कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में सक्रियता के दौरान अशोक गहलोत स्वयं को राजस्थान का मुख्यमंत्री भी साबित कर रहे हैं। लगातार 6 दिनों में से सिर्फ एक दिन जयपुर में। ऐसा पिछले कई माह से चल रहा है।

6 सितंबर को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जयपुर में अपने सरकारी आवास से  वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए  चिकित्सा और पुलिस महकमे की समीक्षा की। गहलोत ने यह दिखाने का प्रयास किया कि वे राजस्थान के मुख्यमंत्री  की भूमिका भी प्रभावी तरीके से निभा रहे हैं। असल में गहलोत पिछले कुछ माह से कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय हैं। इसलिए ज्यादातर समय उनका राजस्थान से बाहर ही व्यतीत हो रहा है। 6 दिनों का रिकॉर्ड देखा जाए तो गहलोत सिर्फ 6 सितंबर को ही जयपुर में मौजूद रहे। 6 सितंबर को भी सरकारी बैठकों के बाद उनका केरल जाने का कार्यक्रम निर्धारित है। दिल्ली में 4 सितंबर की महंगाई विरोधी रैली को सफल बनाने के लिए गहलोत 3 सितंबर को ही दिल्ली पहुंच गए थे। 4 सितंबर को रैली से फ्री होते ही गहलोत दिल्ली से अहमदाबाद पहुंच गए। गहलोत पांच सितंबर को राहुल गांधी के साथ अहमदाबाद के कार्यक्रमों में मौजूद रहे। राहुल गांधी की भारत जोड़ों यात्रा 7 सितंबर से केरल के कन्याकुमारी से शुरू हो रही है। यात्रा के शुभारंभ पर राहुल गांधी के साथ गहलोत भी रहेंगे। यही वजह है कि गहलोत एक दिन पहले ही कन्याकुमारी पहुंच रहे हैं। जानकारों के अनुसार गहलोत यात्रा में दो दिन या इससे भी अधिक दिनों तक राहुल गांधी के साथ रहेंगे। यानी लगातार 6 दिनों में से एक दिन गहलोत जयपुर में रहे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि इन दिनों गहलोत कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय हैं। पूर्व में ईडी द्वारा सोनिया गांधी और राहुल गांधी से हुई पूछताछ के समय भी गहलोत दिल्ली में ही रहे। ईडी ने जितने दिन पूछताछ की उने दिन दिल्ली में रह कर गहलोत केंद्र सरकार के विरोध में प्रदर्शन किया। मौजूदा समय में गहलोत को ही गांधी परिवार का प्रमुख सलाहकार माना जा रहा है। कांग्रेस की रणनीति गहलोत के द्वारा ही तैयार की जा रही है। गहलोत की रणनीति के अनुसार ही कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव का कार्यक्रम भी घोषित किया गया है। गहलोत यह दिखाना चाहते हैं कि देश के विपक्ष में कांग्रेस की महत्वपूर्ण भूमिका है और विपक्षी दलों का नेतृत्व कांग्रेस ही कर सकती है।  गहलोत ऐसा तब दिखा रहे हैं, जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं। कुछ दलों ने नीतीश कुमार को विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया है। सवाल उठता है कि यदि क्षेत्रीय दल नीतीश कुमार को पीएम उम्मीदवार स्वीकार करेंगे तो फिर कांग्रेस और राहुल गांधी का क्या होगा? 

S.P.MITTAL BLOGGER (06-09-2022)
Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9929383123To Contact- 9829071511

Print Friendly, PDF & Email

You may also like...