गुलेलों का उपयोग बताता है कि दिल्ली की हिंसा पूर्व नियोजित थी।
गुलेलों का उपयोग बताता है कि दिल्ली की हिंसा पूर्व नियोजित थी।
पुलिस की इंटेलीजेंसी पर भी सवाल:
साइकिल रिक्शा पर बड़ी गुलेल बनाने और छतों की मुंडेर पर लोहे के एंगल पर गुलेल को तैयार करने में कई दिनों का समय लगा लेकिन पुलिस की इंटेलीजेंसी को ऐसी तैयारियों के बारे में पता ही नहीं चला। दिल्ली की पुलिस को दुनिया की स्मार्ट पुलिस में शामिल किया जाता है। लेकिन इतने बड़े पैमाने पर हो रही तैयारियों की जानकारी पुलिस को नहीं लगी। अब बदली हुई परिस्थितियों में पुलिस को अपना खूफिया तंत्र मजबूत करना होगा। दिल्ली का माहौल पिछले कुछ माह से तनाव पूर्ण चल रहा था। लेकिन पुलिस को पूर्व नियोजित हिंसा की जानकारी नहीं मिली। यदि पुलिस का खूफिया तंत्र मजबूत होता तो दंगाइयों को पहले ही पकड़ा जा सकता था। यह माना कि कई इलाकों में पुलिस का प्रवेश मुश्किल होता है, लेकिन फिर भी खूफिया जानकारी तो एकत्रित की ही जा सकती है। अब जब सैटेलाइट से निगरानी हो रही है तो फिर पुलिस का खूफिया तंत्र भी मजबूत होना चाहिए।
आईबी अफसर के शरीर पर चाकू के चार सौ घाव:
जिस आईबी अफसर अंकित शर्मा का शव हिंसा के दौरान दिल्ली के चांदबाग के नाले में मिला उसके शरीर का जब पोस्टमार्टम किया गया तो पता चला कि शरीर में चाकू के चार सौ घाव हैं। यानि शरीर के हर अंग पर चाकू से वार किया गया। अंदाजा लगाया जा सकता है कि अंकित शर्मा को दंगाइयों ने कितनी बेरहमी से मौत के घाट उतारा होगा।
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