राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में क्या सचिन पायलट कोई कार्यवाही करवा पाएंगे?

राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में क्या सचिन पायलट कोई कार्यवाही करवा पाएंगे? क्या कोटा के अस्पताल में 110 बच्चों की मौत पर धरा रह जाएगा पायलट का बयान? चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा को लेकर अटकलें।

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5 जनवरी को दिन भर राजस्थान कांग्रेस की राजनीति में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बयान की चर्चा होती रही। कोटा के जेके लोन अस्पताल में 110 बच्चों की मौत पर पायलट ने अपनी ही सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा के अब तक के बयानों के उलट बयान दिया था। बच्चों की मौत पर सरकार अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकती है, पायलट के इस बयान से गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में खलबली मची हुई है। सूत्रों की माने तो पायलट ने 4 जनवरी को अपने कोटा दौरे की रिपोर्ट कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी को भिजवा दी है। अब यदि इस रिपोर्ट पर सरकार के किसी नुमाइंदे पर गाज गिरती है तो सबसे पहले प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा निशाने पर होंगे। 4 जनवरी को अस्पताल के दौरे के समय भी रघु शर्मा और चिकित्सा विभाग ही पायलट के निशाने पर था। पायलट ने जिस अंदाज में मीडिया के सामने कोटा के अस्पताल की खामियां गिनाईं, उससे साफ जाहिर था कि बच्चों की मौत में चिकित्सा विभाग लापरवाह रहा है। लेकिन इसके बावजूद भी रघु शर्मा ने मीडिया के सामने घमंडपूर्ण व्यवहार प्रकट किया। 5 जनवरी को राष्ट्रीय न्यूज चैनलों में रघु शर्मा का दुबई टूर भी छाया रहा। कोटा के सरकारी अस्पताल में जब बच्चों की मौत हो रही थी, तब 22 से 26 दिसम्बर के बीच रघु शर्मा दुबई के दौरे पर थे। दुबई में शर्मा ने फरारी वल्र्ड का भी आनंद उठाया। चिकित्सा विभाग की खामियां मंत्री का घमंडपूर्ण व्यवहार तथा दुबई दौरे की जानकारियां भी सोनिया गांधी तक पहुंचाई गई है। पायलट पहले ही कह चुके है कि बच्चों की मौत की जिम्मेदारी तय होगी। हालात बता रहे है कि जिम्मेदारी की गाज किस पर गिरेगी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शुरू से ही रघु शर्मा को बचाते रहे हैं, लेकिन पायलट की दखलंदाजी के बाद मुख्यमंत्री के लिए भी बचाव करना मुश्किल होगा। लेकिन सवाल उठता है कि क्या गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में पायलट कोई कार्यवाही करवा पाएंगे? कांग्रेस हाईकमान में गहलोत का भी दबदबा है। पायलट के मुकाबले गहलोत अपनी बात को हाईकमान के समक्ष ज्यादा प्रभावी तरीके से रख सकते हैं। लेकिन राजनीति में यह माना जाता है कि जब किसी बड़े नेता पर मुसीबत आती है तो वह बचने के लिए छोटे नेता की बलि चढ़वा देता है। देखना होगा कि कोटा के अस्पताल में बच्चों की मौत के प्रकरण में किस नेता की बलि चढ़ती है। सबकी निगाहे फिलहाल प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट के एक्शन पर लगी है।
एस.पी.मित्तल) (05-01-2020)
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