इसलिए नहीं बोलता कोई भ्रष्टाचार के खिलाफ। अब 5 नहीं 50 लाख देने होंगे कॉमेडियन कपिल शर्मा को।
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अक्सर यह सवाल होता है कि आखिर लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलते क्यों नहीं है? क्यों सरकारी अफसरों को चुपचाप रिश्वत दे दी जाती है। ऐसे सभी सवालों के जवाब देश के नंबर एक कॉमेडियन कपिल शर्मा के ताजा प्रकरण से मिल जाएंगे। कपिल मुंबई में अपना मकान बनवा रहे हंै। कपिल ने बीएमसी से आवासीय नक्शा स्वीकृत करवाया है, लेकिन अब कपिल नियमों के विरूद्व जाकर आवासीय परिसर में दफ्तर भी खोल रहे हैं तथा एक मंजिल का निर्माण भी गलत तरीके से कर रहे हैं। जो अपराध कपिल ने किया वैसा मुंबई में ही नहीं बल्कि देशभर में होता है। आवासीय परिसर का उपयोग व्यवसाय में करना तो आम बात है, लेकिन अपराध करने वाले भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलते नहीं हंै। सब लोग चुपचाप बीएमसी जैसी संस्थाओं के अधिकारियों को रिश्वत देकर अपना अवैध निर्माण स्वीकृत करवा लेते हैं। कपिल सही कह रहे हैं कि बीएमसी के अधिकारियों और एमएनएस के एक नेता ने 5 लाख रूपए की रिश्वत मांगी। लेकिन कपिल को रिश्वत मांगना बुरा लगा और सीधे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से सवाल पूछ लिया कि क्या यही अच्छे दिन है? अब कपिल को यह कौन समझाए कि नरेन्द्र मोदी ने बड़े से बड़े कॉमेडियनों को समझ रखा है। मोदी कोई जवाब देते इससे पहले ही महाराष्ट्र के सीएम देवेन्द्र फडऩवीस ने कपिल से रिश्वत मांगने वाले अधिकारी का नाम जानना चाहा। इतना ही नहीं राज ठाकरे के एमएनएस ने तो घोषणा कर दी कि अब कपिल शर्मा को मुंबई में शूटिंग ही नहीं करने दी जाएगी। चौतरफा हमले को देखते हुए कपिल ने कह दिया कि उन्होंने किसी राजनीतिक दल अथवा अधिकारी पर कोई आरोप नहीं लगाया है। यानि कपिल ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जो हिम्मत दिखाई, उसका खामियाजा अब कपिल को लंबे समय तक उठाना पड़ेगा। हो सकता है कि बीएमसी कपिल का अवैध निर्माण भी तोड़ दे और एनएनएस के कार्यकर्ता कपिल के घर पर हमला भी करें। अच्छा होता कि कपिल चुपचाप 5 लाख रूपए की रिश्वत देकर अपना अवैध निर्माण स्वींकृत करवा लेते। लेकिन अब कपिल को 5 नहीं बल्कि 50 लाख रूपए देने पड़ेगे। जब कपिल जैसे बड़े कलाकार की स्थिति ऐसी है तो फिर आम आदमी की मजबूरी का अंदाजा लगाया जा सकता है। असल में देश के इस भ्रष्ट तंत्र पर उन्हीं लोगों का कब्जा है, जो हर काम में रिश्वत मांगते हंै। शर्मनाक और गंभीर बात तो यह है कि भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए राजनेताओं और अधिकारियों का गठजोड़ है। कपिल शर्मा जैसे लोग भी इस गठजोड़ को नहीं तोड़ सकते। जो सीएम खुले आम कपिल से रिश्वत मांगने वाले अधिकारी का नाम पूछ रहे हंै, वो सीएम यदि भ्रष्टाचार के खिलाफ होते तो चुपचाप कपिल से नाम पूछकर अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही करते। ऐसी कार्यवाही राज ठाकरे को भी अपने आरोपी कार्यकर्ता के खिलाफ करनी चाहिए थी लेकिन उल्टा रहा है। यदि 5 लाख की रिश्वत लेकर अवैध निर्माण को स्वीकृत किया जा सकता है तो फिर यह काम बिना रिश्वत के भी होना चाहिए। रिश्वत लेने वाला बड़े से बड़ा अधिकारी कभी भी कायदे कानून के खिलाफ काम नहीं करता। असल में नियमों के अंतर्गत आने वाले काम के लिए भी खुले आम रिश्वत मांगी जाती है और जो नहीं देता उसका हाल कपिल शर्मा जैसा होता है। अब कपिल को 50 लाख रूपए भी देने होंगे और सरेआम माफी भी मांगनी होगी।
(एस.पी. मित्तल) (10-09-2016)
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