कांग्रेस के अधिवेशन में सचिन पायलट का भाषण तक नहीं हुआ। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बताएं कि पायलट के मौन रहने पर क्या राजस्थान में कांग्रेस की सरकार रिपीट हो जाएगी? सिर्फ अल्पसंख्यकों के वोट से ही कांग्रेस की जीत नहीं होगी-एके एंथोनी।
28 दिसंबर को जयपुर में राजस्थान कांग्रेस का दो दिवसीय अधिवेशन हुआ। 10 माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए ही यह अधिवेशन बुलाया गया था। इस अधिवेशन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि उनकी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के कारण इस बार राजस्थान में कांग्रेस की सरकार रिपीट होगी। वहीं प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा कि सरकार की योजनाओं का प्रचार प्रसार नहीं हो रहा है। अधिवेशन में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने गुटबाजी को दरकिनार कर संगठन को मजबूत करने की सीख कार्यकर्ताओं को दी। अधिवेशन में सीएम गहलोत अपनी सरकार के रिपीट होने को लेकर उत्साहित दिखे। लेकिन इस अधिवेशन की खास बात यह रही कि मंच पर मौजूद पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट को बोलने का अवसर नहीं दिया गया। सब जानते हैं कि 2018 में पायलट के नेतृत्व की बदौलत ही कांग्रेस को बहुमत मिला था। यह बात अलग है कि कांग्रेस हाईकमान ने अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया, लेकिन प्रदेश में पायलट का प्रभाव बना रहा। आज भी प्रदेशभर में पायलट की लोकप्रियता है। अधिवेशन में पायलट का भाषण नहीं होने को लेकर अब कांग्रेस संगठन में ही चर्चा हो रही है। सीएम गहलोत अपनी सरकार की वापसी पर उत्साहित तो हैं, लेकिन उन्हें यह बताना चाहिए कि क्या सचिन पायलट के मौन रहने से कांग्रेस सरकार रिपीट हो जाएगी? गहलोत का जवाब इसलिए भी चाहिए कि उनके (अशोक गहलोत) मुख्यमंत्री रहते हुए कांग्रेस कभी भी चुनाव नहीं जीता है। 2003 में गहलोत जब सीएम थे, तब कांग्रेस को 56 सीटें मिली और 2008 में कांग्रेस को 200 में से मात्र 21 सीटें मिली। कांग्रेस की करारी हार के बाद ही पायलट को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया। भाजपा शासन में पांच वर्षों तक पायलट और उनकी टीम ने जो संघर्ष किया, उसी का परिणाम रहा कि 2018 में कांग्रेस को सरकार बनाने लायक बहुमत मिला। अब जब सचिन पायलट को कांग्रेस के अधिवेशन में भी बोलने नहीं दिया जाएगा, तब कांग्रेस की सरकार कैसे रिपीट होगी? सवाल उठता है कि आखिर अधिवेशन में पायलट को बोलने क्यों नहीं दिया गया? क्या सीएम गहलोत और प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा को पायलट के भाषण से डर लग रहा था? भारत जोड़ो यात्रा में पायलट ने राहुल गांधी की उपस्थिति में भाषण दिए। पायलट ने अपने संबोधन में ऐसी कोई बात नहीं कही, जिसमें कांग्रेस को नुकसान हो। यह बात सही है कि पार्टी मंचों पर पायलट ने यह बात कही है कि क्या कारण है कि हम सत्ता में होते हुए चुनाव हार जाते हैं। पायलट अपने इस कथन पर अभी भी कायम है। कांग्रेस का आम कार्यकर्ता भी पायलट के महत्व को स्वीकारता है। गहलोत और डोटासरा चाहे कितने भी दावे कर लें, लेकिन हकीकत यह है कि पिछले ढाई वर्षों से प्रदेशभर में कांग्रेस की जिला और ब्लॉक कमेटियां भंग पड़ी है। यानी सचिन पायलट ने प्रदेशाध्यक्ष रहते जो कमेटियां बनाई थीं, उन्हीं से गहलोत और डोटासरा काम चला रहे हैं। डोटासरा को प्रदेशाध्यक्ष के नाते यह बताना चाहिए कि जिला और ब्लॉक कमेटियों का पुनर्गठन क्यों नहीं हुआ? अशोक गहलोत और गोविंद सिंह डोटासरा माने या नहीं, लेकिन यह सही है कि सचिन पायलट ने सत्ता और संगठन की जो जाजम बिछाई उसी पर गहलोत और डोटासरा काबिज हैं।
एंथोनी का बयान:
28 दिसंबर को ही कांग्रेस ने अपना स्थापना दिवस मनाया। इस अवसर पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री एके एंथोनी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी को हिन्दू मतदाताओं का भी समर्थन चाहिए, क्योंकि चुनाव सिर्फ अल्पसंख्यकों के वोटो से नहीं जीता जा सकता। एंथोनी ने जो बात कही है उस पर राजस्थान के सीएम गहलोत को भी विचार करना चाहिए, क्योंकि तुष्टीकरण के मामले में ममता बनर्जी और अखिलेश यादव से भी ज्यादा सख्त छवि अशोक गहलोत की है।
S.P.MITTAL BLOGGER (29-12-2022)
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