झारखंड-हेमंत सोरेन ने मंत्री रहते खनन का पट्टा लिया। दिल्ली-शराब ठेकेदारों का 144 करोड़ रुपए का शुल्क माफ। तेलंगाना-ओवैसी ने 90 उपद्रवियों को पुलिस थाने से आजाद करा दिया। राजस्थान-अडानी समूह को नियमों के विरुद्ध 23 हजार बीघा भूमि का आवंटन। लेकिन फिर भी कांग्रेस को लगता है, देश में लोकतंत्र खत्म हो गया है।
भारत के लगभग 12 राज्यों में विपक्षी दलों की सरकार है। यानी इन राज्यों में गैर भाजपाई दलों की सरकार है। भारत के संघीय ढांचे में राज्य सरकारों के पास बहुत शक्तियां होती हैं। केंद्र शासित प्रदेशों को छोड़ कर अन्य राज्यों में पुलिस भी संबंधित राजनीतिक दल की सरकार के अधीन ही होती है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में विपक्षी दलों की सरकार कैसे काम कर रही है, इसके ताजा उदाहरण झारखंड, दिल्ली, तेलंगाना, राजस्थान आदि राज्यों में देखने को मिल जाएंगे। झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार है। मुख्यमंत्री रहते हेमंत सोरेन ने स्वयं के नाम ही खनन का पट्टा जारी करवा लिया। अब चुनाव आयोग ने सोरेन की विधानसभा की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश भी की है। नैतिकता के नाते हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। लेकिन कहा जा रहा है कि इस्तीफा देने के बजाए सोरेन विधायक दल की बैठक बुलाएंगे और फिर दोबारा से विधायक दल का नेता चुन कर मुख्यमंत्री पद की शपथ ले लेंगे। बाद में छह माह के अंदर अंदर फिर से विधायक चुन लिए जाएंगे। ऐसे में राज्यपाल द्वारा हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री पद से हटाने का आदेश धरा रह जाएगा। दिल्ली में आप आदमी पार्टी की सरकार है और अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री हैं। आप की सरकार ने दिल्ली के शराब ठेकेदारों का 144 करोड़ रुपए का शुल्क माफ कर दिया। अब जब डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया पर गिरफ्तारी की तलवार लटकी है तो भाजपा पर सरकार गिराने का आरोप लगाया जा रहा है। जबकि 70 में से 62 विधायक आप के हैं। मजे की बात तो यह है कि शराब घोटाले में फंसी दिल्ली सरकार राजघाट पर जाकर महात्मा गांधी की समाधि पर पुष्प चढ़ा रहे हैं। जबकि महात्मा गांधी ने कहा था कि शराब की कमाई से स्कूल चलाने के बजाए मुझे स्कूल बंद करना मंजूर है। दिल्ली में लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं का खुला मजाक उड़ाया जा रहा है। तेलंगाना में तो ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कानून व्यवस्था को अपने पैरों तले कुचल दिया है। तेलंगाना में चंद्रशेखर राव मुख्यमंत्री है, चंद्रशेखर राव के नेतृत्व में चले आंदोलन के कारण ही आंध्र प्रदेश को तोड़कर तेलंगाना का गठन हुआ। राजधानी हैदराबाद में पुलिस ने तेलंगाना में 90 उपद्रवियों को हिरासत में लिया, लेकिन ओवैसी ने इन सभी 90 उपद्रवियों को पुलिस थाने से छुड़वा लिया, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ओवैसी तेलंगाना की सरकार से कितने ताकतवर हैं। गंभीर बात तो यह है कि अपने पैरों तले कानून को कुचलने वाले ओवैसी न्यूज चैनलों पर बैठ कर संविधान की दुहाई देते हैं। ओवैसी ने कृत्य किया है उससे आने वाले समय का अंदाजा भी लगाया जा सकता है। राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार चल रही है। अडानी समूह को लेकर राहुल गांधी पीएम मोदी पर कितने भी आरोप लगाए, लेकिन यह सही है कि गहलोत ने राजस्थान के जैसलमेर जिले में अडानी समूह को 23 हजार 642 बीघा भूमि आवंटित कर दी है। यह भूमि नियमों के विरुद्ध दी गई है, इसलिए अब हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। कोर्ट ने सरकार को नोटिस भी जारी कर दिए हैं। अब इस मामले में 9 सितंबर को हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। एक और लोकतांत्रिक व्यवस्था में राज्य सरकारों काम का यह तरीका है, तो वहीं कांग्रेस को लगता है कि देश में लोकतंत्र खत्म हो गया है। कांग्रेस का मानना है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने पूरे देश में भय व दहशत का माहौल बना रखा है। सवाल उठता है कि यदि लोकतंत्र खत्म हो गया होता तो राज्य सरकारें ऐसी मनमानी कैसे करती। यदि नरेंद्र मोदी ने वाकई लोकतंत्र खत्म कर दिया होता तो अशोक गहलोत राजस्थान में 23 हजार बीघा भूमि आवंटित कर पाते और न ही दिल्ली में अरविंद केजरीवाल शराब ठेकेदार का 144 करोड़ रुपया माफ कर पाते, फिर ओवैसी भी पुलिस थाने से उपद्रवियों को छोड़ने की हिम्मत नहीं कर पाते। लोकतंत्र की खामियों का फायदा उठाकर ही राजनीतिक दल मनमानी कर रहे हैं।
S.P.MITTAL BLOGGER (26-08-2022)
Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9929383123To Contact- 9829071511