31 मार्च तक रेल सेवाएं रद्द होने से कोरोना वायरस की गंभीरता को समझा जा सकता है।

31 मार्च तक रेल सेवाएं रद्द होने से कोरोना वायरस की गंभीरता को समझा जा सकता है।
31 मार्च तक लॉक डाउन करना राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का बोल्ड कदम।
भीलवाड़ा के बांगड़ अस्पताल के चिकित्सक के खिलाफ पुलिस में शिकायत। 

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22 मार्च को जनता कफ्र्यू के दौरान ही केन्द्र सरकार ने 31 मार्च तक सभी प्रकार की यात्री ट्रेनों को रद्द कर दिया है। यानि अब रेल पटरियों पर सिर्फ मालगाड़ी ही दौड़ेंगी। देश के इतिहास में यह पहला अवसर है जब इतने लम्बे समय तक के लिए देश भर में एक साथ यात्री ट्रेनों को बंद किया गया है। सरकार के इस फैसले से कोरोना वायरस के प्रकोप की गंभीरता को समझा जा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की जानकारी बताती है कि भारत कोरोना वायरस की थर्ड स्टेज पर खड़ा हुआ है। ऐसे में सरकार नहीं चाहती  कि नागरिकों की बड़ी संख्या में मौतें हो। हालांकि भारत में भी इस वायरस से प्रभावित लोगों की मौत होना शुरू हो गई है। चूंकि यह वायरस अब एक-दूसरे से निकल कर समुदाय में फैलने लगा है, इसलिए सरकार ने देश भर में यात्री ट्रेनों को रद्द किया है। ताकि लोग एक दूसरे स्थान पर नहीं जा सके। 22 मार्च को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर देशभर में जनता कफ्र्यू सफल रहा है। जनता कफ्र्यू के दौरान ही यात्री ट्रेनों को रद्द किए जाने का निर्णय लिया है। हालांकि इससे यात्रियों को परेशानी भी होगी।
गहलोत का बोल्ड कदम:
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कोरोना वायरस के प्रकोप के मद्देनजर प्रदेश भर में आगामी 31 मार्च तक लॉक डाउन कर दिया है। आवश्यक वस्तुओं की दुकानों को छोड़ कर सभी प्रकार की दुकानें बंद रखने का आदेश दिया गया है। एक तरह से यह भी जनता कफ्र्यू की तरह ही है। चूंकि लॉक डाउन सरकारी आदेश से किया गया है। इसलिए सरकार इसमें सख्ती भी बरत सकती है। राजस्थान के इतिहास में भी यह पहला अवसर होगा, जब दस दिनों के लिए सरकारी आदेश से लॉक डाउन किया गया है। राज्य सरकार की भी मंशा लोगों को कोरोना वायरस के प्रकोप से बचाने की है। उम्मीद की जानी चाहिए कि लोग लॉक डाउन का पूरी तरह पालन करेंगे।
अस्पताल के चिकित्सक के खिलाफ शिकायत:
प्रदेश के भीलवाड़ा के बृजेश बांगड मेमोरियल अस्पताल के चिकित्सक डॉ. आलोक मित्तल के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दी गई है। वनस्थली विद्या पीठ की लॉ स्टूडेंट अनुकृति शर्मा ने भीलवाड़ा के पुलिस अधीक्षक को ईमेल पर शिकायत भेजी है। इस शिकायत में आरोप लगाया है कि डॉ. आलोक मित्तल ने अपने डॉक्टरी के पेशे के सिद्धांतों का पालन नहीं किया, जिसकी वजह से कई लोगों के जीवन को खतरा उत्पन्न हो गया। शिकायत में कहा गया है कि डॉक्टर मित्तल के विरुद्ध राजस्थान स्टेट महामारी एक्ट 1957 की धारा 144 तथा आपराधिक धारा 188, 269 व 270 के साथ साथ आईपीसी की धाराओं में भी कार्यवाही की जाए।  शिकायत में कहा गया कि इस मामले में तत्काल एफआईआर दर्ज कर सख्त कार्यवाही की जाए। उल्लेखनीय है कि भीलवाड़ा के इस अस्पताल में हुई लापरवाही की वजह से ही कोरोना वायरस को फैलने का मौका मिला है। आरोप है कि अस्पताल के दो चिकित्सक कोरोना वायरस से संक्रमित थे, लेकिन जानकारी के अभाव में कई दिनों तक अस्पताल में मरीजों का इलाज करते रहे। सरकार अब सात हजार से भी ज्यादा मरीजों की जांच का काम कर रही है। हालात पर नियंत्रण पाने के लिए भीलवाड़ा में कफ्र्यू लगा दिया गया है। जिले की सीमा को सील कर सख्त कार्यवाही की जा रही है। इस अस्पताल में हुई लापरवाही की वजह से सरकार के सामने भी बड़ा संकट खड़ा हो गया है।
(एस.पी.मित्तल) (22-03-2020)
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