राजनीतिक नियुक्तियां मेरी समझ से परे हैं-सीएम अशोक गहलोत।

राजनीतिक नियुक्तियां मेरी समझ से परे हैं-सीएम अशोक गहलोत।
घंूघट प्रथा से पीछे रह जाएगी धर्म और जाति।
आधी आबादी के साथ अन्याय क्यों?
औरतों के पर्दे में रहने पर गहलोत की खरी खरी।

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18 नवम्बर को अजमेर प्रवास के दौरान मीडिया से संवाद करते हुए राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि राजनीतिक नियुक्तियों का मामला मेरी समझ से परे है। मीडिया अक्सर राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर सवाल करता है। मैं आज तक यह समझ नहीं पाया कि राजनीतिक नियुक्तियां क्या होती हैं? कुछ लोग समझते हैं कि सरकार बनने पर नौकरी में कोई नियुक्ति मिल जाएगी, जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है। मीडिया ने बेवजह मामले को तूल दे रखा है। जहां तक जिला स्तर की किसी सरकारी कमेटी का सवाल है तो अब अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने इसका अधिकार प्रभारी मंत्रियों को दे दिया है। प्रभारी मंत्री अब कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर जिला कमेटियों में सदस्यों के नामों की सिफारिश कर देेंगे। जहां तक राज्य स्तरीय बोर्ड अथवा निगम में नियुक्तियों का सवाल है तो प्रदेश कांग्रेस कमेटी और प्रभारी महासचिव आदि सबको पता है कि कौन सा कार्यकर्ता पार्टी के प्रति समर्पित है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। जहां तक मेरी जानकारी में है आगामी 31 नवम्बर तक ऐसे कार्य पूरे हो जाएंगे। मीडिया को इस बारे में ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है।
घूघट प्रथा से पीछे रह जाएगी धर्म और जाति:
18 नवम्बर को अजमेर के जवाहर रंगमंच पर बाल संगम कार्यक्रम में भाग लेते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि जब हम महिलाओं को आबादी और बराबर का दर्जा देते हैं तो घूंघट की आड़ में महिलाओं को पर्दे के पीछे क्यों रखा जाता है। यदि अब भी औरतों को पीछे रखा जाएगा तो ऐसी जाति और धर्म पीछे रह जाएंगे। महिलाएं पुरुषों के बराबर अधिकार रखती हैं। सभागार में स्कूली बालिकाओं की संख्या को देखते हुए गहलोत ने कहा कि यही बालिकाएं आगे चल कर देश का भविष्य तय करेंगी। यूपीए की चेयरपर्स श्रीमती सोनिया गांधी चाहती है कि लोकसभा और विधानसभा में भी महिलाओं को 33 प्रतिशत का आरक्षण मिले। उन्होंने कहा कि आज समाज के किसी भी क्षेत्र में महिलाएं पीछे नहीं थी। एक समय था जब मंच पर सरपंच पति या प्रधान पति बैठा करते थे, लेकिन आज मंच पर महिला सरपंच और प्रधान शान के साथ बैठती हैं। उन्होंने कहा कि अब कोई कारण नहीं कि महिलाओं को पर्दे में रखा जाए। उन्होंने कहा कि सामाजिक प्रथा की आड़ में महिलाओं को घूंघट में रखना महिलाओं पर अत्याचार है। आज पढ़ी लिखी कोई भी लड़की घूंघट में नहीं रहेगी। यदि सामाजिक प्रथाओं की दुहाई देकर पढ़ी लिखी महिलाओं को घंूघट में रखा जाता है तो यह सामाजिक दृष्टि से भी उचित नहीं है। सरकार चाहती है कि महिलाएं सेल्फडिफेंस के गुर भी सीखे इसके लिए शिक्षा विभाग को निर्देश जारी किए गए हैं। सरकारी स्कूलों में पढऩे वाली छात्राएं यदि सेल्फडिफ्रेंस का प्रशिक्षण लेंगी तो सरकार ऐसी बालिकाओं को नि:शुल्क प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध करवाएगी। उन्होंने कहा कि मैं चाहता हंू कि राजस्थान की महिलाएं देश में नाम रोशन करें। इसके लिए सरकार हर संभव मदद करेगी।
एस.पी.मित्तल) (18-11-19)
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