एमडीएस यूनिवर्सिटी में काम नहीं करने वाले कार्मिकों को रगड़ कर रख दूंगा-टैम्परेरी वीसी प्रो.पीसी त्रिवेदी। एक शिक्षाविद को ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करना शोभा नहीं देता। प्रो. त्रिवेदी बताए कि जोधपुर यूनिवर्सिटी में कितने कामचोर कार्मिकों के लिए यह तकनीक काम में लाई गई।
प्रोफेसर पीसी त्रिवेदी ने 25 अगस्त को अजमेर स्थित एमडीएस यूनिवर्सिटी में टैम्परेरी तौर पर वाइस चांसलर का पद संभाल लिया है। पद संभालते ही प्रो. त्रिवेदी ने कहा कि यदि उन्हें अवसर मिला तो काम नहीं करने वाले कार्मिकों को रगड़ कर रख दूंगा। प्रो. त्रिवेदी का रगड़ने वाला बयान 26 अगस्त को दैनिक समाचार पत्रों में प्रमुखता से छपा है। सवाल उठता है कि क्या एक शिक्षाविद को ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करना चाहिए? यदि कोई अनपढ़-गंवार व्यक्ति यदि सार्वजनिक तौर पर ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करें तो महत्व की कोई बात नहीं है, क्योंकि गंवार व्यक्ति को शिक्षा का ज्ञान नहीं होता है। लेकिन प्रोफेसर स्तर का कोई शिक्षाविद ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करेगा तो सवाल उठेंगे ही। सरकार ने काम नहीं करने वाले कार्मिकों को दंड देने के लिए नियम कायदे बना रखे हैं। ऐसे नियम कायदे एमडीएस यूनिवर्सिटी के लिए भी हैं। प्रो.त्रिवेदी किसी प्राथमिक स्कूल के हेडमास्टर नहीं बने हैं। वे साढ़े तीन लाख विद्यार्थियों वाली एमडीएस यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर बनाए गए हैं। भले ही उनकी नियुक्ति टैम्परेरी तौर पर हुई हो, लेकिन उन्हें वाइस चांसलर का काम स्थाई वीसी की तरह ही करना है। प्रोफेसर त्रिवेदी की नियुक्ति का महत्त्व इसी से समझा जा सकता है कि उनकी नियुक्ति राज्यपाल ने की है। जिस शिक्षाविद की नियुक्ति संवैधानिक हों यदि वह स्तरहीन शब्दों का करेगा तो कार्यशैली का अंदाजा लगाया जा सकता है। गंभीर बात तो यह है कि प्रोफेसर त्रिवेदी मौजूदा समय में जोधपुर स्थित जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी के स्थाई वीसी हैं। प्रोफेसर त्रिवेदी बताएं कि जोधपुर यूनिवर्सिटी में काम चोर कार्मिकों पर इस रगड़ाई तकनीक का इस्तेमाल किस प्रकार किया गया। सब जानते हैं कि यूनिवर्सिटी के वीसी के पद पर राज्य सरकार की सिफारिश से नियुक्ति होती है। चूंकि जोधपुर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का गृह जिला है, इसलिए प्रोफेसर त्रिवेदी मुख्यमंत्री गहलोत की पसंद भी रहे हैं। प्रोफेसर त्रिवेदी को कम से कम मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा का तो ख्याल रखना ही चाहिए। जहां तक एमडीएस यूनिवर्सिटी में कामचोर कार्मिकों का सवाल है तो इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि पिछले एक वर्ष से कुलपति के पद पर स्थाई नियुक्ति नहीं हुई है। इससे कई महत्वपूर्ण काम लटके पड़े हैं। खुद प्रोफेसर त्रिवेदी ने माना है कि जोधपुर यूनिवर्सिटी में आधी से ज्यादा वार्षिक परीक्षाएं हो चुकी है, जबकि अजमेर में अभी परीक्षाएं शुरू भी नहीं हुई है। प्रो.त्रिवेदी को शब्दों का इस्तेमाल करते समय यह भी ध्यान रखना चाहिए कि यूनिवर्सिटी में बड़ी संख्या में छात्राएं अध्ययन करती हैं। व्यक्ति का आचरण पद की मर्यादा के अनुरूप होना चाहिए। S.P.MITTAL BLOGGER (26-08-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9799123137To Contact- 9829071511