पंजाब के मोहाली में खुफिया दफ्तर पर हुए आतंकी हमले को अरविंद केजरीवाल को गंभीरता से लेना होगा। वर्ष 1980 से 83 के बीच पनपे आतंकवाद से पंजाब को बचाना होगा। पंजाब में तो केजरीवाल के पास पुलिस भी है।

9 मई की रात को पंजाब के मोहाली स्थित खुफिया दफ्तर पर रॉकेट से हमला किया गया। इससे पंजाब पुलिस का यह दफ्तर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ। चूंकि हमला रात के समय हुआ इसलिए कोई जनहानि नहीं हुई। इस हमले की जिम्मेदार खालिस्तान समर्थक सिख फॉर जस्टिस संगठन ने ली है। इस संगठन की ओर से कहा गया है कि ऐसे हमले पंजाब के साथ साथ हिमाचल प्रदेश में भी हो सकते हैं। 8 मई को ही शिमला स्थित हिमाचल विधानसभा के मुख्य द्वार पर खालिस्तान के झंडे लगाए गए थे। सब जानते हैं कि गत किसान आंदोलन में भी खालिस्तान समर्थक सिख फॉर जस्टिस की सक्रिय भूमिका देखी गई थी। किसान आंदोलन को दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल का भी समर्थन था। जो किसान दिल्ली की सीमाओं पर बैठे थे, उन्हें केजरीवाल सरकार की ओर से अनेक सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई। इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में पंजाब में केजरीवाल की पार्टी को 117 में से 92 सीटें प्राप्त हुई। मौजूदा समय में केजरीवाल की पार्टी के भगवंत मान ही मुख्यमंत्री हैं, लेकिन सब जानते हैं कि पंजाब की सरकार चलाने में असली भूमिका अरविंद केजरीवाल की ही है। पंजाब के बड़े बड़े अधिकारी दिल्ली आकर केजरीवाल से निर्देश प्राप्त करते हैं। भले ही भगवंत मान मुख्यमंत्री हों, लेकिन सरकार लाने में केजरीवाल की नीतियां ही काम आती हैं। ऐसे में पंजाब की ताजा आतंकी घटनाओं को केजरीवाल को गंभीरता से लेना चाहिए। वर्ष 1980 से 83 के बीच पनपे आतंक से पंजाब को बचाने की जिम्मेदारी केजरीवाल की ही है। केजरीवाल को यह समझना चाहिए कि पंजाब की सीमाएं दुश्मन देश पाकिस्तान से सटी हुई है। आतंकी घटनाओं में पाकिस्तान का भी हाथ हो सकता है। पंजाब में उन ताकतों को राजनीतिक संरक्षण नहीं मिलना चाहिए जो खालिस्तान की समर्थक है। यदि पंजाब में खालिस्तानी मूवमेंट फिर से जोर पकड़ता है तो पूरे देश को कीमत चुकानी पड़ेगी। यह माना कि दिल्ली में तो पुलिस केजरीवाल के अधीन नहीं है, लेकिन पंजाब में तो पुलिस पर केजरीवाल की पार्टी का ही नियंत्रण है। ऐसे में मोहाली के खुफिया दफ्तर पर रॉकेट से हमला होना, पंजाब पुलिस की विफलता भी है। जिस दफ्तर के पास गोपनीय सूचनाएं जुटाने का काम है यदि वही दफ्तर आतंकी हमले का शिकार हो रहा है तो कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। दिल्ली में तो कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी केजरीवाल तुरंत केंद्र सरकार पर डाल देते हैं, लेकिन पंजाब की जिम्मेदारी तो केजरीवाल को ही लेनी पड़ेगी। यह बात अलग है कि केजरीवाल पंजाब की जिम्मेदार मुख्यमंत्री भगवंत मान पर डाल कर स्वयं बच जाएं। 

S.P.MITTAL BLOGGER (10-05-2022)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9929383123To Contact- 9829071511

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