मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जब अपने घर से कांग्रेस विधायक गिर्राज मलिंगा को गिरफ्तार करवा सकते हैं, तब जलदाय मंत्री महेश जोशी का इस्तीफा क्यों नहीं ले रहे? जोशी के बेटे रोहित पर महिला पत्रकार के साथ बलात्कार करने का आरोप है। पुलिस ने जिन अफसरों ने पीड़िता की एफआईआर दर्ज नहीं की, क्या उन पर कार्यवाही होगी?
राजस्थान के इतिहास में संभवत: यह पहला अवसर होगा, जब किसी अपराधी को मुख्यमंत्री के सरकारी आवास से पकड़ा गया हो। यह रिकॉर्ड मौजूदा सीएम अशोक गहलोत के नाम दर्ज हो गया है। धौलपुर डिस्कॉम के एईएन हर्षाधिपति की पिटाई करने के आरोप में गत 28 मार्च को कांग्रेस विधायक गिर्राज मलिंगा के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था, लेकिन लाख कोशिश के बाद भी मलिंगा को गिरफ्तार नहीं किया जा सका। प्रदेशभर में डिस्कॉम के इंजीनियरों के बढ़ते दबाव के मद्देनजर सीएम गहलोत ने 11 मई को सुबह विधायक मङ्क्षलगा को जयपुर स्थित सरकारी आवास पर बुलाया। आवास पर पहले से ही किसी अन्य कार्य के लिए डीजीपी एमएल लाठर अन्य अधिकारी मौजूद थे। इसी बीच जयपुर के पुलिस आयुक्त आनंद श्रीवास्तव को बुलाकर विधायक मलिंगा को सुपुर्द कर दिया। यानी पुलिस ने आरोपी विधायक को सीएम के सरकारी घर से ही हिरासत में लिया। सवाल उठता है कि जब सीएम गहलोत कांग्रेस के एक विधायक को अपने घर से पकड़वा सकते हैं, तब जलदाय मंत्री महेश जोशी का इस्तीफा क्यों नहीं ले रहे हैं? विधायक मलिंगा का आरोप तो इतना संगीन भी नहीं है, क्योंकि एईएन को पीटने वालों में पीड़ित ग्रामीण भी शामिल थे, जबकि महेश जोशी के बेटे रोहित जोशी पर एक 23 वर्षीय महिला पत्रकार के साथ बलात्कार करने का गंभीर आरोप है। पीड़िता द्वारा मजिस्ट्रेट के समक्ष 164 के बयान दर्ज करवा दिए जाने के बाद भी मंत्री जोशी का सार्वजनिक तौर पर कहना है कि उनका बेटा बलात्कार कर ही नहीं सकता। महेश जोशी के दावे अपनी जगह है, लेकिन मंत्री के बेटे पर बलात्कार की एफआईआर दर्ज होने के बाद देश भर में गहलोत सरकार की बदनामी हो रही है। गहलोत को एक संवेदनशील मुख्यमंत्री माना जाता है। गहलोत का प्रयास रहता है कि उनकी साफ सुथरी और गांधीवादी छवि पर कोई दाग न लगे, लेकिन इसके विपरीत अभी तक भी महेश जोशी का इस्तीफा नहीं लिया हे। सवाल उठता है कि सीएम गहलोत जोशी पर इतना नरम रुख क्यों अपना रहे हैं? क्या महेश जोशी के मंत्री रहते बलात्कार पीड़िता को न्याय मिल पाएगा? एक तरफ सीएम गहलोत दावा करते हैं कि बलात्कार के मामलों में सरकार सख्त है, लेकिन वहीं बलात्कार के आरोपी के पिता को अपना मंत्री बना रखा है। महेश जोशी जब तक मंत्री हैं, तब तक यह मामला मीडिया की हैडलाइन बना हुआ है। इससे रोजाना गहलोत सरकार की छवि खराब हो रही है। मंत्री रहते महेश जोशी जिस प्रकार आरोपी बेटे का बचाव कर रहे है, उससे भी सरकार की छवि पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। अब कांग्रेस में भी यह मांग उठने लगी है कि अपराध के मामले में गहलोत को जो रुख विधायक मलिंगा पर दिखाया है, वहीं मंत्री महेश जोशी के मामले में भी दिखाना चाहिए।
क्या कार्यवाही होगी:
बलात्कार की शिकार पीड़िता ने कहा है कि जयपुर में एफआईआर दर्ज करवाने के लिए उसने पुलिस आयुक्त आनंद श्रीवास्तव से लेकर सिंधी कैम्प, सदर थाना के अधिकारियों तक से संपर्क किया। लेकिन किसी ने भी रोहित जोशी के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की। चूंकि जयपुर पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की, इसलिए उसे मजबूरन दिल्ली में एफआईआर दर्ज करानी पड़ी। यहां यह उल्लेखनीय है कि सरकार यह दावा बार बार करती है कि थानो पर एफआईआर लिखी जा रही है। यदि कोई थानाधिकारी एफआईआर नहीं करता है तो सीधे जिला पुलिस अधीक्षक के माध्यम से एफआईआर दर्ज करवाई जा सकती है। सरकार का यह भी कहना है कि एफआईआर दर्ज नहीं करने वाले पुलिस अधिकारियों पर कार्यवाही भी होगी। सवाल उठता है कि अब जब पीडि़ता जयपुर के संबंधित पुलिस अधिकारियों के नाम बता रही है, तो क्या ऐसे अधिकारियों पर कोई कार्यवाही होगी?
S.P.MITTAL BLOGGER (12-05-2022)
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