अमरीका को ईरान से ही नहीं बल्कि आतंकी संगठनों से भी युद्ध करना होगा।
अमरीका को ईरान से ही नहीं बल्कि आतंकी संगठनों से भी युद्ध करना होगा।
केन्या के अमरीकी संयुक्त आर्मी बेस पर आतंकी संगठन अल शबाब का हमला।
युद्ध होने पर भारत की मुसीबत बढ़ेगी।
5 जनवरी को केन्या के अमरीकी आर्मी बेस पर आतंकी संगठन अल शबाब ने जोरदार हमला किया है। कार धमाके में आर्मी बेस को काफी नुकसान हुआ है। अल कायदा जैसे खूंखार आतंकी संगठन से जुड़े अल शबाब के नेताओं ने कहा है कि अमरीकी ठिकानों पर अभी और हमले होंगे। अल शबाब ने केन्या में अमरीकी ठिकानों को तब निशाना बनाया जब अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को हमला न करने के लिए चेताया था। ईराक में अमरीकी दूतावास पर हमले के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने ट्वीट कर कहा है कि अमरीका ने दो ट्रिलियन डालर का सैन्य सामान खरीदा है। यदि ईरान अपनी हरकतों से बाज नहीं आया तो खरीदे गए सैन्य सामानों का इस्तेमाल ईरान को नष्ट करने के लिए किया जाएगा। अल शबाब के हमले से जाहिर है कि अमरीका को ईरान और उसके समर्थक देशों से ही युद्ध नहीं करना होगा, बल्कि अल कायदा जैसे आतंकी संगठनों से भी लडऩा होगा। अल कायदा जैसे आतंकी संगठनों ने पाकिस्तान सहित अनेक मुस्लिम राष्ट्रों में अपने पैर जमा रखे हैं। ऐसे संगठनों को जन समर्थन भी हासिल हैं। अमरीका अपनी सैन्य ताकत के बल पर ईरान को नुकसान पहुंचा सकता है, लेकिन आतंकी संगठनों से पार माना मुश्किल है। आतंकी संगठनों की पार का अहसास अमरीका अफगानिस्तान में कर चुका है। इसलिए अमरीका को अपनी सैन्य ताकत पर इतराना नहीं चाहिए। ऐसा कोई रास्ता निकाला जाए, जिसमें शांति बनी रहे। ईरान के सैन्य कमांडर कासिम सुलेमानी की मौत से पहले तनाव हो गया है। 5 जनवरी को ईरान की सड़कों पर लाखों लोग अमरीका के खिलाफ गुस्सा जता रहे हैं। ईरान की प्रमुख मस्जिद पर लाल झंडा लहरा कर ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अली खुमनेई ने अमरीका के खिलाफ युद्ध का ऐलान कर दिया है। अमरीका और ईरान के युद्ध से सबसे ज्यादा मुसीबत भारत को होगी। अब तक भारत अपनी कूटनीति के अंतर्गत दोनों देशों को दोस्त बना हुआ था। एक ओर जहां भारत ईरान के बंदरगाह के निर्माण में भूमिका निभा रहा है, वहीं डोनाल्ड ट्रंप को दोबारा से अमरीका का राष्ट्रपति बनवाने में भी सक्रिय है। भारत अपनी जरूरत का अस्सी प्रतिशत तेल आयात करता है। सबसे ज्यादा तेल ईरान से भी मंगाया जाता है। मित्र होने के कारण ईरान भारत को अन्य देशों के मुकाबले सस्ता तेल देता है। ऐसे में युद्ध के दौरान भारत को दोनों देशों के बीच तालमेल करना मुश्किल होगा। देखना होगा कि दोनों देशों के बीच शांति बहाली के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी क्या भूमिका निभाते हैं। मोदी फिलहाल दोनों देशों के प्रमुख नेताओं से सम्पर्क बनाए हुए हैं।
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