तो क्या बिना प्रशासनिक फेर बदल के सरकार चलाएंगे मुख्यमंत्री भजनलाल? गहलोत सरकार में राजनीतिक नजरिए से अफसरों की नियुक्तियां हुई थी। राजस्थान में मंत्रिमंडल का विस्तार 24 या 25 दिसंबर को संभव ।
22 दिसंबर को मुख्यमंत्री भजनलाल ने प्रदेश के बड़े प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों की बैठक ली। इन बैठकों में सीएम ने अपनी सरकार के विजन के बारे में बताया। प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों की बैठक से प्रतीत होता है कि सीएम भजनलाल को प्रशासनिक फेरबदल करने की कोई जल्दबाजी नहीं है। सीएम प्रशासनिक फेरबदल कब करते हैं, यह उनका विशेषाधिकार है। लेकिन हकीकत यह है कि पुरानी गहलोत सरकार में अधिकारियों की नियुक्ति राजनीतिक नजरिए से हुई थी। मुख्य सचिव से लेकर कलेक्टर और डीजी से लेकर पुलिस अधीक्षक तक किसी ने किसी कांग्रेस नेता की पसंद रहे। अशोक गहलोत ने जिन राजनीतिक हालातों में सरकार चलाई उस में मंत्रियों, विधायकों और सरकार बचाने वाले नेताओं को खुश रखना जरूरी था। आमतौर पर सत्ता परिवर्तन के साथ ही प्रशासनिक फेरबदल भी होता है। फेरबदल के बाद ही नए मुख्यमंत्री बड़े अधिकारियों की बैठक करते हैं, लेकिन सीएम भजनलाल ने फिलहाल बड़े अधिकारियों को यह भरोसा दिलाने का काम किया है कि वे तबादले से डरे बगैर अपना काम करते रहे। सीएम की इस पहल का प्रशासनिक क्षेत्र में स्वागत भी हुआ है। जहां तक आईएएस और आईपीएस कैडर के अधिकारियों का सवाल है तो जिस दल की सरकार होती है उसी दल के मुख्यमंत्री की हाजिरी बजाते हैं। लेकिन राजस्थान के आईएएस और आईपीएस को अब यह समझना चाहिए कि अशोक गहलोत और भजनलाल शर्मा में बहुत फर्क है। गहलोत को अपने दम पर सरकार चलानी थी, इसलिए अधिकारियों का इस्तेमाल किया। जिन अधिकारियों ने सरकार को बचाने में मदद की उन्हें गहलोत ने सेवानिवृत्ति के बाद उपकृत कर दिया। भजनलाल शर्मा को अपनी सरकार बचाने की कोई जरूरत नहीं है। भाजपा के पास बहुत से 20 विधायक ज्यादा है। इसलिए सरकार आईएएस और आईपीएस के भरोसे नहीं है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि राजस्थान में भाजपा सरकार की गारंटी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने दे रखी है। जिस सरकार के पास मोदी और शाह जैसा गारंटर हो उसे किसी आईएएस और आईपीएस की जरूरत नहीं है। संभवत यही वजह है कि सीएम भजनलाल शर्मा को प्रशासनिक फेरबदल की जल्दबाजी नहीं ंहै। सीएम को अपनी सरकार चलाने के लिए आईएएस और आईपीएस की जरूरत नहीं है। बल्कि इन दोनों वर्गों के अधिकारियों को सरकार में रहने के लिए काम करना होगा। अब किसी भी अधिकारी की नियुक्ति राजनीतिक सिफारिश से नहीं होगी। सीएम स्वयं गहलोत सरकार के अधिकारियों पर नजर रखे हुए हैं जो अधिकारी सरकार की मंशा के अनुरूप काम नहीं करेगा, उसका तबादला होगा। लेकिन जो अधिकारी अपनी आदत में सुधार कर काम करने लगेगा उसका ख्याल रखा जाएगा। सीएम की आईएएस डॉ. समित शर्मा जैसे अधिकारियों पर भी नजर है। सब जानते हैं कि कांग्रेस सरकार के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा की स्वार्थपूर्ण नाराजगी का खामियाजा डॉ. शर्मा को उठाना पड़ा था। अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री रहते हुए कई बार डॉ. समित शर्मा की प्रशासनिक क्षमता की प्रशंसा की, लेकिन रघु शर्मा के सामने लाचार होने के कारण समित शर्मा का काई बार तबादला किया। नए सीएम भजनलाल शर्मा के सामने ऐसी कोई लाचारी नहीं है। नई सरकार में समित शर्मा जैसे अधिकारियों को अपनी कार्यकुशलता दिखाने का पूरा अवसर मिलेगा।
विस्तार 25 को संभव:
राजस्थान में मंत्रिमंडल का विस्तार 24 या 25 दिसंबर को माना जा रहा है। छत्तीसगढ़ में मंत्रिमंडल का विस्तार 22 दिसंबर को हो चुका है। मध्यप्रदेश में 24 दिसंबर को होने की उम्मीद है। ऐसे में 25 दिसंबर को राजस्थान में भी विस्तार होने की संभावना है। भजनलाल शर्मा ने मुख्यमंत्री ओर दीया कुमारी व डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने डिप्टी सीएम की शपथ 15 दिसंबर को ली थी। यह तीनों नेता पिछले एक सप्ताह में दो बार दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व से मुलाकात कर चुके हैं। जिन विधायकों को मंत्री बनाया जाना है उनके नामों पर अंतिम चर्चा भी हो चुकी है। अब राष्ट्रीय नेतृत्व से जो सूची आएगी उसके अनुसार विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलवा दी जाएगी। छत्तीसगढ़ में जिन 9 मंत्रियों ने शपथ ली वे सभी कैबिनेट स्तर के हैं। माना जा रहा है कि राजस्थान में पहले चरण में 15 कैबिनेट मंत्रियों को शपथ दिलाई जाएगी। मंत्रिमंडल के दूसरे चरण में विस्तार लोकसभा चुनाव के बाद होगा।
S.P.MITTAL BLOGGER ( 23-12-2023)
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