रंधावा जी! जिन मंत्रियों ने सरकार बचाई, उन पर लगाम नहीं लगा सकते मुख्यमंत्री अशोक गहलोत। कांग्रेस की प्रदेश उपाध्यक्ष नसीम अख्तर पर 9 धाराओं में मुकदमे पर आप भी चुप हैं। नाथूराम सिनोदिया और रामस्वरूप चौधरी में विवाद और धर्मेन्द्र राठौड़ की हंसी।
जयपुर के विकास और कांग्रेस की राजनीति को लेकर नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल और खाद्य आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के बीच जो विरोधाभासी बयानबाजी हुई, उससे कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा खफा है। रंधावा ने कहा कि ऐसी बयानबाजी से सरकार की छवि खराब हो रही है। मुख्यमंत्री अशोक को ऐसे मंत्रियों पर लगाम लगानी चाहिए। रंधावा पिछले सात माह से राजस्थान की राजनीति में सक्रिय हैं। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि उन्होंने अभी भी कांग्रेस की राजनीति को समझा नहीं है। यदि समझते तो मंत्री धारीवाल और खाचरियावास पर लगाम लगाने की बात नहीं कहते। सवाल उठता है कि क्या सीएम गहलोत दोनों मंत्रियों के तेवर और बयानबाजी देेख रहे हैं? लेकिन गहलोत जानते हैं कि इन दोनों मंत्रियों के कारण ही उनकी सरकार बची है। गहलोत का मकसद सिर्फ अपनी सरकार को अगले पांच माह तक चलाने का है। विधानसभा चुनाव के परिणाम से गहलोत अवगत हैं। सब जानते हैं कि गत वर्ष 25 सितंबर को धारीवाल के घर पर ही कांग्रेस विधायकों की समानांतर बैठक हुई थी और तभी गहलोत को ही मुख्यमंत्री बनाए रखने के लिए 90 विधायकों ने इस्तीफे दिए। यदि धारीवाल अपने घर पर बैठक नहीं करवाते तो एआईसीसी द्वारा आयोजित बैठक में नए मुख्यमंत्री के लिए प्रस्ताव पास हो जाता। तब गहलोत को सीएम के पद से हटना ही पड़ता। इससे पहले जुलाई 2020 में जब सचिन पायलट के साथ 18 विधायक दिल्ली गए थे, तब कम से कम दस विधायकों को खाचरियावास के साथ दिल्ली जाना था, लेकिन ऐन मौके पर खाचरियावास गहलोत के जादू से प्रभावित हो गए। यदि खाचरियावास वाले विधायक भी दिल्ली चले जाते तो जुलाई 2020 में ही गहलोत को सीएम पद से हटना पड़ता। जिन मंत्रियों की वजह से गहलोत मुख्यमंत्री बने बैठे हैं, उन पर लगाम कैसे लगा सकते हैं? खाचरियावास ने तो आईएएस की एसीआर भरने को लेकर भी सीएम पर सीधा हमला किया। मुफ्त में मिलने वाले अन्नपूर्णा फूट पैकेट को लेकर खाचरियावास के निशाने पर सीएम गहलोत ही हैं। लेकिन गहलोत सारा अपमान इसलिए बर्दाश्त कर रहे हैं ताकि सरकार चार माह और चल जाए।
रंधावा खुद चुप:
प्रदेश प्रभारी रंधावा चाहते हैं कि धारीवाल और खाचरियावास जैसे मंत्रियों पर सीएम गहलोत लगाम लगाएं, लेकिन कांग्रेस की प्रदेश उपाध्यक्ष और एआईसीसी की सदस्य नसीम अख्तर पर 9 आपराधिक धाराओं में दर्ज मुकदमे पर खुद रंधावा चुप हैं। जबकि नसीम ने खुला आरोप लगाया है कि यह मुकदमा राजनीतिक द्वेषवश आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ ने अपने चेहते बीडीओ विजय सिंह चौहान पर दबाव डाल कर दर्ज करवाया है। यह घटना भी राजनीतिक थी, लेकिन फिर भी धर्मेन्द्र राठौड़ ने सरकार के प्रभाव का दुरुपयोग कर मुकदमा दर्ज करवाया। 12 दिन गुजर जाने के बाद भी रंधावा पीड़ित कांग्रेसी नेता को कोई राहत नहीं दिलवा सके हैं। इससे ब्लॉक स्तर के एक अधिकारी की हिम्मत का अंदाजा लगाया जा सकता है कि सत्तारूढ़ पार्टी की प्रदेश उपाध्यक्ष के खिलाफ ही प्रकरण दर्ज करवा दिया है।
सिनोदिया और चौधरी में विवाद:
24 जून को अजमेर के सुरसुरा स्थित तेजाजी मंदिर परिसर में एक समारोह में जब राजस्थान पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ का संबोधन हो रहा था, तभी पूर्व विधायक नाथूराम सिनोदिया और पूर्व जिला प्रमुख रामस्वरूप चौधरी के बीच विवाद हो गया। मौजूद लोगों के अनुसार रामस्वरूप चौधरी का कहना रहा कि नागौर की राजनीति में नाथूराम मिर्धा (नाथू बाबा) की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इसी दौरान एक व्यक्ति ने कहा कि अजमेर जिले में भी हमारे नाथू बाबा (नाथूराम सिनोदिया) सक्रिय हैं। यह बात चौधरी को नागवार गुजरी। इस पर सिनोदिया ने कड़ा एतराज जताया। वीडियो से जाहिर है कि सिनोदिया अपनी ही पार्टी के नेता से खफा हैं। गंभीर बात यह है कि जब सिनोदिया और चौधरी ने विवाद हो रहा था, तब आरटीडीसी के अध्यक्ष हंस रहे थे। ऐसा प्रतीत हुआ कि दोनों के बीच हो रहे झगड़े का राठौड़ मचा ले रहे हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि आगामी विधानसभा चुनाव में किशनगढ़ से सिनोदिया और चौधरी दोनों की दावेदार हैं। वीडियो को मेरे फेसबुक पेज www.facebook.com/SPMittalblog पर देखा जा सकता है।
S.P.MITTAL BLOGGER (25-06-2023)
Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9929383123To Contact- 9829071511