायलट का सवाल है तो उनके पास कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव का दायित्व भी है और वे छत्तीसगढ़ के प्रभारी भी हैं। इसलिए पायलट को ज्यादातर समय राजस्थान से बाहर रहना होता है, लेकिन महत्वपूर्ण अवसरों पर पायलट राजस्थान आ जाते हैं। पायलट के समर्थक भी चाहते हैं कि वर्ष 2028 में बहुमत मिलने पर पायलट को ही मुख्यमंत्री बनाया जाए। क्योंकि 2018 में पायलट का हक छीना गया था। अशोक गहलोत बहुमत मिलने पर हर बार मुख्यमंत्री बनने में सफल हो जाते हैं। जबकि हकीकत यह है कि गहलोत के मुख्यमंत्री रहते हुए ही कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ता है। गहलोत तीन बार मुख्यमंत्री बने, लेकिन एक बार भी मुख्यमंत्री रहते हुए कांग्रेस को बहुमत नहीं दिला सके। तीनों बार गहलोत के नेतृत्व में ही कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है।
S.P.MITTAL BLOGGER (24-11-2025)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9166157932To Contact- 9829071511

